14 साल बाद एक होने जा रहे हैं 'जमीयत उलेमा' के दोनों गुट, अरशद मदनी ने दिया बड़ा बयान
Jamiat Ulema-e-Hind: 22 जुलाई को महमूद मदनी गुट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली स्थित मुख्यालय में बैठक हुई थी, जहां दोनों गुटों के एक होने पर सहमति दिखाई दी थी.
Jamiat Ulema-e-Hind: जमीयत उलेमा-ए-हिंद मुस्लिम विद्वानों का एक बड़ा संगठन है. 14 साल पहले यह संगठन दो गुटों में बंट गया था, लेकिन अब दोनों गुट (अरशद मदनी-महमूद मदनी गुट) एक होने जा रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के एक शीर्ष नेता ने इस बात की पुष्टी की है कि आने वाले कुछ ही महीने में दोनों गुट एक हो जाएंगे. इस संगठन के देशभर में करोंड़ो समर्थक हैं.
1919 में बना संगठन
साल 1919 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद का गठन हुआ था. 2008 में मौलाना असद मदनी की मौत के बाद यह संगठन हो गुटों में बंट गया था. दोनों गुटों में से एक के अरशद मदनी और दूसरे के महमूद मदनी अध्यक्ष बन गए थे. संगठन को और मजबूती प्रदान करने के लिए काफी समय से जमीयत उलेमा-ए-हिंद मुस्लिम को एक करने की कोशिशें हो रही थीं.
दरअसल, 28 मई 2022 को देवबंद के शाही ईदगाह मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद मुस्लिम का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ था, जिसमें अरशद मदनी और महमूद मदनी ने मंच साझा किया था. अरशद मदनी ने जमीयत के एक होने के संकेत दिए थे. इसी कड़ी में शुक्रवार को ये मुहीम आगे बढ़ी है. रिश्ते में अरशद मदनी और महमूद मदनी चाचा-भतीजे हैं.
दोनों गुटों के एक होने पर सहमति
22 जुलाई को महमूद मदनी गुट की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली स्थित मुख्यालय में बैठक हुई थी, जहां दोनों गुटों के एक होने पर सहमति दिखाई दी थी. दोनों गुटों ने संगठन के एक होने को देश के मुसलमानों के हित में बताया था. इसी क्रम में महमूद मदनी गुट के कई प्रदेश अध्यक्ष समेत 90 ओहदेदारों ने अपना इस्तीफा देते हुए महमूद मदनी को सभी अधिकार सौंप दिए थे. इसमें 25 राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश महासचिव के साथ में कई ओहदेदार शामिल हैं.
देवबंदी विचारधारा से प्रभावित
मगर, अब यह माना जा रहा है कि चाचा अरशद मदनी गुट के भी इस्तीफे जल्द ही हो सकते हैं. इसके बाद दोनों गुटों के एक होने के बाद जमीयत उलेमा-ए-हिंद के नए पदाधिकारियों का एलान हो सकता है. वहीं बीते दो वर्षों में दोनों गुटों में विवाद कम हुआ है. एक होने की पहल दोनों ही गुटों की तरफ से हुई है अरशद मदनी और महमूद मदनी एक दूसरे के कार्यक्रमों में शरीक होते थे. दोनों नेताओं के रूख एक दूसरे के प्रति नरम हैं, महमूद मदनी अपने चाचा अरशद मदनी के बयान पर कुछ नहीं बोलते, जिससे कि कोई विवाद न हो. जमीयत उलेमा-ए-हिंद भारत के सबसे बड़े इस्लामिक संगठनों में से एकत है, जो देवबंदी विचारधारा से प्रभावित है.
अरशद मदनी ने क्या कहा?
इस मामले पर अरशद मदनी ने कहा, "हमने कुछ दिन पहले ही सुलह करने पर एक मीटिंग की थी, लेकिन यह ऐसा कुछ था, जिसका एक मीटिंग में समाधान नहीं निकाला जा सकता. हम उम्मीद कर रहे हैं कि अल्लाह की रहमत से अगले दो से चार महीनों में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. बड़ी बात ये है कि अब दोनों गुट सुलह चाहते हैं."
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