राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर काम शुरू, पेट्रोल-डीजल पर भारत नहीं होगा अब ब्लैकमेल
हाइड्रोजन का इस्तेमाल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन के लक्ष्यों को पाने में सहायक होगा. इसके साथ ही जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा.
केंद्र की मोदी सरकार ने देश में बढ़ती उर्जा की मांग और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन कम करने के लिए 'राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन' पर काम करना शुरू कर दिया है. केंद्रीय बजट 2021-22 में हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की गई थी. यह हाइड्रोजन को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए एक रोडमैप तैयार करेगा. वहीं इस पहल से ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में बदलाव लाने की बात कही जा रही है.
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पहल के तहत स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिए प्रचुर मात्रा में मौजूद हाइड्रोजन का फायदा उठाया जाएगा. सरकार देश को वैश्विक अक्षय हाइड्रोजन हब बनाने के लिए हाइड्रोजन वैली को देश के तीन अलग-अलग हिस्सों में बनाएगी.
वहीं भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) की तरफ से हाइड्रोजन वैली बनाने के लिए सरकार ने प्राइवेट क्षेत्र से प्रस्ताव मांगे गए हैं. डीएसटी के मुताबिक, हाइड्रोजन वैली से मुराद हाइड्रोजन घाटी से है, जहां हाइड्रोजन का उत्पादन एक से ज्यादा क्षेत्रों में किया जाएगा. बताया गया है कि फिलहाल जगहों का चयन नहीं हो सका है, लेकिन उत्तर, दक्षिण और पूर्वोत्तर के क्षेत्रों में इनकी निर्माण किया जाएगा.
फिलहाल भारत पेट्रोल और डीजल के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर है. कई बार अंतरराष्ट्रीय बाजार के बढ़े पेट्रोल-डीजल दामों की वजह से आम लोगों को महंगा ईंधन खरीदना पड़ता है. लेकिन एक बार राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के शुरू हो जाने के बाद भारत ईंधन के मामले में काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगा. ऐसे में जो कई देश भारत को ब्लैकमेल नहीं कर पाएंगे.
राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन
- भारत में बढ़ती ऊर्जा क्षमता को हाइड्रोजन इकोनॉमी के साथ जोड़ना.
- देश में हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन उत्पादन पर जोर देना.
- 2022 तक भारत के 175 GW के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को केंद्रीय बजट 2021-22 से प्रोत्साहन मिला है, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा विकास और राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के लिए 1500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है.
- हाइड्रोजन का इस्तेमाल भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने उत्सर्जन के लक्ष्यों को पाने में सहायक होगा. इसके साथ ही जीवाश्म ईंधन के आयात पर भारत की निर्भरता को भी कम करेगा.
2021 में पीएम मोदी ने किया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की थी. वहीं पीएम की घोषणा के एक साल बाद ही केंद्र सरकार ने मिशन इनोवेशन के तहत हाइड्रोजन वैली शुरू करने का ऐलान कर दिया. यह लक्ष्य पाने के लिए सरकार तीन चरणों में काम करेगी, जो सन 2050 तक चलेगा. हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के तहत डीएसटी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए वैली स्थापित करेगा और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय हाइड्रोजन नीतियों और योजनाओं की निगरानी करेगा.
बता दें कि हरित हाइड्रोजन पर सरकार सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है. जब पानी बिजली से बोकर गुजरती है तो हाइड्रोजन पैदा होता है. इसी हाइड्रोजन का प्रयोग ऊर्जा के तौर पर किया जाता है. वहीं हाइड्रोजन बनाने में प्रयोग होने वाली बिजली किसी रिन्यूएबल सोर्स से आती है और जिसमें बिजली बनाने से पॉल्यूशन नहीं होता तो इस तरह से बने हाइड्रोजन को ही ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है.
90 करोड़ की लागत से तैयार होंगे प्लांट
- पहला चरण 2023-2027: भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक, 90 करोड़ की लागत से हाइड्रोजन वैली में हाइड्रोजन उत्पादन के लिए प्लांट लगाया जाएगा.
- दूसरा चरण 2028-2033: राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन के दूसरे चरण में भंडार कक्ष तैयार होंगे. वहीं सुरक्षा के मद्देनजर भी इंतजाम किए जाएंगे, जिससे कि आगजनी जैसी बड़ी घटनाओं से निपटा जा सके.
- तीसरी चरण 2034-2050: हाइड्रोजन वैली में वितरण को लेकर क्षेत्र बनाए जाएंगे. वहीं सीमेंट उद्योग के लिए भी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए अगल से क्षेत्र बनाया जाएगा.
इन क्षेत्रों में किया जाएगा इस्तेमाल
- बिजली उत्पादन
- कार, ट्रेन, विमान और पानी का जहाज
- 30 दिसंबर तक प्रस्ताव लिए जाएंगे, जिसके बाद वैली बनाने के लिए जगह का चयन किया जाएगा.
- पोर्टेबल ईंधन सेल
- भारत सरकार, सरकारी और निजी एजेंसियों के साथ मिलकर हाइड्रोजन वैली बनाइ जाएगी.
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन का लक्ष्य समय से पहले हासिल कर लिया जाएगा.