कौन हैं कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार जिनकी गिरफ्तारी से मचा है बवाल?
कर्नाटक में कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार को ईडी ने चार दिन की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया, उन्हें आज कोर्ट में पेश किया जाएगा. ईडी ने कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को मंगलवार रात मनी लॉन्डरिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया है.

नई दिल्ली: पी चिदंबरम के बाद अब कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता ईडी के जाल में फंस गए हैं. कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता डी के शिवकुमार को ईडी ने 4 दिनों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया. डीके शिवकुमार को मनी लॉन्डरिंग के एक मामले में गिरफ्तार किया गया है और उन्हें आज ईडी की विशेष अदालत में पेश किया जाएगा. डीके शिवकुमार की गिरफ्तारी को कांग्रेस राजनीति से प्रेरित और अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला कदम बता रही है.
किस मामले में गिरफ्तार हुए हैं डीके शिवकुमार? साल 2017 में आयकर विभाग ने शिवकुमार के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी, दिल्ली में उनके एक ठिकाने से करीब 8 करोड़ नकद भी मिले. आयकर विभाग ने कोर्ट में चार्जशीट दायर की और ईडी ने डी के शिवकुमार पर मनी लॉन्डरिंग केस में मुकदमा दर्ज किया. जिसके बाद डीके शिवकुमार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उस दौरान कोर्ट से उन्हें राहत मिल गई. कोर्ट में हार के बाद ईडी ने उन्हें 4 दिन पहले ही बेंगलूरु से दिल्ली पूछताछ के लिए बुलाया, पूछताछ के दौरान ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
एचडी देवगौड़ा के खिलाफ की राजनीति की शुरुआत कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार पार्टी के लिए संकट मोचक के तौर पर देखे जाते हैं. जब-जब पार्टी पर किसी भी तरह का कोई संकट आया तो डीके शिवकुमार ढाल बनकर खड़े रहे हैं. उन्हें राज्य में कांग्रेस के चाणक्य के तौर पर भी कहा जाता है. सिद्धारमैया सरकार में डोड्डालाहल्ली केम्पेगौड़ा शिवकुमार ऊर्जा मंत्री रहे. डीके शिवकुमार वोकालिग्गा समुदाय से आते हैं. वह कर्नाटक की राजनीति में डीकेएस के नाम से चर्चित हैं. जेडीएस के नेतृत्व में सरकार बनाने में अहम रोल निभाने वाले शिवकुमार की राजनीति की शुरुआत 1985 मुख्यमंत्री कुमारस्वामी के पिता एचडी देवेगौड़ा के खिलाफ हुई थी.
840 करोड़ के मालिक, पांच साल में बढ़े 590 करोड़ डीके शिवकुमार को कर्नाटक के सबसे रईस राजनेताओं में से एक माना जाता है. साल 2018 में उनकी कुल संपत्ति 840 करोड़ थी. उनके चुनावी हलफनामे के मुताबिक साल 2013 में उनकी संपत्ति 251 करोड़ थी. यानी पांच साल में डीके शिवकुमार की संपत्ति में करीब 590 करोड़ का इजाफा हुआ. साल 2008 में शिवकुमार ने कर्नाटक की रामनगर सीट से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की. 2013 में भी उन्होंने इसी सीट से भारी संख्या वोट हासिल कर चुनाव जीता.
कांग्रेस-जेडीएस सरकार बचाने के लिए लगाया जोर लेकिन नाकाम रहे इसी साल जुलाई में कर्नाटक में उठे राजनीतिक संकट के दौरान डीके शिवकुमार ने बेहद अहम भूमिका निभाई. उन्होंने पार्टी से नाराज विधायकों को ना सिर्फ मनाया बल्कि उन्हें साथ जोड़े रहने का भी प्रयास किया. हालांकि कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार ने एक लंबे नाटक के बाद सदन में बहुमत खो दिया और बीजेपी के बीएस येदुरप्पा मुख्यमंत्री बने.
कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन में अहम भूमिका, पर्दे के पीछे से खेला पूरा खेल मई 2018 में डीके शिवकुमार का कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन करवाने में पर्दे के पीछे से अहम रोल था. 15 मई को आए नतीजों में किसी को बहुमत नहीं मिला, लेकिन येदुरप्पा ने बड़ी पार्टी होने के आधार पर सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया, हालांकि, सीएम पद की शपथ लेने के बाद येदुरप्पा ने फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इसके बाद कांग्रेस-जेडीएस मे गठबंधन कर सरकार बनाई. इस गठबंधन के लिए शिवकुमार ने दो निर्दलीय विधायकों को अपने पाले में किया. इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस विधायकों को टूट से बचाने के लिए एग्लेटन रिसॉर्ट में रखा.
अगले पांच दिन तक शिवकुमार ने सभी विधायकों को उसी रिसॉर्ट में रखा. बाद इन विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट की ओर से फ्लोर टेस्ट समय से पहले कराने के आदेश के बाद सभी विधायक वापस वौटे. दो लापता विधायकों प्रताप गौड़ा पाटिल और आनंद सिंह को भी शिवकुमार ने ट्रैक किया. इसके साथ ही फ्लोर टेस्ट से ठीक पहले उन्हें विधानसभा पहुंचाया गया.
अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव में निभाया अहम रोल 2017 के गुजरात में कांग्रेस नेता अहमद पटेल के राज्यसभा चुनाव के लिए भी कांग्रेस ने डीके शिव कुमार को मैदान में उतारा. शिवकुमार ने अपने रणनीतिक कौशल और अनुभव से अहमद पटेल की जीत सुनिश्चित की. शिवकुमार ने 44 कांग्रेस विधायकों को पार्टी के खिलाफ जाने से बचाने के लिए उन्हें कर्नाटक के रिसॉर्ट में रखा. दरअसल इस तरह के आरोप लगाए जा रहे थे कि बीजेपी इन विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है.
जब डीके शिवकुमार ने बचाई विलासराव देशमुख की सरकार साल 2002 में महाराष्ट्र में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन टूट की कगार पर था. मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री एसएम कृष्णा से मदद मांगी. एसएम कृष्णा के निर्देश पर डीके शिवकुमार ने कांग्रेस-एनसीपी विधायकों को एक हफ्ते के लिए एग्लेटन रिसॉर्ट में रखा और विश्वास मत पर वोटिंग के दिन उन्हें वापस महाराष्ट्र पहुंचाया गया. विलासराव देशमुख की सरकार बच गई और डीके शिवकुमार की एंट्री गांधी परिवार के विश्वासपात्रों में हो गई.
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