मुंबई: महाराष्ट्र में मुस्लिमों को 5 फीसद आरक्षण देने का मामला अधर में लटकता हुआ नजर आ रहा है. गठबंधन घटक की शिवसेना ने इस संबंध में किसी भी प्रस्ताव से इंकार किया है. इसका मतलब ये हुआ कि मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों में 5 फीसद आरक्षण देने का प्रस्ताव विधानसभा में पेश नहीं होगा. अब ऐसे में सरकार में उसकी सहयोगी एनसीपी के एलान का क्या होगा ? क्या सरकार में शामिल घटक दल आरक्षण के मुद्दे पर फिर एक बार फिर आमने-सामने होंगे ? या आरक्षण सिर्फ सियासी स्टंट बनकर रह जाएगा ?


मुस्लिमों को आरक्षण संबंधी प्रस्ताव विचाराधीन नहीं


उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के कम्युनिकेशन सेल की तरफ से जवाब आया है. विश्व हिंदू परिषद ने शनिवार को एक ट्वीट कर सरकार के धार्मिक आधार पर आरक्षण देने के फैसले पर सवाल उठाया था. विश्व हिंदू परिषद ने मुस्लिमों को आरक्षण देने पर चिंता जताते हुए कहा था, "शिवसेना से मुस्लिम तुष्टिकरण की उम्मीद नहीं की जा सकती. रविवार की सुबह शिवसेना ने ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, "इस तरह का फैसला विचाराधीन नहीं है."


महाराष्ट्र में सरकार की सहयोगी ने किया था 5 फीसद का एलान


इससे पहले एनसीपी कोटे से अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नवाब मलिक ने मुस्लिमों को लेकर बड़ा एलान किया था. उन्होंने कहा था कि सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण देने का प्रस्ताव रखा है. विधान परिषद को सूचित करते हुए उन्होंने दावा कि उद्धव सरकार इस संबंध में जल्द ही एक कानून पारित करनेवाली है. कांग्रेस विधायक शरद रणपिसे के सवाल के जवाब में उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि स्कूलों में प्रवेश शुरू होने से पहले इस बारे में उचित कदम उठा लिये जाएंगे. नवाब मलिक ने तो यहां तक दावा किया की कोर्ट के आदेश के बावजूद पिछली सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण नहीं दिया.


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