नई दिल्ली. किसान आंदोलन की इस वक्त न सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी चर्चा है. मोदी सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित कई प्रदेशों के किसान शामिल हैं. आज हम आपका परिचय करवाते हैं किसानों का प्रतिनिधित्व कर रहे कुछ प्रमुख चेहरों से.


सुरजीत सिंह फूल- भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के 75 वर्षीय नेता फूल इस आंदोलन के सबसे चर्चित चेहरा हैं. उन्हें 2009 में पंजाब सरकार ने माओवादियों से संबंध के आरोप में यूएपीए लगा दिया था और कड़ी पूछताछ की थी. फूल ने ही बुराड़ी जाने के अमित शाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.


हन्नन मोल्लाह- ऑल इंडिया किसान सभा के 74 वर्षीय मोल्लाह सीपीएम से जुड़े हुए हैं. 16 साल की उम्र में सीपीएम ज्वाइन किया और पोलित ब्यूरो तक पहुंचे.


बोघ सिंह मंशा- 68 वर्षीय बोघ सिंह मंशा भारतीय किसान यूनियन के नेता हैं. पंजाब में छात्र नेता के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले मंशा पिछले 42 सालों से किसान आंदोलन से जुड़े हुए हैं.


जोगिंदर सिंह- 75 वर्षीय जोगिंदर सिंह राजनीति में आने से पहले इंडियन आर्मी में सेवा दे चुके हैं. जोगिंदर सिंह उन चंद नेताओं में शामिल हैं जिनसे गृह मंत्री अमित शाह ने बुराड़ी में आंदोलन करने के लिए बात की थी.


डॉ. दर्शन पाल- मालवा क्षेत्र में सक्रिय क्रांतिकारी किसान यूनियन के 70 वर्षीय नेता दर्शन पाल पंजाब सिविल मेडिकल सर्विस से रिटायर होने के बाद खेती करने लगे. उन्होंने किसान आंदोलनों में 2007 के दौरान हिस्सा लेना शुरू किया. कोरोना काल में उन्हें क्रांतिकारी किसान यूनियन का प्रेसीडेंट बना दिया गया.


कुलवंत सिंह संधु - सीपीएम के छात्र विंग एसएफआई से अपनी राजनीति शुरू करने वाले 65 साल के संधु ने पंजाब में अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी. जलंधर के रुरका कलां गांव के सरपंच चुने गए. अलगाववादियों ने उनके एक पैर में गोली मार दी थी. 2001 में उन्होंने सीपीएम छोड़ दिया.


बूटा सिंह बुर्ज गिल- भारतीय किसान यूनियन के 66 वर्षीय बूटा सिंह इस आंदोलन में अहम भूमिका निभा रहे हैं. बूटा सिंह उन नेताओं में शामिल थे जो 1984 में राजभवन के घेराव में शामिल थे. लंबे समय से कृषि आंदोलनों में शामिल रहे हैं.


निर्भय सिंह दूधिके- 70 साल के निर्भय सिंह कीर्ति किसान यूनियन के नेता हैं. 1972 में पंजाब के मोगा में दो छात्रों की हत्या के विरोध में हुए आंदोलन में सबसे पहले चर्चा में आए. आपातकाल के दौरान 19 महीने जेल में रहे. इसके बाद उन्होंने 1980 में सीपीएम ज्वाइन कर लिया.


बलदेव सिंह निहालगढ़- कुल हिंद किसान सभा के 64 वर्षीय नेता सीपीआई से जुड़े हुए हैं. उन्होंने यूथ विंग के साथ राजनीति की शुरूआत की. सीपीआई के ही किसान संगठन ऑल इंडिया किसान सभा से जुड़े. वामपंथी विचारधारा के बड़े किसान नेता के तौर पर बलदेव सिंह निहालगढ़ का नाम इस आंदोलन में बेहद प्रमुखता से सामने आ रहे हैं.