लोग उनको यादवों का नेता कहते थे. राजनीतिक विश्लेषक उनको मुस्लिम-यादव (M-Y) समीकरण का सूत्रधार भी कहते थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव इन सभी विश्लेषणों से परे जरूरत के हिसाब से बड़े फैसले लेने वाले नेता थे.
बीते कुछ सालों से मुलायम सिंह यादव की सेहत बिगड़ने की खबरें आती रहती थीं. लेकिन जवानी में पहलवानी कर चुके मुलायम के पास हर तरह के संकट से निकलने का दांव था. लेकिन 10 अक्टूबर की सुबह बूढ़े हो चुके सियासत के इस मजूबत खिलाड़ी को मौत ने अपने आगोश में ले लिया. समाजवाद का ये योद्धा इस बार मौत से जीत न पाया.
22 नवंबर 1939 को इटावा के सैफई गांव में जन्में किसान सुघर सिंह यादव के घर मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था. अखाड़े में खुद को बेहतरीन पहलवान साबित कर चुके मुलायम सिंह यादव ने राजनीति के दंगल में भी कई रिकॉर्ड बनाए हैं.
प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी के नेता नाथू सिंह ने उनको 1967 में जसवंत नगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़वाया था. नाथू सिंह ने उनको चुनाव लड़ने का मौका एक अखाड़े में उनकी कुश्ती के बाद दिया था.
28 साल के मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की और विधायक रहते हुए भी मास्टर्स की डिग्री हासिल की. 1977 में यूपी में रामनरेश यादव की अगुवाई में जनता पार्टी की सरकार बनी तो मुलायम सिंह यादव को सहकारिता मंत्री बनाया गया.
जब मुलायम सिंह दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी. बाकी नेताओं की तरह मुलायम सिंह यादव को भी जेल में डाल दिया गया.
आपातकाल के बाद 19977 में मुलायम सिंह यादव लोकदल के अध्यक्ष बने. लेकिन पार्टी और वह यूपी यूनिट के अगुवा बन गए.
मुलायम के राजनीति करियर पर नजर डालें तो वो 10 बार विधायक और सांसद बने हैं. इसमें ज्यादातर मैनपुरी और आजमगढ़ सीट से चुने गए हैं. उत्तर प्रदेश की राजनीति के धुरी रहे मुलायम सिंह यादव इस राज्य के (1989–91, 1993–95, and 2003–07) के तीन बार मुख्यमंत्री बने. साल 1996 से लेकर 1998 तक वह रक्षा मंत्री रहे.
कार्यकर्ताओं के बीच 'नेता जी' के नाम मशहूर मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के संस्थापक थे और साल 2017 तक वह इसके अध्यक्ष बने रहे. बाद में एक नाटकीय घटनाक्रम में सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथ आ गई.
विचारधारा से समाजावादी मुलायम सिंह यादव कई सरकारों को बनाने और बिगाड़ने में शामिल रहे. वो राजनीति में हमेशा सभी विकल्प खुले रखते थे. सपा के गठन से पहले वो कई पार्टियों का हिस्सा रहे जिनमें राम मनोहर लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल, भारतीय लोकदल और समाजवादी जनता पार्टी शामिल है.
साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया था. सरकार बचाने और बनाने के लिए मुलायम सिंह यादव ने बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस तक से समर्थन या सहयोग लेने में कभी गुरेज नहीं किया.
साल 2019 में नेता जी संसद में सबको चौंका दिया. देश में लोकसभा चुनाव की तैयारी थी. बगल में सोनिया गांधी बैठी थीं. मुलायम सिंह यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनने की शुभकामनाएं दे डालीं.
मुलायम सिंह यादव का ये बयान यूपी में समाजवादी पार्टी को भी असहज में डालने वाला था क्योंकि उस चुनाव में बीजेपी ही राज्य में सपा की मुख्य प्रतिद्वंदी थी.
पहली बार जब बने थे मुख्यमंत्री
आपको जानकर हैरत होगी कि मुलायम सिंह यादव जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उनको भारतीय जनता पार्टी का समर्थन मिला था. 1989 में जब वह यूपी के सीएम बने तो बीजेपी ने उनकी जनता दल सरकार को समर्थन दिया था.
लेकिन जब 1990 में बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया तो कांग्रेस ने उनकी सरकार को कुछ समय तक समर्थन दिया था. मुख्यमंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने उन कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया जो बाबरी मस्जिद को गिराना चाहते थे.
दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई और इसी साल मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी का गठन किया जिसे मुस्लिम समुदाय का बड़ा समर्थन मिला. साल 1993 में यूपी में फिर विधानसभा चुनाव हुए ऐसा लग रहा था कि बीजेपी को इस बार सरकार बनाने से कोई रोक नहीं पाएगा.
लेकिन मुलायम सिंह यादव ने बीएसपी संस्थापक कांशीराम से मिलकर एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग किया और दोनों पार्टियों ने मिलकर सरकार बना ली. जातिगत समीकरणों को मिलाकर सूबे में बनी यह पहली सरकार थी. जिसमें समाजवादी पार्टी का M-Y समीकरण और बीएसपी की दलित राजनीति शामिल थी. हालांकि यह सरकार ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई थी.
मुलायम ने किया केंद्र की राजनीति का रुख
साल 1996 में मुलायम सिंह यादव ने केंद्र की राजनीति की ओर रुख किया और मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीता. इस लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार 13 दिनों के लिए बनी लेकिन बहुमत सिद्ध नहीं कर पाई.
विपक्षी दलों ने मिलकर एक संयुक्त मोर्च बनाया और मुलायम सिंह यादव इस गठबंधन में पीएम पद की रेस में सबसे आगे थे. लेकिन लालू प्रसाद यादव के चलते उनको पीएम नहीं बनाया और बाद में वह रक्षा बने.उन्हीं के कार्यकाल में सुखोई विमान की डील हुई थी जो आज भारतीय वायुसेना का प्रमुख हथियार है.
साल 2003 में फिर सीएम बने मुलायम
साल 2003 में बीजेपी और बीएसपी की सरकार गिर गई और मुलायम सिंह यादव फिर मुख्यमंत्री बनाए गए. साल 2012 में समाजवादी पार्टी की फिर सरकार बनी. लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव ने कमान प्रदेश की कमान अखिलेश यादव को सौंप दी.
जिस तरह से मुलायम सिंह यादव ने पार्टी और परिवार को बांधे रखा उसमें अखिलेश यादव सफल नहीं रह पाए. साल 2017 में मुलायम सिंह यादव के परिवार में फूट पड़ गई. अखिलेश और शिवपाल के बीच गहरे मतभेद हो गए और इसका असर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर भी पड़ा. झगड़े को दौरान तो कई बार मंच पर ही तल्खियां दिखाई देने लगी थीं.
उम्र की वजह से गिरती सेहत के बीच बेबस नेता जी पार्टी को संभालने के लिए कभी अखिलेश को डांटते तो कभी भाई शिवपाल को समझाते लेकिन समाजवाद का ये पुरोधा अपनी पार्टी को टूटने से बचा न सका. आज शिवपाल समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके है
चुंगी खत्म करके जीता था वैश्यों दिल
एबीपी न्यूज से बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार अभय दुबे ने मुलायम सिंह यादव को सामाजिक न्याय का चैंपियन कहा है. उन्होंने कहा कि पहली बार जब मुलायम सिंह यादव सीएम बने थे तो उन्होंने एक झटके में आदेश दे दिया कि कोई भी सरकारी काम अब अंग्रेजी में नहीं होगा. इससे अधिकारी सन्न रह गए और दिल्ली की अंग्रेजी मीडिया में खूब चीख-पुकार मची. दुबे ने कहा कि लोग उनको यादवों का नेता कहते हैं लेकिन उनके साथ प्रगतिशील ब्राह्मण और राजपूत भी जुड़े थे. उन्होंने यूपी की में चुंगी व्यवस्था को खत्म करके वैश्यों के बीच भी जगह बना ली थी.
अयोध्या में गोली क्यों चलवाई
अयोध्या में कारसेवकों को 30 अक्टूबर 1990 को सुरक्षाबलों ने गोली चलाई थी. कहा जाता है कि कारसेवक बाबरी मस्जिद गिराने के लिए आगे बढ़ रहे थे. इस कार्रवाई में कई लोग मारे गए थे. उस समय उत्तर प्रदेश के सीएम मुलायम सिंह यादव थे. वो पहले ही ऐलान कर चुके थे कि अयोध्या में 'परिंदा' पर नहीं मार पाएगा. लेकिन उनका ये बयान चुनौती बन गया. अयोध्या गोलीकांड का सवाल जिंदगी भर मुलायम के सामने खड़ा रहा. हालांकि इस सवाल का जवाब भी मुलायम सिंह यादव कभी देने में पीछे नहीं रहे.
उन्होंने कई बार इस पर संसद में भी जिक्र किया. उनका कहना था कि उस समय उनके सामने मंदिर-मस्जिद और देश की एकता का सवाल था. बीजेपी ने अयोध्या में लाखों की भीड़ कारसेवा के नाम पर लाकर खड़ी कर दी थी.
देश की एकता के लिए उन्हें अयोध्या में गोली चलाने का आदेश देना पड़ा. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अगर गोली नहीं चलती तो मुसलमानों का देश से विश्वास उठ जाता.गोली चलने का अफसोस है लेकिन देश की एकता के लिए 16 की जगह 30 जानें भी जातीं तो भी पीछे नहीं हटते.
मुलायम सिंह यादव के जिंदगी के जुड़े किस्से
- 1939: उत्तर प्रदेश के इटावा के गांव सैफई में जन्म
- 1967: संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट से विधायक चुने गए.
- 1968: चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल में शामिल हुए. '
- 1977: पहली बार मंत्री बने
- 1980: लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने.
- 1982-87: विधान परिषद में विपक्ष के नेता बने.
- 1985-87: लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष.
- 1989-91: पहली बार यूपी के सीएम बने.
- 1992: समाजवादी पार्टी का गठन किया.
- 1993-95: दूसरी बार यूपी के सीएम बने.
- 1996: मैनपुरी से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा और रक्षा मंत्री बने.
- 1998: संभल से लोकसभा चुनाव जीता.
- 1999: संभल से फिर लोकसभा का चुनाव जीता.
- 2003: तीसरी बार यूपी के सीएम बने.
- 2003: पहली पत्नी मालती देवी का निधन. साधना गुप्ता से शादी की.
- 2004: मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव जीता.
- 2007: यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.
- 2009: मैनपुरी से फिर सांसद बने
- 2014: आजमगढ़ और मैनपुरी सांसद चुने गए.
2019: मैनपुरी से सांसद चुने गए.
2022: गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन.