तिरुवनंतपुरम: केरल के प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर में सदियों पुरानी रीति ‘मुराजपम’ की शुरुआत हो गई. अब 56 दिनों तक यहां विशेष पूजा होगी. यह पूजा छह साल में एक बार होती है. गुरुवार से शुरु हुई इस पूजा के दौरान योगशेमा और ब्राह्मण सभा के प्रतिनिधियों के अलावा श्रृंगेरी, पेजावर और कांचीपुरम के 200 से ज्यादा विद्वान ऋगवेद, यजुर्वेद और सामवेद की ऋचाओं का पाठ करेंगे.


सदियों पुरानी इस परंपरा का समापन 15 जनवरी को मकर संक्राति के दिन होगा और उस दिन मंदिर परिसर में तेल के एक लाख दीये जलाए जाएंगे. मंदिर प्रबंधन सूत्रों ने बताया कि इस रिवाज की शुरुआत 18वीं सदी में त्रावणकोर के राजा मार्तंड वर्मा ने की थी. गुरुवार रात को पूजा की शुरुआत पर मंदिर और पद्मनाभतीर्थ तालाब रोशनी से नहा उठे थे और पंडितो ने वहां ‘जलजाप’ किया.


काफी प्रसिद्ध है पद्मनाभस्वामी मंदिर


पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित है. भगवान विष्णु के इस प्रसिद्ध मंदिर में देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं. मान्यताओं के मुताबिक सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा यहीं से प्राप्त हुई थी जिसके बाद यहां मंदिर का निर्माण किया गया था. मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं.


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