Bulldozer Demolition Law In UP: जानिए यूपी में किसी भी घर पर बुलडोजर चलाने को लेकर क्या कहता है कानून?
उत्तर प्रदेश में 1973 से अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट लागू है. जिसमें बताया गया है कि किस मकान को तोड़ा जा सकता है, मकान गिराने से पहले क्या प्रक्रिया है?
Demolition In UP: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के बुलडोजर का खौफ अपराधियों को सताने लगा है. कहीं बुलडोजर (Bolldozer) चल रहा है तो कहीं बुलडोजर के डर से अपराधी (Criminals) सरेंडर कर रहे हैं. हाल ही में प्रयागराज में हुई हिंसा (Prayagraj Violence) के मास्टरमाइंड कहे जा रहे जावेद अहमद उर्फ जावेद पंप (Javed Pump) के मकान पर भी बुलडोजर चालकर उसे ढहा दिया गया. यूपी सरकार की इस कार्रवाई पर अब सवाल उठने लगे हैं. जावेद के परिवार समेत कई नेताओं ने प्रशासन की इस कार्रवाई को अवैध और गैरकानूनी बताया है. यूपी में बुलडोजर को लेकर बढ़ते खौफ के बीच अब ये जानना आवश्यक है कि बुलडोजर का और कैसे चलता है? इसके क्या नियम हैं? क्या प्रशासन किसी भी मकान या घर को ऐसे तोड़ या ढहा सकता है? आइए जानते हैं क्या कहता है कानून-
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 1973 से अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट (Urban Planning And Development Act) लागू है. जिसमें बताया गया है कि किस मकान को तोड़ा जा सकता है, मकान गिराने से पहले क्या प्रक्रिया है? साथ ही इस कानून में ये भी बताया गया है कि जिस व्यक्ति का घर गिराया जा रहा है, उसके पास क्या अधिकार हैं?
इन दो स्थिति में होती है कार्रवाई
कानून में निहित धारा के अनुसार, यदि कोई भी मकान या घर बिना प्रशासन की मंजूरी, सरकारी जमीन पर कब्जा करके, नियमों का उल्लंघन करके बनाया गया है या निर्माण किया जा रहा है तो प्रशासन उसे ध्वस्त करने का आदेश जारी कर सकता है.
प्रशासन जब एक बार किसी मकान या अवैध निर्माण को गिराने का आदेश जारी करता है तो ये काम 15 से लेकर 40 दिन के भीतर पूरा कर लिया जाता है. साथ ही इस पूरी कार्रावई का खर्च भी मालिक या उससे वसूला जाएगा जो ये काम कर रहा है. नियम के अनुसार इस वसूली के खिलाफ किसी भी सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती.
मकान या अवैध निर्माण ध्वस्त करने के लिए बाकायदा लेखपाल, कानूनगो, एसडीएम, तहसीलदार से लेकर जिला प्रशासन की रिपोर्ट लगाई जाती है. साथ ही स्थानीय पुलिस बल को तैनात किया जाता है. तब जाकर बुलडोजर से किसी अवैध निर्माण को गिराने की प्रक्रिया शुरू की जाती है.
एक दूसरी स्थिति में बुलडोजर से किसी मकान या घर को उस समय गिराया जाता है जब अपराध करने के बाद अपराधी लगातार फरार रहता है. अपराधी कानूनी प्रक्रिया और वारंट के बाद भी सरेंडर नहीं करता है तब प्रशासन उसकी आपराध से कमाई संपत्ति को कुर्क करने का आदेश मिलने के बाद बुलडोजर चलाने की कार्रवाई को करता है.
क्या है मकान मालिक के अधिकार
ऐसा नहीं है कि प्रशासन एकाएक किसी के भी मकान पर बुलडोजर चलाने का आदेश जारी कर देता है. प्रशासन जब किसी इमारत या मकान को गिराने के लिए आदेश जारी करता है, तो उसके मकान मालिक को कारण बताया नोटिस भी जारी किया जाता है.
किसी घर को गिराने को लेकर जारी आदेश के 30 दिन के भीतर घर का मालिक प्राधिकर के चेयरमैन के सामने घर नहीं गिराए जाने की अपील कर सकता है. चेयरमैन अपील पर सुनवाई करने के बाद आदेश में कुछ बदलाव या फिर उसे रद्द भी कर सकता है. आपको बता दें कि हर हाल में चेयरमैन का फैसला ही अंतिम माना जाता है. साथ ही चेयरमैन के फैसले को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.
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