हरियाणा में MBBS की फीस 50 हजार से बढ़कर 10 लाख, भड़के IMA प्रेसिडेंट ने गरीब परिवारों के छात्रों के लिए जाहिर की चिंता
हरियाणा सरकार के फीस बढ़ाने के फैसले पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि ''मैं इस फैसले की कड़ी निंदा करता हूं. क्या हम गरीब परिवारों के छात्रों के लिए ऐसा कर रहे हैं जो एंट्रेस एक्जाम पास करने के बाद सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं?''
![हरियाणा में MBBS की फीस 50 हजार से बढ़कर 10 लाख, भड़के IMA प्रेसिडेंट ने गरीब परिवारों के छात्रों के लिए जाहिर की चिंता On the huge increase in MBBS fees of Haryana Government, IMA President Rajan Sharma said- 'Are we doing this for students from poor families' हरियाणा में MBBS की फीस 50 हजार से बढ़कर 10 लाख, भड़के IMA प्रेसिडेंट ने गरीब परिवारों के छात्रों के लिए जाहिर की चिंता](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/11/12065935/IMA-president-Dr-Rajan-Sharma.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्लीः हरियाणा में सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फीस में राज्य सरकार की ओर से भारी वृद्धि करने का आईएमए ने विरोध किया है. हरियाणा सरकार के फीस बढ़ाने के फैसले पर आईएमए अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि ''मैं इस फैसले की कड़ी निंदा करता हूं. क्या हम गरीब परिवारों के छात्रों के लिए ऐसा कर रहे हैं जो एंट्रेस एक्जाम पास करने के बाद सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं?''
दरअसल, हरियाणा सरकार ने कुछ दिन पहले ही सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस बढ़ाकर 50 हजार से 10 लाख रुपये प्रति वर्ष कर दी है.
I strongly condemn the decision. Shall we do this to students from poor families who get admission in govt colleges after qualifying entrance exam?:IMA president Dr Rajan Sharma on Haryana raising MBBS fees in public medical colleges to Rs 10 lakh per year from Rs 50,000 per year pic.twitter.com/9ZkPNXZivY
— ANI (@ANI) November 11, 2020
अब सालाना दस लाख रुपये देनी होगी फीस हरियाणा सरकार नये नियम के अनुसार एमबीबीएस के लिए सालाना 10 लाख रु. का बॉन्ड देना होगा. ऐसे में एमबीबीएस के साढ़े 4 साल के कोर्स के लिए कुल 40 लाख बॉन्ड देना होगा. पहले यह फीस सालाना करीब 50 हजार रु. थी. फीस के लिए हरियाणा सरकार ने लोन की व्यवस्था का प्रावधान किया है. सरकार ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.
राज्य सरकार एमबीबीएस पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद सरकारी नौकरी मिलने की स्थिति में कर्ज की किस्त खुद चुकाएगी. 7 साल से पहले नौकरी छोड़ने पर आगे का बकाया लोन संबंधित व्यक्ति को जमा कराना होगा. जिन कैंडिडेट्स को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी, उन्हें फीस का पैसा खुद किस्तो में चुकाना पड़ेगा.
विपक्षी दल भी कर रहे फैसले की आलोचना हरियाणा सरकार के इस फैसले की कांग्रेस सहित विपक्षी दल आलोचना कर रहे हैं, वहीं सरकार इसे मामूली बढ़ोतरी बताया है. विपक्षी दलों का कहना है कि इससे गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों का डॉक्टर बनना मुश्किल हो जायेगा. यह भी पढ़ें-
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