सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम केस में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी है. 23 मार्च को सूरत की एक अदालत आपराधिक मानहानि मामले में राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी लोकसभा की सदस्यता वापस पाने के लिए अपील कर सकते हैं.


राहुल की सजा पर अगर लोकसभा चुनाव तक रोक रहती है, तो वे चुनाव भी लड़ सकते हैं. राहुल पर फैसले को कांग्रेस ने सत्य की जीत बताई है.


जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले में शुक्रवार को करीब डेढ़ घंटे की सुनवाई की. राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी जबकि पूर्णेश मोदी की ओर से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी पेश हुए. 


सुनवाई के शुरुआत में सिंघवी ने पक्ष रखा, जिसके बाद जेठमलानी ने अपनी दलीलें रखी. इस स्टोरी में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ और किन वजहों से राहुल को राहत मिली, इसे विस्तार से जानते हैं...


बात पहले उन दलीलों की, जिसके आधार पर राहुल को राहत मिली


1. मानहानि केस में मिली अधिकतम सजा- राहुल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि हम न तो रेपिस्ट हैं और ना ही कोई हत्यारा. इसके बावजूद एक मानहानि केस में हमें अधिकतम सजा दी गई है. 


सिंघवी ने सुनवाई के दौरान कहा कि कोर्ट ने अन्य दर्ज मुकदमों का आधार बना दिया, जबकि राहुल पर अधिकांश केस राजनीतिक द्वेष से दर्ज किया गया है. हम उन केसों की लिस्ट आपको दे रहे हैं, जो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दर्ज कराए हैं. 


जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था, वो बनता ही नहीं था. गवाही के वक्त गवाह ने भी स्वीकार किया कि राहुल के इरादों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी. राहुल का भाषण किसी एक व्यक्ति को लेकर नहीं था. 


फिर भी हम 8 साल तक चुप रहने की सजा दे दी गई है. सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के विद्वान जज ने अधिकतम सजा सुनाते वक्त कोई कारण नहीं बताया गया है. इस केस में अधिकतम सजा 2 साल या जुर्माना या दोनों है. 


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेष रूप से जब अपराध गैर-संज्ञेय, जमानती या समझौता योग्य हो, तो ट्रायल जज से अधिकतम सजा देने के लिए कारण बताने की अपेक्षा की जाती है, जो इस केस में नहीं किया गया.


2. राहुल सांसद थे, जनता का अधिकार प्रभावित हुआ- सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी वायनाड से सांसद थे. आपराधिक मानहानि केस में सजा देते वक्त उन्हें अपराधी की तरह देखा गया.


सिंघवी ने आगे कहा कि हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट भी गए. वहां मई में मैंने सुनवाई खत्म की, लेकिन कोर्ट का फैसला जुलाई में आया. यह जानते हुए भी कि लोकसभा सदस्यता का मामला है कोर्ट ने 66 दिनों तक ऑर्डर रोके रखा. 


फैसला देते वक्त जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि सारा मामला अधिकतम सजा देने की वजह से फंसा है. अगर ट्रायल कोर्ट 2 साल से 1 दिन कम की सजा सुनाती तो सदस्यता बची रह सकती थी. 


कोर्ट ने आगे कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज की ओर से अधिकतम सजा देने का कारण न बताना और एक जनप्रतिनिधि की सदस्यता के मामले को देखते हुए दोषसिद्धी पर रोक लगाई जाती है. 


सर्वोच्च अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश पर भी टिप्पणी की. जस्टिस गवई ने कहा कि इतना बड़ा फैसला देने वाले विद्धान जजों ने इन बातों पर गौर नहीं किया. बता दें कि हाईकोर्ट ने राहुल मानहानि मामले में 106 पन्नों का आदेश दिया था.


2 और दलीलें, जो राहुल के पक्ष में दिए गए


पूर्णेश की शिकायत में दम नहीं, उन्हें व्हाट्सऐप पर मिला था कंटेंट
सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि राहुल के भाषण की CD कोर्ट में पेश की जा रही है. न तो कंप्लेन करने वाले व्यक्ति ने CD बनाई न ही उसे किसने दिया, इसके बारे में पता है. फिर CD कैसे रिफरेंस हो सकता है?


सिंघवी ने कहा कि पूर्णेश को सारा कंटेंट व्हाट्सएप के जरिए मिला. उन्होंने आगे कहा कि शिकायतकर्ता ने खुद यह कहते हुए मुकदमे पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि वह साक्ष्य प्राप्त करना चाहता है. 


फिर एक साल बाद हाईकोर्ट से स्टे हटवा लेता है और इस पर फैसला आ जाता है. 


समुदाय की आबादी 13 करोड़, लेकिन पीड़ित सिर्फ बीजेपी के लोग कैसे?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सिंघवी ने कहा कि मोदी या मोढ़ समुदाय की आबादी पूरे देश में 13 करोड़ हैं. पूर्णेश भी उसी समुदाय से आते हैं. राहुल गांधी ने एक टिप्पणी की, जो भगौड़ों के लिए था. जिन लोगों पर राहुल ने टिप्पणी की, उनमें से किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई.


सिंघवी ने आगे कहा- बड़ा सवाल यह है कि मोदी समुदाय की 13 करोड़ आबादी में से सिर्फ बीजेपी के लोग ही क्यों पीड़ित है? यह एक दिलचस्प मामला है. राहुल के वकील ने कहा कि मोदी समुदाय में भी कई उपजातियां है, इसलिए पूर्णेश का कोई केस नहीं बनता है.


जेठमलानी की दलील, फटकार के बावजूद राहुल के आचरण में सुधार नहीं
पूर्णेश मोदी की तरफ से वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि राहुल ने माफी मांगने से इनकार कर दिया है. उन्होंने सांसदी का हवाला दिया है. ऐसे व्यक्ति के सांसदी पर विचार नहीं करना चाहिए, जो कानून को तोड़ता है.


जेठमलानी ने आगे कहा कि राहुल गांधी को 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाया. इसके बावजूद उनके सार्वजनिक आचरण में कोई सुधार नहींआया. जेठमलानी ने अपने दलील में कहा कि जिस व्यक्ति का अनाप-शनाप भाषण देने का इतिहास हो, उसे रियायत मांगने का कोई अधिकार नहीं है.


कोर्ट रूम लाइव के 2 किस्से, जो आपको पढ़ना चाहिए...



  • सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वायनाड में इसलिए चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं, क्योंकि वहां हार का डर है. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि आप और जेठमलानी राजनीतिक की बातें राज्यसभा में कर लेना. कोर्ट की टिप्पणी के बाद सिंघवी ने अपनी बातें वापस ले ली. 

  • सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के विस्तृत आदेश पर टिप्पणी की, जिसका सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बचाव किया. मेहता ने कहा कि कभी-कभी सुप्रीम कोर्ट पर्याप्त कारण नहीं बताने के लिए उच्च न्यायालयों की आलोचना करता है और इसलिए, हाईकोर्ट के न्यायाधीश विस्तृत आदेश देने लगे हैं. 


अब राहुल मामले में आगे क्या,  2 प्वॉइंट्स...


1. सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद कांग्रेस लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखेगी. स्पीकर फैसला पढ़ने के बाद सदस्यता वापस लेने का आदेश दे सकते हैं. इसमें एक दिन से लेकर एक महीने तक का भी वक्त लग सकता है. 


कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि मैं आज ही स्पीकर को पत्र लिखने जा रहा हूं. माना जा रहा है कि इसी सत्र में राहुल की सदस्यता वापस हो सकती है. 


2. राहुल गांधी का केस सेशंस कोर्ट में है. सुप्रीम कोर्ट ने फौरी राहत दी है. सेशंस कोर्ट का फैसला अगर राहुल के पक्ष में आता है, तो चुनाव लड़ सकते हैं. नहीं तो फिर सदस्यता जा सकती है. 


राहुल पर इसी टिप्पणी को लेकर कई अन्य अदालतों में भी केस दायर है. वहां से भी अगर फैसला आता है, तो राहुल की मुश्किलें बढ़ सकती है.