नई दिल्ली: तीन दिनों तक पूर्वी दिल्ली में हिंसा का खेल खेला जा रहा था. लोग एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए थे और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे थे. जान-माल की बर्बादी की खबरें लगातार आ रही थीं तो वहीं कुछ ऐसी खबरें भी आईं जिसने सामाजिक सद्भावना की मिसाल पेश की. हिंसा की कहानी के बीच ऐसी मिसाल आपसी एकता, हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और सौहार्द का नमूना पेश करती है.
हिंसा में अपने भाई को खोनेवाले की अपील
हिंसा में अपने भाई को खोने वाले मुजम्मिल कहते हैं, "हिंदू-मुसलमान एक साथ शांति से रहते आए हैं. बुरे वक्त में मेरे हिंदू भाई मेरे साथ खड़े रहे. मैं सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करता हूं. मेरी उनसे यही विनती है कि किसी के बहकावे में नहीं आएं." 25 फरवरी की हिंसा में मुजम्मिल के 35 वर्षीय भाई मुदस्सिर खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. घटना के बाद परिवार में मुदस्सिर की पत्नी और छह बेटियां बची हैं.
बाहर निकले शख्स की दोबारा नहीं हुई वापसी
मुजम्मिल बताते हैं, "उत्तर पूर्वी दिल्ली के कर्दमपुरी कवि नगर में रहनेवाले उनके भाई मुदस्सिर हिंसा को देखते हुए दो दिनों तक घर से नहीं निकले थे. मगर 25 फरवरी को बच्चों के लिए सामान लेने मुदस्सिर ये सोचकर बाहर निकले की अब शांति होगी मगर ये अंदाजा गलत साबित हुआ. घर के बाहर पुलिस और पब्लिक में टकराव हो रहा था. इसी बीच मुदस्सिर ने जैसे ही घर से बाहर कदम निकाला अचानक एक गोली ने उनका काम तमाम कर दिया." अब पोस्टमॉर्टम के बाद मुजम्मिल को भाई के शव का इंतजार है. मुदस्सिर घर में परिवार के अकेले शख्स थे जिनकी बदौलत घर का खर्चा रहा था. उन्होंने नरेला में प्लास्टिक बनाने की यूनिट लगा रखी थी. उनकी मौत के बाद परिवार की देखभाल करनेवाला घर में अब कोई नहीं बचा.