नई दिल्ली: देशभर में प्याज की कीमतों में जो आग लगी है. क्या उसकी वजह राजनीतिक दलों और जमाखोरों के बीच की सांठगांठ है. यह सवाल खड़ा हुआ है बीजेपी सांसद और प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा के उस बयान के बाद जिसमें जीवीएल ने कहा है कि बीजेपी तो अपना चुनावी चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड से ले लेती है लेकिन विपक्षी दल अपना राजनीतिक चंदा प्याज और दाल के बॉन्ड से लेते हैं. इसी वजह से जब भी कोई चुनाव होता है किसी ना किसी चीज के दामों में आग लग जाती है और चुनाव खत्म होने के बाद हालात सामान्य होने लगते हैं.
प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर राव ने राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है. राव ने प्याज की बढ़ी हुई कीमतों के मुद्दे पर कहा कि केंद्र सरकार तो प्याज की कीमत कम करने को लेकर लगातार प्रयास कर रही है लेकिन राज्य सरकारों से पूरा सहयोग नहीं मिलता इसी वजह से प्याज के दाम लगातार बढ़े हुए हैं.
महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज 70 से 80 प्रतिशत कम पहुंचा
अभी देशभर में प्याज की कीमतों में क्यों बढ़ोतरी हुई है उसका कारण भी जीवीएल ने राजनीति को ही बता दिया. जीवीएल नरसिम्हा का कहना है कि इस सीजन में महाराष्ट्र की मंडियों में महज़ 20 से 30 प्रतिशत ही प्याज पहुंचा है जो कि पिछले साल की तुलना में 70 से 80 प्रतिशत कम है. इसकी वजह से डिमांड और सप्लाई में अंतर आ गया है और प्याज की कीमत लगातार बढ़ रही है.
जीवीएल ने आंकड़ों का सहारा लेते हुए बताने की कोशिश की कि देशभर में जो प्याज की कीमतें तय होती हैं उसमें एक बड़ा रोल महाराष्ट्र से आए प्याज का होता है क्योंकि देश भर में मौजूद कुल प्याज का 30 फीसदी महाराष्ट्र में ही उगता है और इस लिहाज से सीधे तौर पर 20 फीसदी कमी तो महाराष्ट्र के प्याज के ना आने से ही हो गई है और इसी वजह से दामों में एकदम आग लग गई है.
गौरतलब है कि इस वक़्त देश के अलग अलग राज्यों में प्याज की कीमत में आग लगी हुई है. लोगों की आंखो में बढ़ी हुई कीमत की वजह से प्याज आंसू ला रहा है. हालात तो ये हैं कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान कह चुके हैं कि हमारे हाथ में सब कुछ नहीं है. वहीं आम आदमी की थाली से प्याज गायब होता नजर आ रहा है.
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