चुनावी साल में एंटी इनकंबेंसी और आंतरिक गुटबाजी से जूझ रही कर्नाटक बीजेपी सेमीकंडक्टर के सहारे सत्ता की राह आसान करने में जुटी है. दरअसल, कर्नाटक सरकार ने केंद्र से कहा है कि मैसूर में प्रस्तावित सेमीकंडक्टर चिप प्लांट को जल्द मंजूरी दी जाए. मंजूरी के लिए यह फाइल करीब 3 महीने से केंद्र के पास है.


कर्नाटक में मार्च में 224 सीटों के लिए विधानसभा का चुनाव हो सकता है. जिसकी घोषणा फरवरी के पहले या दूसरे हफ्ते में होने की उम्मीद है. बीएस बोम्मई के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की सरकार है, जो सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी है. 


कर्नाटक में 2019 में कांग्रेस विधायकों के बगावत के बाद बीएस येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, 2023 के चुनाव को देखते हुए उन्हें हटाकर बीजेपी ने बीएस बोम्मई को कमान सौंपी थी. 


बीजेपी के लिए कर्नाटक क्यों महत्वपूर्ण?
दक्षिण का एकमात्र राज्य, जहां सरकार- भारत के दक्षिण भाग में 5 राज्य कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना है. इनमें से कर्नाटक एकमात्र राज्य है, जहां बीजेपी की सरकार है. 


हाल ही में हुए बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में दक्षिण भारत में भी पार्टी के विस्तार का लक्ष्य रखा गया था. ऐसे में कर्नाटक विधानसभा में जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए जरूरी है. 


लोकसभा की 28 सीटें, 25 बीजेपी के पास- कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटें हैं, जो दक्षिण भारत में तमिलनाडु के बाद दूसरे नंबर पर है. तमिलनाडु में लोकसभा की कुल 39 सीटें हैं. 


2019 के चुनाव में बीजेपी को 28 में से 25 सीटों पर जीत मिली थी. 2014 में यह आंकड़ा 17 का था. मिशन 2024 के लिए भी कर्नाटक महत्वपूर्ण है.


सेमीकंडक्टर का यह प्रोजेक्ट क्या है?
मई 2022 में इजरायल की आईएसएमसी एनालॉग फैब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने राज्य में सेमीकंडक्टर चिप उत्पादन का प्लांट लगाने का प्रस्ताव रखा था. कर्नाटक सरकार के मुताबिक इस परियोजना की लागत करीब 22,900 करोड़ रुपए है. सरकार की माने तो इसके शुरू होने से करीब 1500 स्थानीय लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिलेगा. 




(Source- Social Media)


आईएसएमसी एनालॉग फैब प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिप बनाने का काम करती है. कंपनी के मुताबिक प्लांट लगने में 7 साल का वक्त लगेगा. इससे प्रत्यक्ष के अलावा अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिल सकेगा.


कहां फंसा है पेंच?
2010 में कर्नाटक ने देश में सबसे पहले सेमीकंडक्टर पॉलिसी लागू किया था. इसके तहत सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली कंपनी को जमीन, पानी से लेकर हर जरूरी सुविधा सब्सिडी रेट पर मुहैया कराने की बात कही गई थी. 


इसी पॉलिसी के तहत आईएसएमसी कंपनी ने कर्नाटक में निवेश किया है, लेकिन जमीन आवंटर और अन्य NOC को लेकर केंद्र के पास फाइल है. 


कर्नाटक सरकार ने केंद्र से मांग की है कि जल्द से फाइल की मंजूरी दी जाए, जिससे मैसूर इलाके में प्लांट लगाने का काम शुरू हो. कर्नाटक सरकार को उम्मीद है कि फरवरी तक केंद्र से फाइल को हरी झंडी मिल जाएगी, जिससे मार्च में होने वाले चुनाव से पहले काम शुरू हो जाए. 


सेमीकंडक्टर के काम सबसे आगे कर्नाटक, 2 फैक्ट्स



  • इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के चीफ राजीव खुशु के मुताबिक भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट के लिए 76 हजार करोड़ का स्कीम लागू किया है, जिसका सबसे बड़ा लाभार्थी कर्नाटक है.  

  • कर्नाटक में हार्डवेयर हब बनाने के लिए सरकार ने बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास 200 एकड़ का जमीन आवंटन किया है. सरकार इसके लिए अगले 5 साल में 2,000 करोड़ रुपए खर्च भी करेगी. 


बीजेपी को इस प्लांट से उम्मीद क्यों, 3 प्वॉइंट्स...


बोम्मई सरकार के लिए काम बताने का बड़ा मुद्दा
जुलाई 2021 में बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बीजेपी हाईकमान ने बासवाराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था. कांग्रेस का आरोप है राज्य में नई सरकार आने के बाद संप्रदायिकता बढ़ी है, जिस वजह से कंपनियां कर्नाटक में निवेश नहीं करना चाहती है.


अगर सेमीकंडक्टर का यह प्लांट चुनाव से पहले चालू हो गया तो बोम्मई सरकार को राहत मिलेगी. साथ ही बीजेपी कर्नाटक के चुनाव में इसे मुद्दा बनाकर भुनाएगी. 


22 सीटों पर असर, इनमें से अभी 6 ही बीजेपी के पास
मैसूर के आसपास मांड्या, चमराज नगर जिले हैं, जिसमें विधानसभा की कुल 22 सीटें हैं. 2018 के चुनाव में इन 22 में से बीजेपी को सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली थी. 


मांड्या, मैसूर और चमराज नगर जनता दल सेकुलर का गढ़ माना जाता है. 2018 में जनता दल सेकुलर को 12 सीटों पर जीत मिली थी. कांग्रेस 22 में से 4 सीटें जीती थी. 


कृष्ण राजा वाडियार तृतीय के नाम का सहारा
कर्नाटक के आईटी मंत्री सीएण नारायण ने इकॉनोमिक्स टाइम्स को बताया कि सेमीकंडक्टर के इस प्लांट को मैसूर के महराजा कृष्ण राजा वाडियार तृतीय को श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित किया जाएगा. आईटी मंत्री ने कहा कि उनकी दूरदर्शिता और काम की वजह से ही मैसूर फेमस है. 


कृष्ण राजा वाडियार तृतीय ने टीपू सुल्तान के पतन के बाद 1799 में मैसूर की गद्दी संभाली थी. वे 32 साल तक मैसूर के शासक रहे. इस दौरान उन्होंने नगर विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कई काम करवाए. 


राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो कृष्ण राजा वाडियार तृतीय के नाम पर बीजेपी वोट बैंक भी साधने की जुगत में है. टीपू सुल्तान को लेकर कर्नाटक में पिछले कुछ सालों में विवाद बढ़ा है. ऐसे में कृष्ण राजा वाडियार तृतीय के सहारे बीजेपी अपने वोटरों को साध सकती है.