सोशल मीडिया मंचों पर उपलब्ध सामग्रियों एवं अन्य मुद्दों को लेकर दर्ज शिकायतों का संतोषजनक निपटारा करने के लिए मोदी सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए तीन महीने में अपीलीय समितियों का गठन की घोषणा की है.


ये समितियां मेटा और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा सामग्री के नियंत्रण के संबंध में किए गए फैसलों की समीक्षा कर सकेंगी. 


शुक्रवार को जारी गजट अधिसूचना के मुताबिक तीन महीने के भीतर 'शिकायत अपीलीय समितियां' गठित कर दी जाएंगी.  इन अपीलीय समितियों के गठन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया नीति संहिता) नियम, 2021 में कुछ फेरबदल किए गए हैं.


अधिसूचना में कहा गया है, 'केंद्र सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2022 के लागू होने की तारीख से तीन महीने के भीतर अधिसूचना द्वारा एक या अधिक शिकायत अपीलीय समितियों का गठन करेगी.'


संशोधनों को अधिसूचित किए जाने के बाद आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, 'उपयोगकर्ताओं का सशक्तिकरण. मध्यस्थ द्वारा नियुक्त शिकायत अधिकारी के फैसलों के खिलाफ अपील की सुनवाई के लिए शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) की शुरुआत की गई है.'


उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'गोपनीयता नीति और उपयोगकर्ता समझौतों को आठ अनुसूचित भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा.'


प्रत्येक समिति में एक चेयरपर्सन और केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे. इनमें से एक पदेन सदस्य होगा और दो स्वतंत्र सदस्य होंगे.


अधिसूचना के मुताबिक शिकायत अधिकारी के निर्णय से असहमत कोई भी व्यक्ति, शिकायत अधिकारी से सूचना मिलने से तीस दिनों के भीतर अपीलीय समिति में शिकायत कर सकता है. 


मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब साफ हो गया है कि ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियों को स्थानीय कानूनों और भारतीय उपयोगकर्ताओं के संवैधानिक अधिकारों का पालन करना होगा.


सरकार की ओर से कहा गया है कि कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों में नए संशोधन सोशल मीडिया कंपनियों पर कानूनी बाध्यता लगाएंगे जिससे उन्हें प्रतिबंधित सामग्री और गलत जानकारी पर रोक लगाने के लिए सारे प्रयास करने होंगे. 


शुक्रवार को अधिसूचित नए आईटी नियमों में शिकायत अपीलीय समितियां पोस्ट हटाने या अनुरोधों पर रोक लगाने के बड़े प्रौद्योगिकी कंपनियों के फैसलों को पलट सकती हैं. 


सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि शिकायत अपीलीय समितियों (जीएसी) के ढांचे और दायरे को परिभाषित करने के तौर-तरीकों पर जल्द काम किया जाएगा.  इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि अब सोशल मीडिया मंच उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के निवारण को लेकर अपना 'सांकेतिक' और 'चलताऊ' रवैया छोड़ेंगे. 


चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से कहा, 'शिकायत अपीलीय समिति इंटरनेट और मध्यवर्तियों के लिए आगामी दिनों में एक महत्वपूर्ण संस्थान होंगी. हम इसके ढांचे, संविधान, दायरे और नियम-शर्तों के बारे में घोषणा करेंगे.'


उन्होंने कहा कि शिकायतों के निपटारे को लेकर मंचों के अब तक के लापरवाही भरे रवैये की वजह से ही ये कदम उठाने पड़े हैं. मंत्री ने कहा, 'हम यह उम्मीद करते हैं कि मध्यवर्तियां अपने स्तर पर शिकायतों के निपटारे के लिए बेहतर ढंग से काम करेंगी जिससे कि अपीलीय प्रक्रिया पर बहुत अधिक भार नहीं पड़े.'


अनुपालन नहीं करने वाले मंचों पर जुर्माने लगाने के बारे एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मौजूदा चरण में सरकार दंडात्मक कार्रवाई नहीं करना चाहती है. हालांकि उन्होंने आगाह किया कि भविष्य में परिस्थितियां अगर ऐसी बनती है तो इस बारे में भी विचार किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैसे इंटरनेट बदल रहा है उसी के साथ कानून भी बदल रहे हैं.


सोशल मीडिया के लिए 2021 में जो नियम लाए गए थे उनके तहत उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के समाधान के लिए इन कंपनियों को शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति करना अनिवार्य कर दिया गया था.


चंद्रशेखर ने कहा, 'हमने सोचा कि मध्यवर्तिंयां शिकायत निवारण अधिकारियों की नियुक्ति के जरिए यह समझेंगी कि शिकायत निवारण अधिकारी शिकायतों को दूर करने के लिए हैं, यहां सांकेतिक तौर पर काम नहीं चलेगा. कुछ लोगों को यह समझ नहीं आया और हमें समितियां बनानी पड़ीं.'


चंद्रशेखर ने कहा कि इन समितियों के फैसलों को अदालतों में चुनौती दी जा सकेगी. उन्होंने कहा, 'सरकार की दिलचस्पी लोकपाल की भूमिका निभाने में नहीं है. यह एक जिम्मेदारी है जिसे हम अनिच्छा से ले रहे हैं, क्योंकि शिकायत तंत्र ठीक से काम नहीं कर रहा है. हम यह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि 'डिजिटल नागरिकों' के प्रति हमारा दायित्व है और कर्तव्य है कि उनकी शिकायतें सुनी जाएं.


सोशल मीडिया आतंकी समूहों का 'टूलकिट' : जयशंकर


दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की आतंकवाद निरोधक समिति की विशेष बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सोशल मीडिया मंच आतंकवादी समूहों की 'टूलकिट' में प्रभावशाली उपकरण बन गए हैं और आतंकवादी समूहों, उनके 'वैचारिक अनुयायियों' और 'अकेले हमला करने वाले' (लोन वुल्फ) लोगों ने इन नयी प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हासिल करके अपनी क्षमतायें बढ़ा ली हैं.


आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए विदेश मंत्री ने यह भी एलान किया कि नयी दिल्ली इस साल संयुक्त राष्ट्र ट्रस्ट फंड फॉर काउंटर-टेरररिज्म में पांच लाख डॉलर का स्वैच्छिक योगदान देगी.


जयशंकर ने स्पष्ट तौर पर पाकिस्तान के संदर्भ में यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था उन देशों को आगाह करने के लिए प्रभावी है, जिन्होंने आतंकवाद को 'राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम' बना लिया है.


जयशंकर ने कहा कि पिछले दो दशकों में तकनीकी नवाचार दुनिया के काम करने के तरीके में परिवर्तनकारी रहे हैं और वर्चुअल निजी नेटवर्क तथा एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग सेवाओं से लेकर आभासी मुद्राओं तक नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियां आर्थिक और सामाजिक लाभों के लिए एक आशाजनक भविष्य की पेशकश कर रही हैं.


उन्होंने कहा कि हालांकि, जब बात आतंकवाद से संबंधित हो तो सिक्के का दूसरा पहलू भी सामने आता है.  जयशंकर ने कहा, 'इन नयी प्रौद्योगिकियों ने असामाजिक तत्वों द्वारा दुरुपयोग के लिहाज से कमजोर होने के कारण सरकारों तथा नियामक संस्थाओं के लिए नयी चुनौतियां पैदा की हैं.'


उन्होंने कहा, 'हाल के वर्षों में, खासतौर से खुले और उदार समाज में आतंकवादी समूहों, उनके वैचारिक अनुयायियों और अकेले हमला करने वाले लोगों ने इन प्रौद्योगिकियों तक पहुंच हासिल करके अपनी क्षमताएं बढ़ा ली हैं.'


उन्होंने कहा, 'वे आजादी, सहिष्णुता और प्रगति पर हमला करने के लिए प्रौद्योगिकी और पैसा तथा सबसे जरूरी खुले समाज के लोकाचार का इस्तेमाल करते हैं.'


उन्होंने कहा, 'इंटरनेट और सोशल मीडिया मंच समाज को अस्थिर करने के मकसद से दुष्प्रचार, कट्टरपंथ फैलाने तथा साजिश रचने के लिए आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों की टूलकिट में प्रभावशाली उपकरण बनकर उभरे हैं.'


जयशंकर ने कहा, 'आतंकवादी समूहों और संगठित आपराधिक नेटवर्कों द्वारा मानवरहित हवाई प्रणालियों के इस्तेमाल ने दुनियाभर में सरकारों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है.'


उन्होंने कहा कि आतंकवादी समूहों द्वारा कुख्यात उद्देश्यों जैसे कि हथियारों एवं विस्फोटकों की डिलीवरी तथा लक्षित हमले करने के लिए इन मानवरहित हवाई प्रणालियों का 'दुरुपयोग आसन्न खतरा' बन गया है.


विदेश मंत्री ने कहा, 'रणनीतिक, बुनियादी और वाणिज्यिक संपत्तियों के खिलाफ आतंकवादी उद्देश्यों के लिए हथियारबंद ड्रोन के इस्तेमाल की आशंकाओं पर सदस्य देशों को गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.'


यह पहला मौका है जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भारत में किसी भी रूप में बैठक का आयोजन कर रही है. आतंकवाद को मानवता के लिए 'सबसे गंभीर खतरों में से एक' बताते हुए जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पिछले दो दशकों में आतंकवाद से निपटने के लिए मुख्य रूप से आतंकवाद रोधी प्रतिबंध व्यवस्था के आसपास निर्मित महत्वपूर्ण संरचना विकसित की है.


उन्होंने कहा, 'यह उन देशों को आगाह करने के लिए बहुत प्रभावी रही है, जिन्होंने आतंकवाद को राज्य द्वारा वित्त पोषित उद्यम बना लिया है.'


जयशंकर ने कहा, 'इसके बावजूद आतंकवाद का खतरा बढ़ रहा है, खासतौर से एशिया और अफ्रीका में, जैसा कि 1267 प्रतिबंध समिति निगरानी रिपोर्टों में बार-बार उल्लेख किया गया है.'


उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा भारत में एक विशेष बैठक का आयोजन करना भी यह दिखाता है कि शीर्ष वैश्विक निकाय में नयी दिल्ली के मौजूदा कार्यकाल के दौरान आतंकवाद से मुकाबला शीर्ष प्राथमिकताओं में शुमार है.


जयशंकर ने आतंकी समूहों द्वारा नयी एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोगों को रोकने के लिए आतंकवाद रोधी समिति में चर्चा करने का आह्वान किया. उन्होंने 26/11 मुंबई हमले में आतंकी नेटवर्कों द्वारा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया.


उन्होंने कहा, 'हमारा अनुभव दिखाता है कि कैसे एक अच्छी तकनीक ‘वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल' का इस्तेमाल सीमा पार से बर्बर आतंकवादी हमले करने के लिए किया जा सकता है.'


विदेश मंत्री ने कहा, 'हाल ही में इन आतंकवादी समूहों ने सीमा पार से मादक पदार्थ तथा हथियारों की तस्करी करने तथा आतंकवादी हमले करने के लिए ड्रोन जैसे मानवरहित हवाई प्रणालियों का इस्तेमाल किया है.' उन्होंने आगाह किया कि ऐसे खतरे केवल भारत तक सीमित नहीं हैं. 


बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने दिल्ली में आयोजित इस बैठक के दूसरे दिन के सत्र में शिरकत की. पहले दिन का सत्र मुंबई में आयोजित किया गया था.


संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बैठक के लिए अपने संदेश में विभिन्न आतंकवादी समूहों द्वारा नयी तकनीकों/प्रौद्योगिकी के उपयोग के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की बात कही.


बैठक में पढ़े गए उनके संदेश के अनुसार, 'आतंकवादी और घृणा वाली विचारधारा रखने वाले अन्य लोग गलत सूचनाएं फैलाने, वैमनस्य पैदा करने, लोगों को कट्टर बनाने, लोगों को अपने साथ जोड़ने, साजो-सामग्री जुटाने और हमले करने में नयी और आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं.'


वहीं, ब्रिटेन के विदेश मंत्री जेम्स क्लेवेरली ने कहा कि आतंकवादियों को धन और आधुनिक तकनीक से वंचित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए.


बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के अलावा वैश्विक  विशेषज्ञ और संबंधित वैश्विक एजेंसियां भी भाग ले रही हैं।