कर्नाटक चुनाव: नामांकन से नतीजे तक, वोटर्स का मूड, अहम नेता, दलबदलू और मुद्दे, सभी जानकारी एक क्लिक में
कर्नाटक चुनाव में पहली बार वोट फ्रॉम होम की सुविधा शुरू की गई है. ट्रांसजेंडर को पोल आइकॉन बनाने का फैसला भी कर्नाटक में पहली बार किया गया है. चुनाव से जुड़ी सभी जानकारी एक साथ, एक क्लिक में.
कर्नाटक विधानसभा की 224 सीटों के लिए बुधवार को चुनाव की घोषणा कर दी गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि राज्य की सभी सीटों पर एक चरण में ही मतदान कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग हमेशा की तरह स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करेगा. वर्तमान में बीजेपी सत्ता में और कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है. जनता दल (सेक्युलर) प्रदेश में तीसरी बड़ी राजनीतिक ताकत है. आयोग ने कहा है कि इस बार शहरी और युवा वोटरों को बूथ पर पहुंचाने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है.
भारतीय चुनाव व्यवस्था में पहली बार वोट फ्रॉम होम की सुविधा शुरू की गई है. आयोग ने कहा है कि 80 साल से अधिक उम्र वाले और दिव्यांग वोटर्स इसका फायदा उठा सकते हैं.
चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के मुताबिक कर्नाटक में 13 अप्रैल से लेकर 20 अप्रैल तक नामांकन दाखिल किए जा सकते हैं. 24 अप्रैल तक नाम वापसी की सुविधा है. 10 मई को मतदान कराए जाएंगे और वोटों की गिनती 13 मई को होगी.
5.21 करोड़ वोटर्स, इनमें 2.59 करोड़ महिलाएं
चुनाव आयोग के मुताबिक 31 जिलों वाली कर्नाटक में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 5.21 करोड़ है. पुरुष मतदाताओं की संख्या 262 करोड़ और महिला मतदाताओं की संख्या 2.59 करोड़ है. 5.5 लाख दिव्यांग वोटर हैं, जबकि थर्ड जेंडर मतदाताओं की संख्या करीब 4700 है.
कर्नाटक में उडुपी समेत कई ऐसे भी जिले हैं, जहां पुरूष मतदाताओं के मुकाबले महिला वोटरों की संख्या अधिक है. कर्नाटक में महिला और पुरूष वोटरों की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है, लेकिन विधानसभा में यह अनुपात काफी ज्यादा है. 2018 में कर्नाटक में सिर्फ 9 महिलाएं जीतकर सदन पहुंच पाई थी.
कर्नाटक चुनाव में इस बार नया क्या है?
पहली बार वोट फ्रॉम होम की सुविधा शुरू की गई है. ट्रांसजेंडर को पोल आइकॉन बनाने का फैसला भी कर्नाटक चुनाव में पहली बार किया गया है. युवाओं को वोट देने की अपील करने के लिए हैकथॉन का आयोजन भी चुनाव में पहली बार किया जा रहा है.
वोट फ्रॉम होम सुविधा क्या है, कितने वोटर्स को लाभ मिलेगा?
वर्क फ्रॉम होम की सुविधा के तर्ज पर ही चुनाव आयोग ने वोट फ्रॉम होम की सुविधा शुरू की है. इस सुविधा का लाभ 80 साल से ऊपर के बुजुर्ग और दिव्यांग वोटर ही उठा सकते हैं. चुनाव आयोग के अधिकारी अप्लाई करने वाले के घर पर जाकर वोट मतदान करवाएंगे.
वोटिंग की पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी. आयोग ने कहा कि कर्नाटक में 12.15 लाख वोटर्स 80 से अधिक उम्र के हैं. इनमें 16976 मतदाताओं की उम्र 100 साल से अधिक है. दिव्यांग मतदाताओं की संख्या 5.5 लाख है. यानी कुल 17.6 लाख वोटर वोट फ्रॉम होम सुविधा का लाभ उठा सकते हैं.
58 हजार मतदान केंद्र, 1320 को पिंक बूथ बनाया जाएगा
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि राज्य में मतदान के लिए 58,282 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. कुमार ने बताया कि 1320 सेंटर को पिंक बूथ बनाया गया है.
पिंक बूथ का मतलब होता है- बूथ पर वोटिंग प्रक्रिया की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं द्वारा संभालना. यानी सुरक्षा से लेकर पॉलिंग ऑफिसर तक सभी जगहों पर महिलाओं की ही तैनाती.
आयोग ने बताया कि कर्नाटक में 224 ऐसे बूथ बनाए गए हैं, जिनमें युवा कर्मचारी तैनात होंगे. साथ ही 100 बूथों पर दिव्यांग कर्मचारियों को तैनात किया जाएगा.
शहरी उदासीनता चिंता की बात, 4 जिलों में फोकस
चुनाव आयोग ने बताया कि मतदान के प्रति शहरी उदासीनता चिंता की बात है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पत्रकारों को बताया कि बेंगलुरु के 4 जिलों में वोटिंग सबसे कम होती है.
2018 में बेंगलुरु दक्षिण में 51.98 फीसदी, बेंगलुरु उत्तरी में 53.47 फीसदी, बेंगलुरु मध्य में 55.18 फीसदी और बेंगलुरु शहरी में 57 फीसदी मतदान हुआ था. आयोग ने बताया कि 2018 में राज्य का औसत मतदान 72 फीसदी के आसपास था.
आयोग ने कहा कि रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन में जाकर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. साथ ही शहरी स्कूलों में भी इस तरह के प्रयास किए जाएंगे.
टांसजेंडर वोटर्स 40 हजार के पार
चुनाव आयोग ने कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से बताया कि राज्य में टांसजेंडर की संख्या 42,756 है, जिसमें 41312 वोटर्स हैं. आयोग ने ट्रांसजेंडर अधिक से अधिक वोट दे सके, इसकी भी तैयारी की है.
चुनाव आयोग ने कर्नाटक में पहली बार एक ट्रांसजेंडर मंजम्मा जोगती को पोल आइकॉन के रूप में नियुक्त किया है. जोगती समुदाय के बीच जाकर वोट देने के लिए जागरूक करेंगी.
क्या अब वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने का कोई ऑप्शन है?
नहीं. कर्नाटक में नाम जुड़वाने या सुधरवाने के लिए 8 दिसंबर 2022 को अंतिम तारीख मुकर्रर की गई थी. इसके बाद संशोधित सूची जारी कर दी गई है. इसलिए अब नाम जुड़वाने का कोई ऑप्शन नहीं है.
हालांकि, आयोग ने कहा कि जिन युवाओं की उम्र 1 अप्रैल 2023 को 18 साल पूरी हो रही है, उन युवाओं को भी वोट डालने दिया जाएगा. कर्नाटक में युवा अधिक से अधिक संख्या में वोट करे, इसके लिए भी आयोग ने विशेष तैयारी की है. आयोग ने इसके लिए हैकथॉन प्रतियोगिता शुरू की है.
देशभर के 32 कॉलेज युवाओं के बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाएगी. इसके लिए विभिन्न स्तर पर योजनाएं बनाई गई. 5 लाख रुपए का पुरस्कार भी रखा गया है.
आचार संहिता लागू, जानिए क्या होता है मतलब?
चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही कर्नाटक में आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई है. आचार संहिता एक तरह का दिशा-निर्देश होता है, जो राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर लागू होता है. चुनाव से संबंधित किसी भी तरह का एक्शन इसी में आता है.
आचार संहिता के दौरान बिना परमिशन प्रचार-प्रसार करना भी प्रतिबंधित रहता है. इस दौरान सभी सरकारी अधिकारी और कर्मचारी आयोग के निर्देश पर ही काम करते हैं. आचार संहिता उल्लंघन पर आयोग ही सजा देती है. चुनाव की तारीख से लेकर रिजल्ट तक आयोग का फैसला ही सर्वोपरि माना जाता है.
कर्नाटक चुनाव में अहम नेता कौन हैं?
कर्नाटक में मुख्य रूप से 3 पार्टियां चुनावी मैदान में हैं. इसलिए इन पार्टियों के नेता ही बड़ी भूमिका चुनाव में निभा रहे हैं. आइए जानते हैं कर्नाटक में इस बार अहम नेता कौन-कौन हैं?
बीजेपी- बासवराज बोम्मई, बीएस येदिरुप्पा, सीटी रवि, प्रह्लाद जोशी, केएस ईश्वरप्पा और तेजस्वी सूर्या.
कांग्रेस- मल्लिकार्जुन खरगे, एस सिद्धरमैया, डीके शिवकुमार, जी परमेश्वर, दिनेश गुंडूराव और प्रियांक खरगे.
जेडीएस- एचडी देवगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी, एचडी रेवन्ना, सीएम इब्राहिम और जीटी देवेगौड़ा.
अन्य- जनार्दन रेड्डी, एम फैजी.
वोट डालने के लिए बूथ पर कब जाना है?
कर्नाटक में सुबह 7 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक मतदान कराया जाएगा. कुछ जगहों पर आयोग सुरक्षा को देखते हुए टाइमिंग में बदलाव कर सकता है. वहीं शाम 5 बजे तक जो भी मतदाता कतार में लग जाते हैं, वो वोटिंग कर सकता है.
कर्नाटक की वीआईपी सीटें
कर्नाटक में वीआईपी सीटों की संख्या सीमित ही है. राज्य की वरुणा और कोलार सीट पर पूर्व सीएम सिद्धरमैया चुनाव लड़ेंगे. इसलिए इसे वीआईपी माना जा रहा है.
इसके अलावा चितपुर (प्रियंक खरगे), हुबली (जगदीश शेट्टार), शिगांव (बासवराज बोम्मई), शिकारिपुरा (येदिरुप्पा) और बेल्लारी सीट को वीआईपी माना जा रहा है. डीके शिवकुमार की सीट कनकपुरा और एचडी कुमारस्वामी की सीट चनपट्टना को भी वीआईपी सीट माना जा रहा है.
वोट डालने के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत है?
वोट डालने के लिए सबसे पहले वोटिंग लिस्ट में नाम होना जरूरी है. इसके बिना आप वोट नहीं कर सकेंगे. इसके बाद आपके पास फोटो वोटर स्लिप या मतदाता पहचान पत्र होना जरूरी है. साथ में कोई भी सरकारी दस्तावेज जिस पर आपका नाम और तस्वीर लगा हो लेकर वोट डाल सकते हैं.
कर्नाटक में किंगमेकर कौन?
कर्नाटक में 1990 के बाद से तीन पार्टियों के बीच मुकाबला होता रहा है. जेडीएस इसके बाद कई बार किंगमेकर की भूमिका निभा चुकी है. इस बार बीजेपी के वयोवृद्ध येदिरुप्पा भी पार्टी को जीताने में लगे हैं.
कर्नाटक में बीजेपी के लिए येदि भी किंगमेकर की भूमिका निभा रहे हैं. इसके अलावा बेल्लारी बंधु के नाम से मशहूर जनार्दन जी रेड्डी भी किंगमेकर बनने की तैयारी में हैं.
2018 के बाद किन बड़े नेताओं ने पाला बदला?
कर्नाटक में पिछले 5 साल में दलबदल का खेल जमकर चला है. कांग्रेस के रौशन बेग, रमेश जर्किहोलि जैसे बड़े नेता पाला बदल चुके हैं. बीजेपी के विधायक मनोहर आइनापुर और नंजुदस्वामी भी कांग्रेस में जा चुके हैं. कांग्रेस के कई नेता जेडीएस का दामन थाम चुके हैं. इनमें सीएम इब्राहिम का नाम प्रमुख है.
कर्नाटक में कितने सीटें आरक्षित, आबादी क्या है?
224 सीटों वाली कर्नाटक में 51 सीटें आरक्षित है. आयोग के मुताबिक 36 सीटें अनुसूचित जाति और 15 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई है. आबादी की बात करें तो राज्य में 84 फीसदी हिंदू और 12 फीसदी मुसलमान है. ईसाई 1.87 फीसदी और अन्य 1.10 फीसदी है.
कर्नाटक में लिंगायत और वोक्कलिगा वोटर्स सबसे अधिक प्रभावी हैं. राज्य में लिंगायत मतदाता 14 फीसदी और वोक्कलिगा 11 फीसदी है. एससी-एसटी वोटर्स राज्य में 24 फीसदी के आसपास है.
ओपिनियन पोल क्या कहता है?
एबीपी और सी वोटर्स ने मिलकर कर्नाटक का ओपिनियन पोल जारी किया है. पोल के मुताबिक कर्नाटक में 39 फीसदी लोगों ने कांग्रेस की सरकार बनाने की बात कही, जबकि 34 फीसदी लोग राज्य में फिर से बीजेपी की सत्ता लाने के पक्षधर थे. 17 फीसदी लोगों जेडीएस को समर्थन देने की बात कही है.
सर्वे में पुराने मैसूरू और ग्रेटर बेंगलुरू में कांग्रेस को बढ़त मिल रहा है. इससे पहले कांग्रेस ने एक इंटर्नल सर्वे कराया था, जिसमें पार्टी को 140 सीटें मिल रही थी.