कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब काफी कम समय बचा है. नामांकन के बाद जहां एक तरफ चुनाव प्रचार उफान पर है. वहीं दूसरी तरफ सियासी मैदान भी जंग का अखाड़ा बना हुआ है. इस वक्त राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा नेताओं के भाषा की टूटती मर्यादा बन गया है.
दरअसल नेताओं और राजनीतिक दलों का एक दूसरे पर लगाए जा रहे आरोप प्रत्यारोप से शुरू हुआ चुनाव प्रचार, अब भद्दी और व्यक्तिगत टिप्पणियों में बदल चुका है. जहां एक तरफ कांग्रेस के सबसे शीर्ष पद पर बैठे मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री की तुलना 'जहरीले सांप' से करके सियासी बवाल मचा दिया है. तो वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक ने भी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को 'विषकन्या' कहकर पलटवार किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते शनिवार यानी 29 अप्रैल को कर्नाटक की अपनी पहली चुनावी रैली में आरोप लगाया कि कांग्रेस ने अब तक उन्हें 91 बार अलग-अलग गालियां दी हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या चुनाव से इतने कम समय में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का पीएम मोदी को लेकर ऐसा बयान देना पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
राजनीति विज्ञान के प्रो. प्रवीण मिश्र ने एबीपी को बताया, कर्नाटक चुनाव में अब तक दोनों पक्षों की तरफ से कई गलत बयानबाजियां की गई है. चुनाव प्रचार के दौरान आपत्तिजनक टिप्पणी या भद्दे कमेंट करना राजनीतिक दलों के लिए कोई नई बात नहीं है लेकिन ये कहना गलत नहीं होगा कि बीजेपी को किसी भी बयान को बड़ा मुद्दा बनाकर जनता से सहानुभूति बटोरना अच्छे से आता है. ऐसे में मल्लिकार्जुन खरगे के इस बयान का बीजेपी को थोड़ा फायदा तो जरूर मिल सकता है.
प्रो. प्रवीण ने कहा, 'पीएम मोदी पर अब तक जितने भी विवादित टिप्पणी की गई है उसे बीजेपी ने बड़ा मुद्दा बनाया है. फिर चाहे वह 'चाय वाला' बयान हो या 'मौत के सौदागर' वाला. चुनाव के दौरान इस तरह की टिप्पणियां सिर्फ लोगों को असल मुद्दों से भटकाने के लिए और माहौल को और ज्यादा खराब करने के लिए की जाती है.
कई बार विवादित बयानों से कांग्रेस को उठाना पड़ा है नुकसान
अब से पहले कांग्रेस नेताओं ने जब भी पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है, वो उन पर उल्टा ही पड़ा है. साल 2017 में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने प्रधानमंत्री मोदी को 'नीच इंसान' कहकर संबोधित किया था. जिसके जवाब में पीएम मोदी ने कहा था, 'आपने हमें नीच कहा, निचली जाति का कहा. ये चुनाव के नतीजे दिखाएंगे कि गुजरात के बेटे को ऐसा कहना कितना भारी पड़ेगा.'
इस चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और सत्ता परिवर्तन के बेहद करीब पहुंची कांग्रेस के हाथ से मौका चला गया. उस वक्त भारतीय जनता पार्टी 99 सीट पाकर सत्ता में आई थी.
इसके पहले कांग्रेस नेता अय्यर पीएम मोदी को चाय वाला भी बोल चुके थे. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उस साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को अय्यर के ऐसे बयानबाजी का भारी खामियाजा उठाना पड़ा था.
क्या है मल्लिकार्जुन खरगे का बयान जिस पर बवाल मचा हुआ है
27 अप्रैल को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खरगे कलबुर्गी पहुंचे थे. वहां चुनावी रैली में उन्होंने कहा, 'मोदी जहरीले सांप की तरह हैं. आप इसे जहर समझें या न समझें, लेकिन अगर आप इसे चखेंगे तो मर जाएंगे. आप सोच सकते हैं कि क्या यह सही में जहर है? मोदी एक अच्छे इंसान हैं, उन्होंने जो दिया है, उसे हम देखेंगे. आप जैसे ही इसे चाटेंगे, तो पूरी तरह से सो जाएंगे.'
बीजेपी ने खरगे के इस बयान की निंदा की और कांग्रेस पर जमकर पलटवार किया. पीएम मोदी ने भी खरगे के इस टिप्पणी के बाद कर्नाटक में अपनी पहली चुनावी रैली में बताया कि कांग्रेस ने उन्हें 91 बार गाली दी है.
हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी सफाई में यह भी कहा है कि उन्होंने बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा को लेकर ऐसा बयान दिया, न कि किसी पर व्यक्तिगत टिप्पणी की.
कांग्रेस पहले भी पीएम मोदी पर दे चुकी है विवादित बयान
मौत का सौदागर: सोनिया गांधी ने साल 2007 में होने गुजरात विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें 'मौत का सौदागर' कह दिया था. सोनिया गांधी ने कहा था कि गुजरात की सरकार चलाने वाले झूठे, बेईमान, मौत के सौदागर हैं. मोदी उस वक्त उस राज्य के मुख्यमंत्री थे.
जहर की खेती: राहुल गांधी ने साल 2014 में लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कहा था, 'मोदी जहर की खेती करते हैं'. हालांकि इस चुनाव जबरदस्त मोदी लहर बनी और भारतीय जनता पार्टी अकेले 278 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. कांग्रेस को 44 सीटों से ही संतुष्टी करना पड़ा था.
चायवाला पीएम नहीं बनेगा: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने साल 2014 में एक ऐसा विवादित बयान दे दिया था कि बीजेपी ने उस बयान को ही चुनावी मुद्दा बना लिया था. दरअसल कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था- मोदी कांग्रेस दफ्तर के बाहर चाय बेचें. वह चायवाला क्या प्रधानमंत्री बनेगा!'
नीच इंसान: कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने साल 2017 में पीएम मोदी को 'नीच इंसान' कहा था. जिसे बीजेपी और पीएम मोदी ने जमकर भुनाया. प्रधानमंत्री मोदी इस बयान पर पलटवार करते हुए गुजरात में एक जनसभा में कहा था, 'आपने हमें नीच कहा, निचली जाति का कहा. ये 18 तारीख को नतीजे ही दिखाएंगे कि गुजरात के बेटे को ऐसा कहना कितना भारी पड़ेगा.'
मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर बीजेपी के किस नेता ने क्या कहा
पीएम नरेंद्र मोदी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मल्लिकार्जुन खरगे के 'जहरीले सांप' वाले बयान पर प्रहार करते हुए कहा, 'लोग कांग्रेस की गालियों का जवाब वोटों से देंगे और कांग्रेस नेता बीजेपी पर जितना कीचड़ उछालेंगे, उतना ही कमल खिलेगा.'
अमित शाह: अमित शाह ने भी खरगे और कांग्रेस पर निशाने साधते हुए कहा, 'पार्टी और उसके नेताओं का दिमाग खराब हो गया है. दुनिया भर में प्रधानमंत्री का बहुत सम्मान के साथ स्वागत किया जाता है, कांग्रेस इस तरह के बयानों से लोगों को भड़का नहीं सकती है, क्योंकि प्रधानमंत्री के लिए समर्थन उतना ही बढ़ेगा, जितना वे उन्हें गाली देंगे. '
राजनाथ सिंह: चुनावी राज्य में एक रैली को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, 'पीएम कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि अपने आप में एक संस्था हैं. जिस तरीके से कांग्रेस नेता प्रधानमंत्री पर निजी हमले कर रहे हैं, वे स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था के टुकड़े कर रहे हैं.'
स्मृति ईरानी: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पलटवार करते हुए कहा, 'ये पहली बार नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी पर कांग्रेस के किसी नेता ने अभद्र टिप्पणी की हो. ऐसी टिप्पणी से उन्होंने ये सुनिश्चित कर दिया है कि कांग्रेस की कर्नाटक चुनाव में हार पक्की है. ये शब्द भले ही खरगे जी के हों, लेकिन ये आस्था, ये विष गांधी खानदान का है जो उगला जा रहा है.'
दक्षिण के राज्यों पर पकड़ बनाना क्यों है बीजेपी के लिए जरूरी
कर्नाटक में बीजेपी का अच्छा प्रदर्शन लोकसभा चुनाव के लिहाज से भी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. दरअसल भारतीय जनता पार्टी ने मिशन 2024 के लिए दक्षिण के पांच राज्यों पर अपना पूरा फोकस रखा है. पार्टी न सिर्फ कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना चाहती है बल्कि दक्षिण के तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भी बीजेपी की पूरी नजर है. इन राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं.
पार्टी का दक्षिण राज्यों में पकड़ बनाना इसलिए जरूरी है क्योंकि उत्तर और पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी एक मजबूत पार्टी के तौर पर खुद को स्थापित कर चुकी है. दक्षिण में ही बीजेपी अब तक कमजोर है. वर्तमान में बीजेपी के पास इन पांच राज्यों के 129 सीटों में से सिर्फ 29 सीटें हैं. इन 29 सीटों में से 4 सीटें तेलंगाना में जीती थी लेकिन शेष सीटें कर्नाटक में हासिल हुई थीं. इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल ये ऐसे प्रदेश हैं जहां बीजेपी से अब तक कोई भी उम्मीदवार जीतकर संसद नहीं पहुंचा है. इसलिए भाजपा यहां ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करना चाहती है.
वर्तमान में कर्नाटक में किसका पलड़ा भारी
कर्नाटक में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले हुए 'मेगा ओपिनियन पोल' के आंकड़ों की मानें तो राज्य में कांग्रेस की सरकार के आसार नजर आ रहे हैं तो बीजेपी का किला ध्वस्त होता दिख रहा है. जेडीएस का ग्राफ काफी नीचे नजर आया है.
सी वोटर के ओपिनियन पोल के अनुसार, जिसमें 17,772 लोगों की राय ली गई है. आंकड़े बताते हैं कि कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों में से सबसे ज्यादा 107 से 119 सीटें कांग्रेस के पाले में जा सकती हैं. बीजेपी को 74 से 86 सीटें मिल सकती हैं और जेडीएस के खाते में 23 से 35 जा सकती है. वहीं, अन्य को 0 से 5 सीटें मिलती हुई दिखाई गई हैं.