21 दिनों से जम्मू बार एसोसिएशन के सदस्य हड़ताल पर, ये है वजह
जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग रजिस्ट्री के अधिकार अदालत से छीन कर राजस्व विभाग को देने के प्रशासन के फैसले के खिलाफ 21 दिन से बार एसोसिएशन की काम छोड़ो हड़ताल जारी है.
जम्मू: जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग रजिस्ट्री के अधिकार अदालत से छीनकर राजस्व विभाग को देने के प्रशासन के फैसले के खिलाफ 21 दिनों से बार एसोसिएशन की हड़ताल जारी है. जम्मू बार एसोसिएशन के प्रधान अभिनव शर्मा ने कहा कि पिछले 21 दिनों में बार एसोसिएशन ने जम्मू कश्मीर के चीफ जस्टिस, फाइनेंसियल कमिश्नर समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों से अपनी मांगो को लेकर बैठकें की है, लेकिन यह सभी बैठकें बेनतीजा रही.
अभिनव शर्मा ने कहा, "हमने सोमवार सुबह जम्मू की सिविल सोसाइटी, चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स, ट्रांसपोर्टरों, राजपूत सभा, ब्राह्मण सभा समेत कई अन्य संगठनो को बैठक में बुलाया है.'' उन्होंने कहा, ''इस बैठक में हम अपनी मांगो को मनवाने के लिए इन सभी संगठनो का सहयोग लेंगे."
अभिनव शर्मा ने दावा किया कि वो भारतीय संविधान और कानून का सम्मान करते हैं लेकिन अगर उनकी मांगे न मानी गयी तो वो अपनी मांगो के समर्थन में उग्र प्रदर्शन का रुख भी अपना सकते है. गौरतलब है कि जम्मू बार एसोसिएशन 4000 से अधिक वकीलों की संस्था है. संस्था पहली नवंबर से वकील दस्तावेज़ों की रजिस्ट्री करने का अधिकार अदालतों से छीन कर राजस्व विभाग को देने और हाईकोर्ट परिसर को नयी जगह ले जाने का विरोध कर रही है.
दरअसल जम्मू कश्मीर में दस्तावेज़ों की रजिस्ट्री के लिए जम्मू एंड कश्मीर रजिस्ट्रेशन एक्ट होता था. जिसमें राज्य सरकार को यह अधिकार था कि वह जिसे चाहे उसे दस्तावेज़ों की रजिस्ट्री का अधिकार दे सकती थी. राज्य सरकार ने चीफ जस्टिस को रजिस्ट्री करने के लिए नियुक्त किया था. यह अधिकार मिलने के बाद चीफ जस्टिस ने मजिस्ट्रेट को दस्तावेज़ों की रजिस्ट्री के अधिकार दिए और यह प्रथा जम्मू कश्मीर में 70 वर्षों से चली आ रही थी.
वकीलों का दावा है कि जो भी दस्तावेज़ रजिस्टर होते हैं चाहे वो सेल डीड, गिफ्ट डीड, मोर्टगेज डीड और लीज डीड हो उनमें कई कानूनी पेचीदगियां है जिनमें ट्रांसफर ऑफ़ प्रॉपर्टी एक्ट या रजिस्ट्रेशन एक्ट होता है. वकील और जज दोनों कानून के जानकार होते हैं तो ऐसे में इन दस्तावेज़ों को लेकर बाद में कोई मुकदमेबाज़ी नहीं होती थी.
Bharat Ki Baat में जानिए कश्मीर में कैसे पूरी हुई शांति की 'सेंचुरी', बुलंदियों की घाटी फिर हुई आबाद