Monsoon Session: 17वीं लोकसभा का मानसून सत्र चल रहा है. हालांकि इसमें कामकाज कम और विरोध, प्रदर्शन, स्थगन और बहिर्गमन अधिक हो रहा है. एक ओर विपक्ष मणिपुर मुद्दे को लेकर सदन में हंगामा काटे हुए है. वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार बीच-बीच में अपने कामकाज भी निपटा रही है.


इसी कड़ी में बुधवार (26 जुलाई) को मोदी सरकार ने लोकसभा में एक ऐसा बिल पेश किया है. जिससे भविष्य में काफी कुछ बदल जाएगा. इस बिल को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया. जैसे ही यह बिल कानून बनेगा आम आदमी की जिंदगी में जन्म से लेकर मृत्यु तक इसका प्रभाव पड़ने लगेगा. आइए जानते हैं इस बिल का आम आदमी के जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ेगा. हालांकि कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने निजिता के उल्लंघन का हवाला देते हुए इसका विरोध भी किया था.


स्कूल में दाखिले से लेकर हर जगह पड़ेगी जरूरत


रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ कानून 1969 के पुराने बिल का संशोधित रूप होगा 2023 का यह संशोधित बिल. कानून बन जाने के बाद हर जगह आधार नंबर की जगह अब यही बर्थ सर्टिफिकेट मांगा जाएगा. इसके जरिए कालेज में एडमिशन, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट बनवाना हो, सभी जगह यही सर्टिफिकेट काम आएगा. सरकार को भी इस सर्टिफिकेट के जरिए हर व्यक्ति का जन्म से लेकर मृत्यु तक का डाटा तैयार करने में आसानी होगी. इसका फायदा देश की चुनाव प्रक्रिया में भी मिलेगा.


कानून बनने पर इन जगह मिलेगा फायदा


इस सर्टिफिकेट के जरिए राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक प्रत्येक व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक का डाटा बैंक तैयार करने में आसानी होगी. इसके साथ ही राज्य सरकार की नौकरी में आवेदन के लिए इसका उपयोगी सिंगल दस्तावेज के रूप में किया जा सकेगा. जन्म-मृत्यु डाटा तैयार होने पर उसका इस्तेमाल अन्य जगह राशन कार्ड, जनसंख्या रजिस्टर और चुनाव के समय वोटर लिस्ट तैयार में किया जा सकेगा.


इस बिल में किसी भी व्यक्ति का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना अनिवार्य कर दिया गया है. अस्पताल में मृत्यु होने पर वहां का डॉक्टर, घर में मौत होने पर जो चिकित्सक उसे देख रहा हो उसके द्वारा या फिर कोई परिवारिक डाक्टर ही सर्टिफिकेट जारी कर सकेगा.


यहां पड़ेगी आधार नंबर की जरूरत


जन्म और मृत्यु सर्टिफिकेट के लिए रजिस्ट्रार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाएगी. दोनों ही स्थिति में उसे रजिस्ट्रेशन करने के बाद महज 7 दिन के अंदर उसका प्रमाणपत्र जारी करना अनिवार्य कर दिया है. अगर वह ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. पीड़ित पक्ष को यह शिकायत 30 दिनों के अंदर करानी होगी.


वहीं रजिस्ट्रार को इस शिकायत का जवाब तीन महीनों के अंदर देना अनिवार्य किया गया है. इसके अलावा बिल में यह भी मेंशन किया गया है कि जन्म और मृत्यु की सूचना देने वाले को अपना आधार नंबर देना होगा.


अगर अस्पताल में बच्चे का जन्म होता है वहां के मेडिकल अधिकारी को अपना आधार नंबर देना होगा. जेल में जन्म या मृत्यु होती है तो जेलर का नंबर दर्ज किया जाएगा. होटल या किसी गेस्ट हाउस या लाज में जन्म या मृत्यु होती है, तो उसके मालिक का आधार नंबर लगेगा. इसी तरह गोद लेने वाले बच्चों के माता-पिता का आधार नंबर लगेगा. वहीं सरोगेसी की स्थिति में भी संबंधित माता-पिता का नंबर दर्ज किया जाएगा.


चुनाव आयोग को भी मिलेगा फायदा


देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इस पर बड़ी दूर दर्शिता दिखाते हुए इस डाटा बैंक का इस्तेमाल चुनाव प्रक्रिया में भी इस्तेमाल करने के लिए कहा था. बर्थ और डेथ सर्टिफिकेट का डाटा बैंक तैयार होने से उसे इलेक्ट्रोरल रोल से भी जोड़ दिया जाएगा. जिसका लाभ यह मिलेगा कि जैसे ही कोई बच्चा 18 वर्ष का होगा उसका नाम खुद ब खुद वोटर लिस्ट में आ जाएगा. इसी तरह मृत्यु की सूचना इसी डाटा बैंक के जरिए चुनाव आयोग के पास पहुंच जाएगी. इसके बाद वह उसका व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की प्रक्रिया स्वतः ही चालू कर देगा.


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