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शराब का 'हैंगओवर' : चुनावी साल में 'कमीशन' का आरोप कैसे बना 3 राज्य सरकारों के लिए सिरदर्द?

दिल्ली शराब घोटाले में डिप्टी सीएम को सेंट्रल एजेंसी गिरफ्तार कर चुकी है. सुप्रीम कोर्ट में छत्तीसगढ़ सीएम भी केस में फंसाने की साजिश का आरोप लगा चुके हैं. तेलंगाना सीएम की बेटी भी ईडी की रडार पर है.

शराब का हैंगओवर सिर्फ पीने वालों को ही नहीं, कभी-कभी बेचने वालों को भी चपेट में ले लेता है. छत्तीसगढ़ और दिल्ली की सरकार इसका ताजा उदाहरण है. आम चुनाव से पहले शराब बेचने की प्रक्रिया जिस तरह विवाद के घेरे में है, उसने आप और कांग्रेस की टेंशन बढ़ा दी है.

दिल्ली शराब घोटाले में तो सरकार के डिप्टी सीएम को सेंट्रल एजेंसी गिरफ्तार भी कर चुकी है. छत्तीसगढ़ में भी मुख्यमंत्री को अपनी गिरफ्तारी का डर सता रहा है. सुप्रीम कोर्ट में छ्त्तीसगढ़ सरकार कह भी चुकी है कि मुख्यमंत्री को फंसाने की साजिश की जा रही है.

दिल्ली और छत्तीसगढ़ के अलावा तेलंगाना की सरकार भी शराब घोटाले की आंच में झुलस रही है और उसके बड़े नेता एजेंसी की रडार पर है.

छत्तीसगढ़ और तेलंगना में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में घोटाले पर सियासत भी खूब हो रही है. शराब घोटाला इन तीनों राज्यों की 35 लोकसभा सीटों पर भी असर डाल सकती है. 

इस स्टोरी में तीन राज्यों की सत्ताधारी दल कैसे शराब घोटाले की वजह से रडार पर हैं, इसके बारे में जानते हैं...


शराब का 'हैंगओवर' : चुनावी साल में 'कमीशन' का आरोप कैसे बना 3 राज्य सरकारों के लिए सिरदर्द?

बात पहले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की
दिल्ली में नई शराब पॉलिसी का मामला सबसे पहले जुलाई 2022 में विवादों में आया. उस वक्त दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एलजी वीके सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए गए थे. सक्सेना ने सीबीआई से इसकी जांच कराने के निर्देश दिए.

अगस्त 2022 में सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की. इसी महीने सीबीआई ने मामले में एक केस भी दर्ज किया. सीबीआई के पास मामला जाने के बाद दिल्ली सरकार ने नई पॉलिसी को रद्द कर दी. सरकार का कहना था कि एलजी के आदेश के बाद ही इसे लागू किया गया था.

नवंबर 2022 में दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से सीबीआई ने पूछताछ की. इसके बाद सीबीआई ने कई जगहों पर छापे मारे. फरवरी 2023 में सीबीआई ने सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया. सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद ईडी की इस केस में एंट्री हो गई.

बीजेपी ने पूरे मामले में आप सरकार को घेरा और कहा कि यह घोटाला 6000 करोड़ रुपए का है. हालांकि, ईडी और सीबीआई ने पूरा घोटाला कितने का है, उसको लेकर कोई खुलासा नहीं किया है. आम आदमी पार्टी पूरे घोटाले को मनगढ़ंत बता रही है और बीजेपी पर राजनीतिक द्वेष का आरोप लगा रही है. आम आदमी पार्टी ने शराब घोटाले के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है.

दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि  शराब घोटाला बीजेपी की राजनीतिक साजिश है. यह केवल केजरीवाल और 'आप' को बदनाम करने के लिए है.

केजरीवाल ने कहा कि कथित शराब घोटाले की स्किप्ट पीएमओ में लिखी गई है. इस कहानी को ईडी-सीबीआई को देकर उसे सबूत बनाने के लिए कहा गया. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईमानदारी पर बहुत बड़े-बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं. इसलिए प्रधानमंत्री को केजरीवाल की ईमानदारी बर्दाश्त नहीं हो रही है. 


शराब का 'हैंगओवर' : चुनावी साल में 'कमीशन' का आरोप कैसे बना 3 राज्य सरकारों के लिए सिरदर्द?

शराब घोटाले का आरोप क्यों?
सीबीआई और ईडी ने दिल्ली शराब घोटाले में अब तक कुल 8 चार्जशीट पेश कर चुकी है. सीबीआई एक मुख्य और 2 सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की है, जबकि ईडी ने एक मुख्य और 4 सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. ई़डी ने चार्जशीट में कहा कि बिचौलिए के जरिए सरकार कंपनियों को ठेका देने के एवज में पैसे लिए गए. 

ईडी ने शराब घोटाले मामले में दिल्ली आबकारी विभाग के 3 पूर्व अधिकारियों को भी रडार पर लिया है. इनमें पूर्व आबकारी आयुक्त एजी कृष्णा, पूर्व डिप्टी कमिश्नर आनंद तिवारी, असिस्टेंट कमिश्नर पंकज भटनागर का नाम शामिल हैं.

दिल्ली शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के कई और नेता सेंट्रल एजेंसी के निशाने पर हैं. इनमें मंत्री कैलाश गहलोत और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा का नाम प्रमुख है. सीबीआई ने इस मामले में 15 अप्रैल को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी पूछताछ का नोटिस भेजा था. 

आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव के बाद राष्ट्रीय पार्टी बन गई है और आगामी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. मध्य प्रदेश में हाल ही में नगर निकाय के चुनाव में मेयर सीट जीतकर आप ने बड़ी एंट्री की थी.

अब छत्तीसगढ़ का मामला क्या है?
ईडी ने मार्च 2023 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत कई जगहों पर एक साथ छापेमारी की थी. इसके बाद शराब घोटाले के बारे में खुलासा हुआ. ईडी के मुताबिक 2019-2022 तक 2000 करोड़ रुपए का शराब घोटाला छत्तीसगढ़ में हुआ है. 

छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में अब तक मुख्य रूप से अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी को गिरफ्तार किया गया है. आरोप है कि मार्च 2019 में अनवर ने छत्तीसगढ़ के शराब ठेकों पर अवैध शराब बेचने के लिए सभी ठेकेदारों के साथ मीटिंग किया.

इस मीटिंग में समानांतर तरीके से व्यवस्था चलाने की बात कही. ईडी के मुताबिक 2019 से 2022 तक शराब ठेकों पर 40 फीसदी अवैध शराब बेची गई. इसके बदले अनवर ने ठेकेदारों से कमीशन लिया. 

ईडी के मुताबिक कमीशन के पैसे को अनवर ऊपर तक पहुंचाता था यानी अनवर इस पूरे फर्जीवाड़े में अंतिम लाभार्थी नहीं था.


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कैसे होता था शराब बेचने में हेरफेर?
ईडी के मुताबिक राज्य सरकार शराब बेचने के लिए पूरे प्रदेश में 800 दुकानों को लाइसेंस दिया है. ढेबर ने मार्च 2019 में इन सब ठेकेदारों के साथ एक मीटिंग की और अवैध शराब सप्लाई करने की रणनीति तैयार की. अनवर के इस काम में आबकारी विभाग के अधिकारी अनिल टुटेजा ने भी मदद की.

ईडी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में सरकारी ठेकों पर शराब सप्लाई का काम छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड करती है. अनवर के कहने पर इस विभाग की कमान अरुणपति त्रिपाठी को सौंपी गई. इसके बाद अवैध सप्लाई का काम ने जोर पकड़ा.

ईडी के मुताबिक शराब के बोतलों पर फर्जी तरीके से स्टीकर लगाकर उसे दुकानों पर भेजा जाता था. इसके बदले हर बोतल पर 75 से 150 रुपए का कमीशन वसूला जाता था. कच्चे शराब के जरिए भी वसूली का काम किया जा रहा था.

छत्सीगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि यह राजनीति षड्यंत्र है और मुख्यमंत्री को फंसाने की साजिश की जा रही है. छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं, इसलिए घोटाले का जिक्र किया जा रहा है. 

छत्तीसगढ़ की 90 सीटों पर विधानसभा के चुनाव होने हैं. 2018 में कांग्रेस 71 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को 14 सीटें ही मिल पाई थी.

तेलंगाना कैसे आया रडार पर?
शराब घोटाले जांच की जद में तेलंगाना भी है. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता से जांच एजेंसी पूछताछ भी कर चुकी है. कविता बीआरएस से विधानपरिषद की सदस्य भी है.

दिल्ली शराब घोटाले में कविता के कनेक्शन को लेकर ईडी जांच कर रही है. ईडी के मुताबिक दिल्ली सरकार को जो कथित तौर पर 100 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई, उसमें कविता की भी भूमिका सामने आई है. 

ईडी का कहना है कि 100 करोड़ रिश्वत देने में साउथ की कंपनी कार्टेल भी शामिल थी, जिसमें कविता की हिस्सेदारी है. कंपनी के अरुण रामचंद्रन पिल्लई को सेंट्रल एजेंसी गिरफ्तार भी कर चुकी है. 

ED का आरोप है कि 'साउथ कार्टेल’ ने रिश्वत देकर दिल्ली की शराब नीति में बदलाव कराए और पैसे कमाए. साउथ कार्टेल में कथित तौर पर के कविता, मगनुनता श्रीनिवासलु रेड्डी और आंध्र प्रदेश की YSRCP पार्टी के एक सांसद शामिल थे.

वहीं कविता का कहना है कि बीजेपी के कहने पर सेंट्रल एजेंसी साजिश रच रही है. तेलंगाना में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. तेलंगाना की मुख्यमंत्री केसीआर भी इसे राजनीति बता चुके हैं.

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