वर्क फ्रॉम होम करने की चाहत रखने वालों के लिए एक अच्छी खबर हो सकती है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार स्पेशल इकोनॉमिक जोन यानी विशेष आर्थिक जोन (SEZs) में काम करने वाली कंपनियों की ओर से की जा रही 100 प्रतिश वर्क फ्रॉम होम की मांग पर विचार कर रही है.


पीयूष गोयल ने कहा कि इस फैसले से छोटे शहरों में नौकरियों की संभवनाएं और सेवाओं के विस्तार की उम्मीद की जा रही है. व्यापार बोर्ड की बैठक के बाद मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोरोनाकाल में स्पेशल इकोनॉमिक जोन्स में वर्क फ्रॉम होम शुरू किया गया था. इसकी सबने तारीफ की थी. और नतीजा ये रहा कि सेवा क्षेत्र के निर्यात (बीपीओ, आईटी, बिजनेस प्रोसेसिंग, आउटसोर्सिंग) में बड़ा उछाल आया. बीते साल 254 बिलियन डॉलर का उछाल मिला था. इस बार भी कुछ इसी तरह की उम्मीद है.


आपको बता दें कि कुछ महीने पहले ही वाणिज्य मंत्रालय की ओर से स्पेशल इकोनॉमिक जोन की इकाइयों में काम कर रहे 50 प्रतिशत तक के कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाजत दी थी. जिसमें कांट्रेक्ट में काम करने वाले लोग भी शामिल थे. वर्क फ्रॉम होम की इजाजत अधिकतम साल भर के लिए दी गई थी.




क्या होता है स्पेशल इकोनॉमिक जोन
विशेष आर्थिक क्षेत्र या सेज़ उस क्षेत्र को कहते हैं जहां से विभिन्न तरह के व्यापार, उत्पादन और तमाम व्यापारिक गतिविधियां होती हैं. इन क्षेत्रों को सरकार बिजनेस के लिए सुगम बनाती है और बहुत ही प्लानिंग से इन जगहों का विस्तार किया जाता है. विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने के मामले में भारत शीर्ष देशों में शामिल है. जहां से तमाम व्यापारिक गतिविधियां चलती हैं और लाखों लोगों के रोजगार का केंद्र बना हुआ है. बता दें कि 1965 में ही भारत ने कांडला इलाके में एक विशेष क्षेत्र स्थापित किया था. उस समय इसका नाम एक्सपोर्ट प्रमोशन क्षेत्र (EPZ) रखा गया था.


स्पेशल आर्थिक जोन किसका था आइडिया
साल 2000 से पहले वाजपेयी सरकार ने एक पॉलिसी को मंजूरी दी थी जिसमें ऐसे आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना थी. इसके बाद यूपीए सरकार ने स्पेशल इकोनॉमिक जोन एक्ट पास किया था. इस एक्ट में टैक्स में छूट और जमीन मुहैया कराए जाने की भी बात थी. 




अभी कितने हैं स्पेशल इकोनॉमिक जोन
पीआईबी से मिले डाटा के मुताबिक  सेज एक्ट 2005 के पहले 7 केंद्रीय और 12 राज्य/निजी सेक्टर की ओर से इकोनॉमिक जोन बन चुके थे.  सेज एक्ट 2005 के बाद से 425 स्पेशल इकोनॉमिक जोन बनाने का प्रस्ताव रखा गया. देश में 378 सेज बनाने की अधिसूचना जारी की जा चुकी है. जिसमें से अब तक 265 सेज पूरी तरह से काम करना शुरू कर चुके हैं.


क्या कहती है रिपोर्ट
साल 2018 में भारत में  चल रहे स्पेशल इकोनॉमिक जोन नीति पर एक रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी गई थी. इसमें इन क्षेत्रों को विश्व व्यापार संगठन के मानकों के मुताबिक बनाने की सलाह दी गई थी.


इसके अलावा सेज की खाली पड़ी जमीन का इस्तेमाल और अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक नीतियां बनाने पर जोर दिया गया था. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि अगर भारत को 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के अलावा सेवा क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कुछ बुनियादी बदलाव करने होंगे.