बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता के सुरों के बीच जारी है 'अपनी ढपली-अपना राग'!
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी की अगुवाई में चल रहे एनडीए गठबंधन को रोकने के लिए विपक्ष का एक संयुक्त मोर्चा बनाने की बात हो रही है. लेकिन नेताओं की बातें आपस में मेल नहीं खा रही हैं.
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लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी की अगुवाई में चल रहे एनडीए गठबंधन को टक्कर देने के लिए दिल्ली से लेकर पटना और तेलंगाना से लेकर तमिलनाडु तक विपक्षी एकता के सुर के बीच अपनी ढपली, अपनी राग वाली कहानी भी है.
एक ओर जहां कांग्रेस 'भारत जोड़ो यात्रा' के जरिए सबको जोड़ने की बात कह रही है तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी विपक्षी एकता की बात से दूरी बनाते हुए 'मेक इंडिया नंबर वन' की शुरुआत की है.
इन सबके बीच बिहार में जेडीयू, कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने वाले आरजेडी नेता तेजस्वी ने राष्ट्रीय फलक पर महागठबंधन जैसे मोर्चे की बात तो की है लेकिन कांग्रेस को सलाह भी दे डाली है.
द हिंदू में छपे उनके इंटरव्यू के मुताबिक उन्होंने कहा है कि विपक्षी दलों में कांग्रेस के सबसे ज्यादा सीटे हैं. लेकिन उनका मानना है कि कांग्रेस की उतनी ही सीटों पर लड़ना चाहिए जहां वह बीजेपी से सीधे टक्कर में हैं. लेकिन जहां क्षेत्रीय पार्टियां मजबूत हैं जैसे बिहार में, कांग्रेस को उनको ही ड्राइविंग सीट पर बैठना चाहिए.
तेजस्वी ने आगे कहा कि बिहार में सभी पार्टियों ने मिलकर बीजेपी को अलग-थलग कर दिया है. राष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा हो सकता है. अब देखने वाली बात है जो कांग्रेस पूरे देशव्यापी यात्रा लेकर निकली है उसके रणनीतिकारों को तेजस्वी की ये सलाह कितनी पसंद आती है.
तेलंगाना राष्ट्रसमिति (टीआरएस) के नेता और सीएम के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर की भी आकांक्षाएं हिलोरे मार रही हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने एक रैली में सवाल किया कि क्या उनको राष्ट्रीय राजनीति में जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने देश भर में किसानों को बिजली-पानी फ्री करने का वादा भी कर डाला. इस समय वो गलवान में शहीद हुए सैनिकों के परिजनों को आर्थिक मदद का कार्यक्रम भी चला रहे हैं. इसी कड़ी में वह बिहार भी जा चुके हैं.
इसके बाद केसीआर ने एक नया राग भी छेड़ा है. के. चंद्रशेखर राव ने रविवार को कहा कि वह बहुत जल्द एक राष्ट्रीय पार्टी का गठन करेंगे और नीतियां तैयार करने पर काम जारी है. राव के कार्यालय से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है,'बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ लंबी चर्चा के बाद एक वैकल्पिक राष्ट्रीय एजेंडा पर आम सहमति बनी है.' इसमें कहा गया है, 'तेलंगाना आंदोलन शुरू होने से पहले भी हमने ऐसा किया था. 'बहुत जल्द, एक राष्ट्रीय पार्टी का गठन किया जाएगा और इसकी नीतियां तैयार की जाएंगी.'
केसीआर इससे पहले कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी.कुमारस्वामी से भी रविवार को मुलाकात की है. दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिशों के बीच हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच यह बैठक केसीआर के सरकारी अवास प्रगति भवन में दोपहर के भोजन पर हुई.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, कुमारस्वामी और राव के बीच तेलंगाना के विकास, क्षेत्रीय पार्टियों की राष्ट्रीय राजनीति में भूमिका और मौजूदा स्थितियों में केसीआर को राष्ट्रीय राजनीति में क्या भूमिका निभानी चाहिए और अन्य राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा हुई.
कांग्रेस दक्षिण से ही यात्रा लेकर निकली है. इसी बीच इसी इलाके के दो बड़े नेता राष्ट्रीय राजनीति में नई पार्टी बनाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं.
बात करें पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर देखे जाने वाले शरद पवार की तो उनकी पार्टी एनसीपी भले ही ऊपरी तौर पर कुछ भी कहे लेकिन बात-बात पर शरद पवार को इस पद का उम्मीदवार बताने से भी नहीं चूकती है.
दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में एक के बाद एक कई नेताओं ने विपक्ष को एकजुट रखने और उसका नेतृत्व करने के लिए शरद पवार को सबसे बड़ा नेता बताया. पार्टी के आठवें राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने सबसे पहले शरद पवार को विपक्ष का सबसे बड़ा नेता बताया.
पटेल ने कहा कि नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, केसीआर और अखिलेश यादव से लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन तक शरद पवार से इसीलिए मार्गदर्शन लेने आते हैं क्योंकि उनको पता है कि पवार ही विपक्ष को एकजुट रख सकते हैं. हालांकि बैठक के बाद प्रफुल्ल पटेल ने ये भी कहा कि शरद पवार पीएम पद के उम्मीदवार नही हैं.
वहीं पार्टी के एक और नेता और कभी कांग्रेस में रहे पीसी चाको ने कहा कि विपक्ष को एकजुट रखने के अपने कर्तव्य में कांग्रेस नाकामयाब रही है. ऐसे में शरद पवार ही पूरे विपक्ष को एकजुट रख सकते हैं. चाको ने भी पवार की पीएम उम्मीदवारी से इनकार किया लेकिन ये ज़रूर कहा कि अगर शरद पवार को बाक़ी पार्टियां का समर्थन मिलता है तो पीएम पद की जिम्मेदारी स्वीकार करेंगे.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ दिन पहले जब विपक्षी एकता की बात करने के लिए दिल्ली में नेताओं से मिल रहे थे तो उनकी मुलाकात शरद पवार से भी हुई थी. नीतीश कुमार को महागठबंधन पीएम पद का दावेदार बता रहा है.
अब बात करें यूपी के प्रमुख दल समाजवादी पार्टी की तो इसके नेता अखिलेश यादव भी पत्ते नहीं खोल रहे हैं. हालांकि वो भी विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं लेकिन जब बात गठबंधन की आती है तो वो अपने अनुभव बताने लगते हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर जब उनसे गठबंधन पर सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कहा कि अभी जो पार्टियां साथ हैं उन्हीं को साथ लेकर सपा चलेगी. भविष्य में किसी और से गठबंधन पर विचार नहीं चल रहा है. इसके साथ ही सपा प्रमुख ने आगे जोड़ा कि बीएसपी के साथ गठबंधन किया जिसका अनुभव ठीक नहीं रहा. कांग्रेस के साथ भी गठबंधन किया लेकिन जिस तरह से चलना चाहिए वे (कांग्रेस) चला नहीं पाए. हालांकि अखिलेश ने भी यह भी कहा कि वो किसी को भी दोष नहीं दे रहे हैं.
बात करें एक और प्रमुख दल यानी टीएमसी की तो लोकसभा 2019 के चुनाव में ममता बनर्जी ने विपक्षी एकता की बात कहकर और खुद को केंद्र की राजनीति में स्थापित करने की कोशिश की थी.
लेकिन इस बार उन्होंने इस कवायद से दूरी बना रखी है. हाल ही में उन्होंने आरएसएस की तारीफ भी की है. इसके मीडिया आए पार्टी की ओर से एक बयान में कहा गया है कि उनकी ममता बनर्जी विपक्षी एकता की कोशिश कर चुकी हैं उस समय कोई भी दल साथ नहीं आए थे. टीएमसी किसी भी गठबंधन पर चुनाव के बाद सीटों के आधार पर ही कोई फैसला करेगी.
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