Mulayam Singh Yadav Died: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. अपने लगभग 55 साल के राजनीतिक करियर में उन्होंने हर वो रंग देखा जो एक राजनीतिज्ञ देखना चाहता है. राजनीति के अखाडे़ में मंझे हुए खिलाड़ी मुलायम सिंह ने प्रधानमंत्री के अलावा हर पद पाया और शिखर को छुआ. लेकिन मुलायम सिंह यादव कैसे आगे बढ़े यह दिलचस्प है. जाहिर है उनका गुरू भी होगा, जिसने उन्हें आगे बढ़ाया. आइए जानते हैं मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु कौन थे.
नत्थू सिंह पहले गुरु
मुलायम सिंह यादव का राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह को माना जाता है. नत्थू सिंह की नजर मुलायम सिंह पर एक दंगल में पड़ी थी, उन्होंने शुरुआत में ही मुलायम में एक अच्छे नेता के गुण को देख लिया था. नत्थू सिंह, मुलायम सिंह की पहलवानी से भी खासा प्रभावित थे. उनके गुरु ने मुलायम सिंह की राजनीतिक यात्रा अपनी परंपरागत सीट जसवंत नगर को देकर करवाई. साल 1967 में नत्थू सिंह ने स्वंय राम मनोहर लोहिया से कह कर मुलायम सिंह यादव को जसवंत नगर से विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवाया था. जब चुनाव के नतीजे सामने आए तो 28 वर्षीय मुलायम सिंह यादव पहली बार में ही विधायक बन चुके थे.
चौधरी चरण सिंह से सीखी राजनीति
मुलायम सिंह यादव पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे. मुलायम सिंह कई मौकों पर कहते भी रहे हैं कि उन्होंने चौधरी चरण सिंह के कदमों में बैठकर राजनीति सीखी है. मुलायम सिंह ने अपने गुरू चौधरी चरण सिंह को गुरू दक्षिणा भी दी. दरअसल, मेरठ में जो आज चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय है उसका नाम नेताजी ने ही रखा था.
किसानों, मजदूरों और नौजवानों के लिए जीवनभर संघर्ष करने वाले चाधरी चरण सिंह की उपलब्धियों को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 25 जनवरी 1994 को मेरठ विश्वविद्यालय का नाम बदलकर चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय कर दिया, ताकि शिक्षा के जरिए उनका नाम हमेशा अमर रहे.
चंद्रशेखर का आखिरी दम तक सम्मान
धरती पुत्र के नाम से मशहूर मुलायम सिंह यादव पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का भी असर रहा, जिनसे उन्होंने राजनीति के गुर सीखे. यही वजह है कि जब चंद्रशेखर ने समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का 1990-91 में गठन किया तो मुलायम सिंह बीपी सिंह की पार्टी जनता दल को छोड़कर चंद्रशेखर की पार्टी में शामिल हो गए. एक वक्त पर चंद्रशेखर से मोह भंग होने पर मुलायम ने साल 1992 में खुद की समाजवादी पार्टी का गठन किया.
मुलायम सिंह यादव ने भले ही पूर्व पीएम चंद्रशेखर से राहें जुदा कर लीं, लेकिन उनका सम्मान आखिरी दम तक किया. मुलायम सिंह यादव ने अपनी पार्टी से कभी चंद्रशेखर के खिलाफ लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारा. देश की वर्तमान राजनीति में ऐसे वाकए कम ही देखने को मिलते हैं.