'मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास भी गढ़ती है. अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है.' 


ये पंक्तियां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की है. उन्होंने अपनी मां हीराबा के 100वें जन्मदिन पर एक ब्लॉग लिखा था. जिसमें उन्होंने अपने और हीराबेन के रिश्ते की सारी खटी मीठी यादें इस ब्लॉग में उतार दी थी. 





साफ- सफाई था बेहद पसंद


18 जून 2022 को लिखे अपने ब्लॉग में पीएम ने बताया था कि हीराबेन को साफ सफाई कितना पसंद था. 100 साल की उम्र में भी जब भी पीएम उनसे मिलने आते तब वह उन्हें खिलाने के बाद उनका मुंह पोछतीं थीं. उन्होंने लिखा, 'मां के सफाई प्रेम के तो इतने किस्से हैं कि लिखने में बहुत वक्त बीत जाएगा. मां में एक खास बात रही है. जो साफ-सफाई का काम करता है, उसे भी मां बहुत मान देती है.'





साफ-सफाई को लेकर वो कितनी सतर्क रहती हैं, ये तो मैं आज भी देखता हूं. दिल्ली से मैं जब भी गांधीनगर जाता हूं, उनसे मिलने पहुंचता हूं, तो मुझे अपने हाथ से मिठाई जरूर खिलाती हैं. और जैसे एक मां, किसी छोटे बच्चे को कुछ खिलाकर उसका मुंह पोंछती है, वैसे ही मेरी मां आज भी मुझे कुछ खिलाने के बाद किसी रुमाल से मेरा मुंह जरूर पोंछती हैं. वो अपनी साड़ी में हमेशा एक रुमाल या छोटा तौलिया खोंसकर रखती हैं.





उन्होंने आगे लिखा मां इस बात का खास ख्याल रखती थी कि बिस्तर साफ और ठीक से बिछा हुआ हो. वह बिस्तर पर धूल का एक कण भी बर्दाश्त नहीं करती थी. हल्की सी सिलवट का मतलब था कि चादर को झाड़ा जाएगा और फिर से बिछाया जाएगा. इस आदत को लेकर भी हम सभी काफी सावधान थे. 





दूसरों की खुशी में खुश रहतीं थीं मां 


पीएम ने हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर लिखे ब्लॉग में बताया, 'मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर खुश रहा करती हैं. घर में जगह भले कम हो लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है. हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था जिसमें मेरे पिताजी के बहुत करीबी दोस्त रहा करते थे. उनका बेटा था अब्बास. दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे. एक तरह से अब्बास हमारे घर में ही रहकर पढ़ा. 




हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं. ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं. त्योहारों के समय आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे. उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था.




हमारे घर के आसपास जब भी कोई साधु-संत आते थे तो मां उन्हें घर बुलाकर भोजन अवश्य कराती थीं. जब वो जाने लगते, तो मां अपने लिए नहीं बल्कि हम भाई-बहनों के लिए आशीर्वाद मांगती थीं. उनसे कहती थीं कि “मेरी संतानों को आशीर्वाद दीजिए कि वो दूसरों के सुख में सुख देखें और दूसरों के दुख से दुखी हों. मेरे बच्चों में भक्ति और सेवा भाव पैदा हो उन्हें ऐसा आशीर्वाद दीजिए”.




मां हीरा बा के निधन पर PM मोदी का ट्वीट


पीएम मोदी की मां हीराबेन का शुक्रवार (30 दिसंबर) की सुबह निधन हो गया. 100 साल की उम्र में उन्होंने अहमदाबाद में अंतिम सांस ली. तबीयत बिगड़ने पर हीराबेन को बुधवार को ही अहमदाबाद के यूएन मेहता इंस्टीट्यूट ऑफ काडिग्योलॉजी एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती करवाया गया था.  




डॉक्टरों की एक एक्सपर्ट टीम उनकी देखरेख कर रही थी लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां के निधन पर उन्हें याद करते हुए एक ट्वीट किया जिसमें कहा, 'शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम... माँ में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है.''मैं मां को हमेशा त्रिमूर्ति समझता रहा. प्रधानमंत्री मोदी अपनी मां के हमेशा से करीब रहे हैं.'