एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

सहानुभूति VS जाति की राजनीति: चुनाव में 'दोधारी तलवार' साबित हो सकता है राहुल गांधी पर आया फैसला?

कांग्रेस राहुल मसले पर कानूनी लड़ाई से ज्यादा राजनीतिक लड़ाई लड़ना चाहती है. सहानुभूति के जरिए कांग्रेस जनआंदोलन खड़ा करना चाहती है, जिससे बीजेपी से सियासी मोर्चे पर लड़ाई लड़ी जा सके.

मानहानि केस में राहुल गांधी को गुजरात की सूरत कोर्ट से सजा मिलने और संसद की सदस्यता रद्द होने पर कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द को लेकर एक क्रोनोलॉजी पोस्ट किया है. जयराम के मुताबिक 7 फरवरी को राहुल  ने पीएम मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी पर लोकसभा में भाषण दिया. 

रमेश ने आगे कहा कि 16 फरवरी को शिकायतकर्ता गुजरात हाईकोर्ट से खुद का ही लिया स्टे वापस लेता है. 27 फरवरी को सुनवाई शुरू होती है और 17 मार्च को फैसला रिजर्व रख लिया जाता है. 23 मार्च को राहुल की सदस्यता रद्द हो जाती है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने बैठक के बाद कहा कि हमारी रगों में शहीदों का खून है, जो इस देश के लिए बहा है. हम डट कर लड़ेंगे, हम डरने वाले नहीं हैं.

राहुल की सदस्यता रद्द होने के बाद बीजेपी भी फ्रंटफुट पर खेल रही है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राहुल के बयान को ओबीसी समाज के अपमान से जोड़ दिया है. बीजेपी ने राहुल गांधी के खिलाफ बड़े ओबीसी नेताओं को मैदान में उतार दिया है. पार्टी मुख्यालय में शुक्रवार को 28 नेताओं की एक मीटिंग भी हुई, जिसमें रणनीति पर चर्चा हुई.

राहुल पर कोर्ट के कानूनी फैसलों को जहां कांग्रेस सहानुभूति का मुद्दा बनाने में जुटी है, वहीं बीजेपी इस मुद्दे में जातीय कार्ड का इस्तेमाल कर रही है. दोनों पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति का नफा-नुकसान भी आकलन कर रही है. कानूनी से राजनीतिक मुद्दा बने इस केस में किसकी क्या रणनीति है, आइए जानते हैं...

कांग्रेस के पास सहानुभूति का हथियार, आपदा में अवसर तलाश सकती है
1978 में राहुल गांधी की तरह इंदिरा गांधी की सदस्यता भी संसद से रद्द कर दी गई थी. उस वक्त भी कांग्रेस विपक्ष में थी और इसे पूरे देश में मुद्दा बनाया. आपातकाल लगाने के बाद पस्त पड़ी कांग्रेस में इंदिरा की सदस्यता जाने के बाद जान आ गई. 

कांग्रेस ने राज्य से लेकर जिला स्तर तक लोगों के बीच राजनीतिक लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाई. उस वक्त यूपी में कमलापति त्रिपाठी, दक्षिण में पीवी नरसिम्हा राव, उत्तर में बूटा सिंह जैसे नेताओं ने इसकी कमान संभाली. 

इंदिरा की सदस्यता रद्द के बाद 1980 में चुनाव हुए और कांग्रेस ने बड़ी वापसी की. 1977 में 154 सीटें जीतने वाली कांग्रेस 1980 में सीधे 363 सीटों पर जीत दर्ज की. आपातकाल लगाने वाली इंदिरा पहले से और ज्यादा मजबूत होकर उभरी.

राहुल की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस की भी यही रणनीति है. कांग्रेस मुख्यालय में मीटिंग होने के बाद प्रियंका गांधी ने जिस तरह से बयान दिए उसके बाद माना जा रहा है कि कानूनी से ज्यादा कांग्रेस इसे राजनीतिक मुद्दा बनाएगी और लोगों के बीच जाएगी.

इसी साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान जैसे राज्यों में चुनाव होने हैं, जहां बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से है. कांग्रेस की पहली कोशिश इन राज्यों में बढ़त लेने की हो सकती है. राहुल की कर्नाटक में कई रैलियां भी प्रस्तावित है, जहां वे इस मुद्दा को उठा सकते हैं. कांग्रेस ने इसके लिए 2 स्तर पर शुरुआती तैयारी की है. 

1. बयान और कैंपेन के जरिए नैरेटिव सेट करना- राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रेस लगातार मीडिया के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में है. शुक्रवार को जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, जबकि शनिवार को राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर बात किया.

कांग्रेस के सभी नेता इस मु्द्दे पर बयान दे रहे हैं. पार्टी की कोशिश है कि राजनीतिक लड़ाई के मीडिया और सोशल मीडिया के सहारे नैरेटिव सेट किया जाए. कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर डरो मत का कैंपेन भी शुरू किया है. इसमें राहुल की तस्वीर के साथ मैसेज वायरल किया जा रहा है.

2. संसद से सड़क तक लड़ाई, बड़े नेता उतरेंगे- कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि राहुल की सदस्यता रद्द होने से अगर सरकार को लगता है कि संसद में राहत मिल सकती है, तो ऐसा नहीं होगा. हम इसे और ज्यादा जोर से उठाएंगे. जेपीसी बनाने की मांग रुकने वाली नहीं है.

सोमवार को कांग्रेस के सांसद लोकसभा और राज्यसभा में प्रदर्शन कर सकते हैं. कांग्रेस राज्यों में भी प्रदर्शन करने की तैयारी में है. राज्य और जिला मुख्यालय पर कांग्रेस कार्यकर्ता प्रदर्शन करने की तैयारी में है. पार्टी बड़े नेताओं को सड़कों पर उतारकर इसे जनआंदोलन बनाने की रणनीति में जुटी है.

फैसले से कांग्रेस की आंतरिक राजनीति पर भी असर होगा?
राहुल गांधी आगे का चुनाव लड़ पाएंगे या नहीं, यह भी अभी तय नहीं है. कांग्रेस कानूनी पेचीदगी में ज्यादा नहीं फंसना चाहती है. इसकी 2 वजह है. पहला, अगर राहत नहीं मिली तो नुकसान हो सकता है और दूसरा केस लंबा खिंचा तो 2024 का मामला फंस जाएगा. 

सदस्यता रद्द होने के बाद राहुल गांधी का लोगों के बीच जाना तय माना जा रहा है. ऐसे में कांग्रेस संगठन के भीतर उनका हस्तक्षेप कम हो सकता है. साथ ही कांग्रेस हाईकमान  कई राज्यों की आंतरिक राजनीति से परेशान है. राहुल पर आए फैसलों के बाद इससे राहत मिल सकती है.

राहुल मसले में जिस तरह सोनिया गांधी एक्टिव हुई हैं, उसमें माना जा रहा है कि फिर से 2024 तक सोनिया डिसिजन मेकिंग में हिस्सा ले सकती हैं. हाल ही में सोनिया गांधी ने राजनीतिक से सन्यास लेने का संकेत दिया था.

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सौरभ के मुताबिक कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरा ही मुश्किल में फंस गया है, ऐसे में पार्टी खासकर गांधी परिवार के पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं बचा है. राहुल गांधी के पास राजनीतिक रूप से पाने का यह सबसे बड़ा मौका है.

इंदिरा ने 1978 के बाद कई कांग्रेस के सुविधाभोगी नेताओं को किनारे कर दिया था. राहुल के पास भी यह मौका है. 2014 के बाद से ही पार्टी के कई नेता संगठन में काबिज है. कांग्रेस के पास नए चेहरे को भी आगे लाने का यह एक बड़ा अवसर है.

पर राहुल के लिए राह आसान नहीं, क्यों?

1. इंदिरा की तरह राहुल के पास टीम नहीं- राहुल और कांग्रेस के लिए सदस्यता रद्द को मुद्दा बनाना और उसे राजनीतिक रूप से भुनाना आसान नहीं है. राहुल के पास इंदिरा गांधी की तरह जमीनी नेताओं की टीम नहीं है. इंदिरा के पास उस वक्त वंशीलाल, ज्ञानी जैल सिंह प्रणव मुखर्जी, शंकर राव चव्हान जैसे जमीनी नेता और रणनीति तैयार करने वाले नेता थे. 

कांग्रेस संगठन में वर्तमान में जितने भी नेता टॉप पोस्ट पर हैं, वो खुद का चुनाव कई सालों से नहीं जीत पाए हैं. साथ ही अपने राज्यों में भी ऐसे नेताओं की कोई ज्यादा पकड़ नहीं है. 

2. ओबीसी कार्ड का तोड़ खोजना होगा- वैसे तो पूरे देश में ओबीसी समुदाय के वोटरों का प्रभाव है, लेकिन काऊ बेल्ट (हिंदी पट्टी) और महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों पर ओबीसी वोटरों का दबदबा सबसे अधिक रहता है. इन राज्यों की हरेक सीटों पर 10-70 फीसदी तक ओबीसी समुदाय के वोटर्स हैं. 

2019 के चुनाव में ओबीसी वोटर ने बीजेपी को समर्थन दिया और पार्टी को इसका जबरदस्त फायदा भी हुआ. राहुल गांधी के मुद्दे को भी बीजेपी ओबीसी वोटर्स से जोड़ने में जुटी है. हालांकि, कांग्रेस काउंटर अटैक भी कर रही है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई ओबीसी नेताओं को पार्टी ने इसके लिए सियासी मोर्चे पर तैनात किया है.

आने वाले दिनों में जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, वहां ओबीसी का वोट परसेंट 40 फीसदी के आसपास है. ऐसे में कांग्रेस के लिए बीजेपी की इस रणनीति का काट खोजना भी आसान नहीं है. बीजेपी अगर ओबीसी विरोध का नैरेटिव सेट करने में कामयाब हो जाती है, तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.

3. कई राज्यों में संगठन सुस्त, मैसेज पहुंचाना आसान नहीं- पश्चिम बंगाल, यूपी, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में कांग्रेस संगठन बिल्कुल सुस्त है. इन राज्यों में लोकसभा की 200 से ज्यादा सीटें हैं. 

ऐसे में राहुल गांधी और कांग्रेस का मैसेज पहुंचाना इन राज्यों में आसान नहीं है. कांग्रेस ने हाल ही में राष्ट्रीय अधिवेशन में इन राज्यों में बड़े बदलाव करने की बात कही थी, लेकिन मामला अब भी फंसा हुआ है.

4. क्षेत्रीय पार्टियों का सपोर्ट पर साथ आने को तैयार नहीं- राहुल पर एक्शन का क्षेत्रीय पार्टियों ने सपोर्ट किया है, लेकिन साथ आने को लेकर किसी ने खुलकर नहीं बोला है. यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तो कांग्रेस पर तंज ही कस दिया है.

अखिलेश ने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है, उसे क्या सुझाव दे सकते हैं? सपा, टीएमसी, राजद समेत कई क्षेत्रीय पार्टियों का कहना है कि कांग्रेस उन राज्यों में ड्राइविंग सीट का दावा छोड़ दें और बीजेपी से मिलकर लड़े. 

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर किया पथराव
संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर किया पथराव
I Want To Talk BO Collection Day 2: अभिषेक बच्चन को मिला वीकेंड का फायदा, दूसरे दिन बढ़ा 'आई वॉन्ट टू टॉक' का कलेक्शन
अभिषेक बच्चन की 'आई वॉन्ट टू टॉक' की बढ़ी कमाई, देखें कलेक्शन
Gold Price: सोने की कीमतों में भारी उछाल, 7 दिन में इतने हजार बढ़ गए दाम, जानें अपने शहर का रेट
सोने की कीमतों में भारी उछाल, 7 दिन में इतने हजार बढ़ गए दाम, जानें अपने शहर का रेट
IPL 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले इकाना स्टेडियम पर लगा 5 लाख का जुर्माना, नगर निगम ने भेजा नोटिस
IPL 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले इकाना स्टेडियम पर लगा 5 लाख का जुर्माना, नगर निगम ने भेजा नोटिस
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Breaking News : Sambhal में मस्जिद के सर्वे के दौरान बड़ा बवाल, पुलिस पर हुआ पथरावSambhal Clash: संभल मस्जिद के सर्वे के दौरान बड़ा बवाल, उपद्रवियों के लोगों पुलिस पर बरसाए पत्थरSambhal Clash News : संभल मस्जिद को लेकर हुए बवाल पर गिरीराज सिंह का बड़ा बयान!Sambhal Clash News : संभल शाही मस्जिद विवाद में हिंदू धर्मगुरु का सनसनीखेज खुलासा!

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर किया पथराव
संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे का विरोध, प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर किया पथराव
I Want To Talk BO Collection Day 2: अभिषेक बच्चन को मिला वीकेंड का फायदा, दूसरे दिन बढ़ा 'आई वॉन्ट टू टॉक' का कलेक्शन
अभिषेक बच्चन की 'आई वॉन्ट टू टॉक' की बढ़ी कमाई, देखें कलेक्शन
Gold Price: सोने की कीमतों में भारी उछाल, 7 दिन में इतने हजार बढ़ गए दाम, जानें अपने शहर का रेट
सोने की कीमतों में भारी उछाल, 7 दिन में इतने हजार बढ़ गए दाम, जानें अपने शहर का रेट
IPL 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले इकाना स्टेडियम पर लगा 5 लाख का जुर्माना, नगर निगम ने भेजा नोटिस
IPL 2025 के मेगा ऑक्शन से पहले इकाना स्टेडियम पर लगा 5 लाख का जुर्माना, नगर निगम ने भेजा नोटिस
Delhi Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों में AQI 400 के पार 
दिल्ली में प्रदूषण से घुटने लगा दम, सांस लेना मुश्किल, इन इलाकों में AQI 400 के पार 
नासा ने सुनीता विलियम्स को बचाने के लिए भेजा कार्गो स्पेसक्राफ्ट, जानिए उसमें क्या-क्या है
नासा ने सुनीता विलियम्स को बचाने के लिए भेजा कार्गो स्पेसक्राफ्ट, जानिए उसमें क्या-क्या है
2.5 अरब डॉलर के डील वाली खबरों पर आया अडानी समूह का जवाब, बताया असली सच्चाई
2.5 अरब डॉलर के डील वाली खबरों पर आया अडानी समूह का जवाब, बताया असली सच्चाई
The Sabarmati Report BO Collection Day 9: टैक्स फ्री होते ही बॉक्स ऑफिस पर छाई 'द साबरमती रिपोर्ट', दूसरे वीकेंड पर किया शानदार कलेक्शन
टैक्स फ्री होते ही बॉक्स ऑफिस पर बढ़ी 'द साबरमती रिपोर्ट' की कमाई
Embed widget