Indian Train Engine Cost: क्या आपको पता है भारतीय रेल के एक इंजन को बनाने में कितना खर्च आता है?
भारतीय रेल के इंजन देश में ही बनाए जाते हैं, इसलिए इसकी कीमत इतनी कम है. भारतीय रेल में मुख्य रूप से दो प्रकार के इंजन इलेक्ट्रिक और डीजल का प्रयोग किया जाता है.
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Indian Train Engine Cost: इस बात में कोई संदेह नहीं कि आज भी भारतीय रेल को देश की लाइफलाइन समझा जाता है. भारत में आज भी अधिकांश लोग एक जगह से दूसरी जगह ट्रेवल करने के लिए ट्रेन को ही बेहतर ऑप्शन मानते हैं. भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़े नेटवर्क में गिना जाता है. रोजाना करोड़ों लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. भारतीय रेल में शामिल मौजूदा ट्रेनें बिजली, डीजल और भाप के इंजन से चलती है. पूरी ट्रेन को दो हिस्सों में बांटा गया है. पहला होता है इंजन. इंजन ही पूरी ट्रेन को खींचता है. इसके बाद का हिस्सा होता है कोच या बोगी, जिसमें यात्री बैठते हैं. कई लोगों को आजतक इस सवाल का जवाब नहीं पता होगा, कि एक ट्रेन को खींचने वाले इंजन की कीमत कितनी होती है?
भारतीय रेल के इंजन को बनाने में 20 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है. चूंकि, भारतीय रेल के इंजन देश में ही बनाए जाते हैं, इसलिए इसकी कीमत इतनी कम है. भारतीय रेल में मुख्य रूप से दो प्रकार के इंजन इलेक्ट्रिक और डीजल का प्रयोग किया जाता है. आइये जानते हैं इनके बारे में.
अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर रेल इंजन का इस्तेमाल
रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, भारत में अब डीजल पर ट्रेनें चलाने के लिए डुअल मोड वाले इंजनों का निर्माण किया जा रहा है. बता दें कि रेलवे ने एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स में 4500 हॉर्स पावर (एचपी) क्षमता के पांच दोहरे मोड वाले इंजनों का निर्माण किया. ठीक इसी प्रकार के इंजन का इस्तेमाल अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका में किया जाता है. लेकिन भारत में पहली बार इस प्रकार के इंजन का प्रयोग किया गया. आपक बता दें कि भारत में वर्तमान में कुल 52 फीसदी ट्रेनें डीजल से संचालित की जाती हैं. जिसे इलेक्ट्रिक ट्रेक पर रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और जिससे अक्सर रेल के संचालन में देरी हो जाती थी.
रेलवे द्वारा इस डुअल मोड वाले इंजनों के निर्माण से लोकोमोटिव को बदलने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती. क्योंकि इलेक्ट्रिक ट्रेक पर उसी डीजल इंजन का इस्तेमाल किया जा रहा है. आपको बता दें कि एक डुअल मोड वाले लोकोमोटिव की लागत अठारह करोड़ रुपये के आसपास आती है, जबकि एक 4500 एचपी डीजल लोकोमोटिव की लागत लगभग 13 करोड़ रुपये आती है. जहां तक इसके वजन और रफ्तार की बात है, डुअल मोड लोकोमोटिव डीजल लोकोमोटिव के मुकाबले भारी है और ये 135 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से चलता है.
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