मेरठ: रमेश चंद के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठा मुस्लिम समाज ने दिया गंगा जमुनी-संस्कृति का संदेश
मेरठ में लॉकडाउन के बीच कौमी एकता की मिसाल दिखाई दी. शहर के शाहपीर गेट क्षेत्र में कायस्थ धर्मशाला में रहने वाले 68 साल के रमेश चंद्र माथुर का मंगलवार को अचानक निधन हो गया. उनके दोनों बेटे बाहर रहते हैं. जिसके बाद उनके आस-पास रहने वाले मुस्लिम भाईयों ने उनके अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उठा ली.
मेरठ: जब बात मानवता की हो तब कोई जाति या धर्म मानवता से बड़ा नहीं हो सकता. यूपी के मेरठ में ऐसा ही एक मामला सामने आया जो देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को दर्शाता है. मेरठ में एक अधेड़ हिंदू की मौत के बाद जात-पात के बंधन को भुलाते हुए मुस्लिम संप्रदाय के लोगों ने मृतक के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया.
दरअसल, शाहपीर गेट इलाके में स्थित कायस्थों की धर्मशाला में वर्षों से रमेश माथुर का परिवार रह रहा है. रमेश का एक पुत्र मेरठ में तो एक दिल्ली में रहता है. क्षेत्रवासियों के मुताबिक लंबी बीमारी के चलते मंगलवार को अधेड़ रमेश माथुर की मौत हो गई. जिसके बाद क्षेत्र के मुस्लिम मृतक के परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो गए.
मुस्लिम संप्रदाय के क्षेत्रवासियों ने रमजान के बावजूद कोई परहेज ना मानते हुए रमेश के अंतिम संस्कार की पूरी तैयारी की. इसके बाद उनके शव को कंधा देकर अंतिम संस्कार में परिवार के लोगों के साथ खड़े रहे. क्षेत्र के सभी निवासियों का कहना है कि वह बरसों से एक परिवार की तरह रहते आए हैं. उन्होंने शहर के सभी लोगों से भी भाईचारे के साथ रहने की अपील की.
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