सांसदों ने सरकार से कहा - कोरोना पर क़ाबू के लिए दिल्ली की तरह ही मुम्बई और चेन्नई में भी दख़ल दे गृह मंत्रालय
सांसदों ने बैठक में मौजूद गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से दिल्ली की तर्ज़ पर ही मुम्बई और चेन्नई जैसे शहरों में भी समन्वय बनाकर काम करने का आग्रह किया ताकि इन शहरों में भी कोरोना पर क़ाबू करने में मदद मिल सके.
बुधवार को गृह मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति की हुई बैठक में मौजूद सभी सांसदों के बीच एक बात पर सहमति दिखाई दी. सभी सांसदों ने लॉक डाउन में सरकार की ओर से उठाए गए कदमों को एक सुर में सराहा. ख़ासकर पीएम ग़रीब कल्याण अन्न योजना के तहत जिस तरह से ग़रीबों को मुफ़्त अनाज बांटा गया उसकी सबने सराहना की. इसी तरह दिल्ली में कोरोना पर क़ाबू पाने के लिए गृह मंत्रालय के दख़ल पर भी संतोष जाहिर किया गया.
मुम्बई और चेन्नई की भी मदद करे गृह मंत्रालय
साथ ही , सांसदों ने सरकार से दिल्ली मॉडल को अपनाते हुए गृह मंत्रालय से अन्य शहरों में कोरोना पर क़ाबू पाने के लिए भी क़दम उठाने का आग्रह किया गया. सूत्रों के मुताबिक़ सांसदों ने बैठक में मौजूद गृह मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों से दिल्ली की तर्ज़ पर ही मुम्बई और चेन्नई जैसे शहरों में भी समन्वय बनाकर काम करने का आग्रह किया ताकि इन शहरों में भी कोरोना पर क़ाबू करने में मदद मिल सके.
लॉकडाउन का फ़ैसला बिल्कुल सही
बैठक में गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने दोहराया कि लॉकडाउन लागू करने का फ़ैसला सही और उपयुक्त समय पर लिया गया. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने देश में कोरोना से होने वाली मौत और नुकसान से बचाया. अधिकारियों ने सरकार और अन्य संस्थाओं की ओर से किए गए अलग अलग गणितीय गणना का हवाला देते हुए फिर कहा कि लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो संक्रमण और मौत का आंकड़ा और काफ़ी हुआ होता. सरकार ने पहले भी अलग अलग संस्थाओं के अध्ययन के आधार पर मई में पांच आकलन पेश किया था जिनके मुताबिक़ लॉक डाउन नहीं होने की हालत में संक्रमण का आंकड़ा जहां औसतन 20 लाख पहुंच गया होता वहीं संक्रमण से क़रीब 1 लाख लोगों की मौत हो गई होती.