Rajya Sabha Election: कांग्रेस में रहते आलाकमान पर निशाना, कौन हैं कपिल सिब्बल जो अब करेंगे अखिलेश की साइकिल की सवारी
सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं.
Kapil Sibal Rajya Sabha Nomination: राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस (Congress) को एक बड़ा झटका लगा है. कांग्रस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी है. उन्होंने बुधवार को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया. सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन करने के बाद सिब्बल ने कहा कि वे 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. सिब्बल फिलहाल कांग्रेस कोटे से यूपी से सांसद हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस के पास यूपी से इतने विधायक नहीं कि उन्हें फिर से राज्यसभा भेजा जा सके. सपा में शामिल होने से पहले सिब्बल कांग्रेस आलाकमान खासकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर सवाल उठाते रहे हैं. अब उन्होंने सपा के समर्थन से राज्यसभा का नामांकन दाखिल कर उनको लेकर लगाए जा रही सभी अटकलों को विराम दे दिया है. आखिर सालों कांग्रेस में रहने के बाद सपा में शामिल हुए कपिल सिब्बल कौन है? आइए आपको उनके बारे में बताते हैं.
कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल का जन्म 8 अगस्त 1948 को पंजाब के जालंधर में एक प्रतिष्ठित वकील परिवार में हुआ था. उनके पिता हीरालाल सिब्बल देश के जाने माने वकील थे, जिन्हें 2006 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था. 1960 के दशक में कपिल सिब्बल अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए मध्य दिल्ली चले आए. जहां उन्होंने 1970 के दशक की शुरुआत में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास और कानून की डिग्री हासिल की. इसके बाद उन्होंने 1977 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स से कानून की डिग्री भी हासिल की.
बतौर वकील कामयाब रहा करियर
कपिल सिब्बल को उनके कानून ज्ञान के बदोलत भारत की सिविल सेवा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया. जिसके बाद कपिल सिब्बल ने अपनी खुद की प्रेक्टिस शुरू की. अपने कानूनी ज्ञान के आधार पर जल्द ही उनका नाम देश के प्रतिष्ठित वकीलों की सूची में शामिल हो गया. 1972 में विधि-वर्ग (बार) जॉइन किया और वर्ष 1983 में वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में काम करने लगे 1989 और 1990 के बीच भारत के एडीशनल सॉलीसीटर जनरल रहे. कपिल सिब्बल को साल 1995 और 2002 के बीच भारत के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी तीन बार चुना गया.
राजनीतिक सफर
कपिल सिब्बल ने 1996 में राजनीति में एंट्री की. उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन इस चुनाव में उन्हें बीजेपी की सुषमा स्वराज के सामने हार का मुंह देखना पड़ा. फिर कपिल सिब्बल की 1998 में राज्यसभा के जरिए राजनीति में आए. इसके बाद 2004 में उन्होंने एक बार फिर दिल्ली के चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़ा. इस चुनाव में उन्हें जीत मिली, उन्होंने भाजपा की स्मृति ईरानी को हराकर लोकसभा में एंट्री की. इसके अगले चुनाव यानि 2009 में भी वह चांदनी चौक से सांसद चुने गए.
लोकसभा सांसद बनने के बाद कपिल सिब्बल को मनमोहन कैबिनेट में जगह मिली. वह यूपीए सरकार (UPA Government) में मानव संसाधन विकास मंत्री, सूचना प्रोद्योगिकी और विधि एवं न्याय मंत्री रहे. मनमोहन सरकार (Manmohan Singh Government) में कपिल सिब्बल ने कई और जिम्मेदारियां भी संभाली. लेकिन 2014 की मोदी लहर के सामने कपिल सिब्बल को भी हार का मुंह देखना पड़ा. वह चुनाव हार गए. इसके बाद 2016 में उन्हें समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुना गया.
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