अब दिल्ली-मुंबई ही नहीं, हरदोई, चित्रकूट और संभल सहित यूपी के इन शहरों में भी मिलेगी नौकरी और रोजगार
सीएम योगी आदित्यनाथ ने साल 2027 तक यूपी की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है.
उत्तर प्रदेश में नौकरी और रोजगार की बड़ी संभावनाएं बनती दिख रही हैं. खास बात ये है कि ये मौके नोएडा, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में नहीं छोटे शहरों में मिलने वाले हैं. दरअसल उत्तर प्रदेश में 11 हजार करोड़ रुपये के निवेश की योजना तैयार हो गई है और यह राज्य उद्योगों का एक बड़ा केंद्र बनने जा रहा है.
दरअसल यूपी सरकार ने छोटे शहरों और कस्बों में आधारभूत ढांचा सुधारने के लिए बड़े कदम उठा रही है. इसको देखते हुए निजी सेक्टर को अब यह शहर बहुत पसंद आ रहे हैं क्योंकि इन शहरों में अभी यूपी के बड़े शहरों के मुकाबले जमीनें सस्ती हैं.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक यूपी के छोटे शहरों में अब तक 7000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है. यूपी उद्योग विकास प्राधिकरण (UPSIDA) के डाटा के मुताबिक राज्य में बीते 6 महीने में 4 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है.
मथुरा, प्रयागराज, संभल, हरदोई के संडीला और चित्रकूट जैसे ही जगहों पर निजी सेक्टर की ओर से बड़े प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी है. उद्योग प्राधिकरण की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक बरेली, हाथरस, आगरा, मथुरा, फर्रुखाबाद, औरैया, कन्नौज, उन्नाव, हरदोई, संडीला, चित्रकूट, प्रयागराज, रायबरेली, अमेठी और पीलीभीत में विकसित कॉरीडोर्स तैयार हैं.
बिजनेस स्टैंडर से बातचीत में UPSIDA के चीफ मयूर माहेश्वरी ने बताया कि देश-विदेश के बड़े जाने-माने निवेशक यूपी के छोटे शहरों में निवेश में रुचि दिखा रहे हैं. दरअसल इसकी एक बड़ी वजह उद्योगों को लेकर सरकार की ओर से दी जा रही सहूलियतें भी हैं. पेप्सी, ब्रिटिश पेंट्स, बर्जर पेंट्स जैसी कंपनियों ने प्रदेश में यूनिटें लगाई हैं और इनके लिए जमीनें प्राधिकरण की ओर से मुहैया कराई गई हैं.
मयूर माहेश्वरी ने बताया कि कि गन बनाने के लिए पूरी दुनिया में मशहूर कंपनी Webley & Scott हरदोई जिले के संडीला में एक प्लांट शुरू भी कर दिया है.
बिजनेस स्टैंडर्ड में छपी खबर के मानें तो UPSIDA ने 12000 एकड़ जमीन का एक पूल बना रखा है ताकि निजी कंपनियों को तुरंत आवंटन किया जा सके. इसके अलावा उन जमीनों को भी फिर से आवंटित करने का भी काम शुरू किया जा रहा है जो पहले से किसी को आवंटित की गई थीं लेकिन उनका इस्तेमाल अभी तक शुरू नहीं किया गया है.
मिले आंकड़ों के मुताबिक हाल ही के महीने में पीलीभीत में 1 हजार करोड़, अमेठी में 700 करोड़, मथुरा में 571 करोड़ , वाराणसी में 500 करोड़ और चित्रकूट में 475 करोड़ का निवेश किया जा चुका है.
बता दें कि प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार ने साल 2027 तक राज्य की अर्थववस्था को ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. और इसके लिए प्रदेश सरकार ने तेजी से औद्योगिक विकास और निर्यात बढ़ाने की कोशिश है.
इसके लिए यूपी सरकार ने कुछ दिन पहले ही डिलॉइट इंडिया नाम की एक कंसल्टेंट फर्म के साथ समझौता किया है. ये फर्म यूपी की अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन तक पहुंचाने के लिए रास्ता सुझाएगी.
इस फर्म को जिम्मेदारी दी गई थी कि ये विभिन्न सेक्टरों का गहराई से अध्ययन करके एक एक्शन प्लान करे जिसकी समीक्षा राज्य के चीफ सेक्रेटरी की समिति और मंत्रियों की समिति करेगी.
अभी कहां उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी
आरबीआई और एनएसओ के डाटा के मुताबिक महाराष्ट्र और तमिलनाडु के बाद उत्तर प्रदेश तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है. राज्य सरकार का आकलन है कि साल 2022-23 तक प्रदेश की अर्थवस्था 20.48 करोड़ रुपये की हो जाएगी. और 1 ट्रिलियन की इकोनॉमी तक पहुंचने के लिए प्रदेश को 79 लाख करोड़ रुपये तक इकोनॉमी को बढ़ाना होगा.
बड़ी है ये चुनौती
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले नीति आयोग के आंकड़ों की मानें तो उत्तर प्रदेश भारत के तीन सबसे गरीब राज्यों में से एक है. यूपी सिर्फ बिहार और झारखंड से ही आगे है. यूपी 37.79 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी पैमाने पर गरीब है. वहीं बिहार की 51.91 और झारखंड की 42.16 प्रतिशत जनसंख्या इस दायरे में आती है.
प्रति व्यक्ति आय में भी पीछे
साल 2019-20 के आंकड़ों के मुताबिक यूपी में प्रतिव्यक्ति औसत आय सालाना 41,023 रुपये थी. जो देश में कुल प्रति व्यक्ति आय 86,659 रुपये का आधा भी नहीं है. हालांकि इस बीच राहत वाली बात ये है कि अप्रैल 2022 में आए एक सरकारी डाटा के मुताबिक प्रदेश में बेरोजगारी की दर गिरकर 2.9 प्रतिशत हो गई है जो कि मार्च में 4.4 प्रतिशत थी.
साल 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी
यूपी सरकार जनवरी 2023 में एक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारी कर रही है. इसको लेकर प्रदेश में इन्फ्रस्ट्रक्चर बेहतर करने के लिए काम तेजी से हो रहा है. यूपी सरकार की योजना है कि इसके जरिए 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश अगले 2 सालों में जुटाया जाए.
अयोध्या के जरिए नई तस्वीर बनाने की कोशिश
अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जा रहा है. इसके अलावा सीएम योगी की ही निगरानी में हाइड्रोजन फ्यू और सेल टेक्नॉलजी के जरिए ही विद्युत निर्माण की भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं.
वही सीएम योगी ने पीडब्लूडी के लिए भी एक टॉस्क दिया है जिसमें अगले पांच सालों में 10 हजार किलोमीटर सड़कों का सुंदरी और चौड़ीकरण, 16 हजार किलोमीटर तक की सड़कों का निर्माण, 200 रेलवे ओवरब्रिज बनाने का जिम्मा दिया गया है.
यूपी के पास होंगे सबसे ज्यादा हाइवे और एयरपोर्ट
यूपी में योगी सरकार के आने से पहले तीन एयरपोर्ट थे लेकिन योगी सरकार के कार्यकाल में इनकी संख्या 17 हो जाएगी. इसके अलावा एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट जेवर में बनाया जा रहा है.
किन उद्योगपतियों ने किया है निवेश का वादा
इस साल जून के महीने में हुए इन्वेस्टर समिट में गौतम अडानी ने 70 हजार करोड़ रुपये निवेश का ऐलान किया था. साल 2018 में हुए समिट में रिलायंस की ओर से 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश जियो के जरिए करने का वादा किया था. वहीं टाटा ग्रुप की ओर से यूपी में एयरबस निर्माण की यूनिट लगाने का प्लान यूपी में चल रहा है.
हालांकि अभी यूपी में अभी शिक्षा-स्वास्थ्य और गरीबी को दूर करने के लिए लंबी दूरी तय करनी है और इस क्षेत्र में बदलाव धीरे-धीरे ही आता है.
गुजरात-महाराष्ट्र और तमिलनाडु अब भी आगे
यूपी में निवेश को लेकर बड़ी संभावनाएं दिख रही हैं. लेकिन सबसे ज्यादा अभी गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में निवेशक सबसे ज्यादा अब भी जा रहे हैं. निजी सेक्टर को यूपी में आकर्षित करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से कोरोनाकाल में ही श्रम कानूनों में बदलाव भी कर दिया गया है.