Parliament Winter Session: संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दो दिन पूरी तरह से हंगामे में तब्दील हो गए. विपक्षी सांसदों ने गौतम अडानी के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश की जिससे सदन की कार्यवाही बाधित हो गई. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला कर रहे हैं, लेकिन इसके बीच इंडिया गठबंधन में फूट भी देखने को मिली है
तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने इस मामले में अलग रुख अपनाया है. जानकरी के मुताबिक पार्टी के नेताओं ने संसद के कामकाज को प्रभावित न करने की बात कही है. TMC के राज्यसभा नेता डेरेक ओ'ब्रायन ने कहा "हम चाहते हैं कि संसद चले ताकि लोगों के मुद्दों पर चर्चा हो सके." उनका यह भी कहना था कि अडानी मामले में हो रहे हंगामे के कारण अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पा रही है.
लोकसभा में भी TMC का रुख क्लियर
लोकसभा सदस्य काकोलि घोष दस्तीदार ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि TMC संसद कार्यकुशल होने के पक्ष में हैं और यह नहीं चाहते कि किसी एक मुद्दे की वजह से पूरे सत्र की कार्यवाही रुक जाए. उनका कहना था कि सरकार की विफलताओं को उठाना ज्यादा जरूरी है और इससे ध्यान हटाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.
TMC की अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर फोकस
तृणमूल कांग्रेस की रणनीति कांग्रेस से अलग दिख रही है. TMC पश्चिम बंगाल के कुपोषण, बेरोजगारी, मणिपुर की स्थिति, खाद्य सामग्री की कमी और महिला सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरने की योजना बना रही है. पार्टी की ओर से अपराजिता बिल का मुद्दा भी उठाया जा रहा है जो बंगाल विधानसभा से पास होने के बावजूद राज्यपाल की ओर से रोका गया था. TMC का कहना है कि वे इस बिल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास लेकर जाएंगी और 30 नवंबर को इस मुद्दे पर राज्यव्यापी अभियान चलाएंगी.
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