भारत में हर 30 मिनट पर एक हाउसवाइफ ले रही है अपनी जान, जानिये क्या है वजह
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2021 में 23,178 गृहिणियों (House Wife) ने आत्महत्या की थी. ये संख्या खुदकुशी करने वाली कुल संख्या का 14.1 प्रतिशत है.

पिछले महीने यानी जुलाई में आंध्र प्रदेश की पूर्व सीएम एनटी रामा राव की बेटी उमा माहेश्वरी ने खुदकुशी कर ली थी उमा की बेटी की हाल ही में शादी हुई थी. उनकी मौत के वक्त उनके घर में कोई नहीं था. पुलिस ने आशंका जताई कि उनके सुसाइड का कारण डिप्रेशन हो सकता है. वहीं अगस्त महीने की शुरुआत में ही उत्तर प्रदेश के कासगंज में थानेदार की पत्नी ने थाना परिसर में तमंचे से गोली मारकर आत्महत्या कर ली, कारण अकेलापन और डिप्रेशन.
देश में हर दिन घरेलू हिंसा, अकेलापन, डिप्रेशन और मेंटल हेल्थ की वजह से गृहणियां आत्महत्या करने जैसे फैसले लेने पर मजबूर हो रही हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के हालिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2021 में 23,178 गृहिणियों (House Wife) ने आत्महत्या की थी. ये संख्या खुदकुशी करने वाली कुल संख्या का 14.1 प्रतिशत है. आत्महत्या करने वाली महिलाओं में सबसे ज्यादा संख्या हाउसवाइफ की ही है. इसके बाद छात्राएं (5,693) और दैनिक वेतन भोगी (4,246) शामिल हैं. इसी रिपोर्ट के अनुसार हर दिन लगभग 63 महिलाएं और हर 30 मिनट में एक गृहणी ने खुदकुशी की है.
वहीं पिछले साल की बात करें तो साल 2020 में कुल 153,052 आत्महत्याएं हुई थी जिसमें 14.6 प्रतिशत गृहणियां थीं. रिपोर्ट की माने तो इन आत्महत्याओं का सबसे बड़ा कारण पारिवारिक समस्या, अकेलापन और शादी से जुड़े मसले हैं. लेकिन इस बीच ये सवाल भी उठता है कि आखिर घर संभालने वाली महिलाएं किस वजह से आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठा रहीं हैं? डिप्रेशन या अकेलापन खुद पर हावी होने लगे तो हमें क्या करना चाहिए.
खुदकुशी करने वालों में से 66.9 परसेंट यानी 1,64,033 में से 1,09,749 विवाहित थे और 24.0 प्रतिशत अविवाहित यानी 39,421 लोग थे. साल 2021 के दौरान विधवा व विधुर, तलाकशुदा, जीवनसाथी से अलग रहने वाले कुल आत्महत्या पीड़ित क्रमश: 2,485, 788 और 871 थे.
इस सवाल का जवाब देते हुए गंगाराम अस्पताल की कंसलटेंट मनोचिकित्सक आरती आनंद ने कहा कि, खुदकुशी चाहे छात्र करें या बुजुर्ग दुखद तो है, मैंने देखा है कि ज्यादात्तर गृहणियां घरेलू हिंसा से परेशान होकर ऐसे कदम उठाती है. इसके अलावा और भी बहुत से कारण है जो महिलाओं की सहनशक्ति को तोड़ता है. वहीं शहर में रहने वाली गृहणियां अकेलेपन की शिकार हैं. उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाओं के पास बातचीत करने के लिए कोई दोस्त नहीं होता. शहर का कल्चर ही कुछ ऐसा है कि यहां लोग अपनी व्यस्तता के बीच दोस्त बनाने या किसी से उनके मन में क्या चल रहा इसपर बातचीत करने में पीछे रह जाते हैं.
उन्होंने कहा कि आमतौर पर महिलाओं को काफी सहनशील माना जाता है, लेकिन इंसान चाहे पुरुष हो या महिला, बच्चे हो या बुजुर्ग सहने की भी एक सीमा होती है." इसके अलावा एक और कारण कम उम्र में शादी हो जाना भी है. शादी के बाद केवल घर संभालने वाली महिलाओं के एंबीशंस धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं और उनके अंदर एक खालीपन और निराशा छाने लगती है. ऐसे समय में सबसे जरूरी है कि आपके साथ कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसके साथ आप बिना सोचे समझे मन की बात कर सकें. दूसरी बात जो सबसे जरूरी है वो ये कि कोई भी अगर आपसे अपने मन की बात या दिक्कतें शेयर करना चाह रहा हो तो हमें उनकी आलोचना करने के बजाय बात सुननी चाहिए.
डॉक्टर ने कहा कि आत्महत्या पर भी खुलकर बात होनी चाहिए. इसे नॉर्मली कलंक के तौर पर देखा जाता है और ज्यादाकर फैमली नहीं समझ पाते की उनके परिवार को संभालने वाली गृहणी अकेलेपन या किसी भी मानसिक तनाव की शिकार है. इसके अलावा आत्महत्या को छुपाने की कोशिश की जाती है. हमें जरूरत है इसपर खुलकर बात करने की. उन्होंने कहा कि ये तो शहरों में खुदकुशी के मामले सामने आ भी जाते हैं लेकिन ज्यादातर छोटे शहरों, गांव या कसबो में जब कोई हाउस वाइफ आत्महत्या करतीं हैं तो इस बात को छिपा लिया जाता है.
एक्सपर्ट ने कहा कि डिप्रेशन से जूझ रहे व्यक्ति की मदद के तौर पर हम ये कर सकते हैं कि उनकी बात सुन उन्हें जीवन के प्रति पॉजिटिव नजरिया और बेहतर फ्यूचर के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं. उन्हें अपने प्रेजेंट में रहने को कहें. उन्हें एक दैनिक दिनचर्या को फॉलो करने के लिए कहना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव बातों और लोगों के बीच रहने देना चाहिए. इन सब के बीच अगर आपका डिप्रेशन में है और सुसाइड के ख्याल आ रहे है तो मनोचिकित्सक की भी मदद ले सकते हैं. आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.
बता दें कि NCRB की ताजा रिपोर्ट के अनुसार देश में सुसाइड के मामलों में 2020 की तुलना में साल 2021 में 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021 में भारत में कुल 1,64,033 लोगों ने आत्महत्या की है. वहीं सबसे ज्यादा सुसाइड के मामले महाराष्ट्र राज्य में दर्ज किए गए हैं. महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु और मध्यप्रदेश में आत्महत्या के मामले में काफी बढ़त देखने को मिली है. रिपोर्ट में आत्महत्या के अलग अलग कारणों के बारे में भी बताया गया है. जिसमें पारिवारिक कलह सबसे बड़ी वजह बताई गई है. मानसिक बीमारी, नशे की लत, लव लाइफ से जुड़ी दिक्कतें भी आत्महत्या की वजहें बताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार केवल पांच राज्य महाराष्ट्र, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में सुसाइड के 50.4 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए हैं. बचे 49.6 % मामले अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के हैं.
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