पुरानी पेंशन स्कीम सियासी रूप से देश में एक बड़ा मुद्दा बन गया है. इस योजना को लेकर एक बार फिर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है. एक तरफ जहां देश के कई राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को लागू करने का ऐलान कर दिया गया है तो वहीं अब आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी सरकार की भी एक नई पेंशन स्कीम चर्चा में है. इसको गारंटीड पेंशन(GPS) स्कीम कहा जा रहा है.
हालांकि जीपीएस को लेकर अब तक कोई प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को नहीं भेजा गया है. रेड्डी सरकार की योजना की सबसे खास बात ये है कि इसमें नई पेंशन स्कीम और पुरानी पेंशन स्कीम दोनों के प्रावधानों को शामिल किया गया है.
क्या है रेड्डी सरकार की गारंटीड पेंशन स्कीम (जीपीएस)
इस योजना के तहत अगर कोई कर्मचारी हर महीने अपनी बेसिक सैलरी का 10 प्रतिशत जमा करता है तो उसे उसको मिलने वाली सैलरी का 33 प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलेगा. गारंटीड पेंशन स्कीम में राज्य सरकार की ओर से 10 प्रतिशत जमा किया जाएगा. इसके अलावा अगर कर्मचारी अपनी सैलरी का 14 प्रतिशत जमा करता है, तो उसे 40 प्रतिशत तक की पेंशन मिल सकती है.
योजना को लागू करने की अनुमति नहीं
आंध्र प्रदेश में फिलहाल इस योजना को लागू करने के लिए केंद्र की तरफ से इजाजत नहीं मिली है. केंद्र सरकार के अधिकारियों का कहना है कि यह मॉडल दिलचस्प तो है लेकिन अभी इसमें ज्यादा जानकारी की जरूरत है.
अब समझते हैं क्या है पुरानी पेंशन योजना
पुरानी पेंशन योजना यानी ओपीएस को बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने दिसंबर 2003 में दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में खत्म कर दिया था. इसके बाद इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना-एनपीएस से बदल दिया गया था. एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी हुई थी.
ओपीएस में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन मिलती थी और इस पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. आसान भाषा में समझे तो 2004 या उससे पहले तक किसी भी सरकारी कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद उसे हर महीने पेंशन दिया जाता था और यह राशि रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी होती थी.
ओल्ड पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मृत्यु होने के बाद उनके परिजनों को पेंशन की राशि दी जाती थी. 2014 में मोदी सरकार ने एक बिल पास कर इसे बदल दिया और नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू कर दिया.
क्या है नेशनल पेंशन स्कीम
नेशनल पेंशन सिस्टम लंबे समय के लिए निवेश प्लान है. यह एक तरह की कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम है. जिसके तहत रिटायर होने के बाद पर कर्मचारी को एक बड़ा फंड एक साथ मिल जाता है. एनपीएस स्कीम में निवेश करने वाले लोग आयकर विभाग की धारा 80 - CCD (1B) के तहत 50 हजार रुपये और इनकम टैक्स की धारा 80-C के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट का लाभ ले सकते हैं.
अब समझते हैं ओपीएस और एनपीएस में अंतर क्या
- पुरानी पेंशन योजना में पेंशन के लिए वेतन से कोई कटौती नहीं होती था, जबकि एनपीएस लेने के लिए कर्मचारियों को वेतन से 10% (बेसिक+DA) की कटौती करानी होती है.
- ओपीएस में सरकार को अपनी तरफ से भुगतान करना पड़ता था, एनपीएस में शेयर बाजार से मिले लाभ के आधार पर भुगतान किया जाता है.
- रिटायर के बाद ओपीएस में लगभग 20 लाख तक के ग्रेजुएटी का प्रावधान था, एनपीएस में ग्रेजुएटी का अस्थायी प्रावधान है.
किन राज्यों ने किया ओपीएस का ऐलान
वर्तमान में पूरे देश में ओपीएस को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है. देश के चार गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने का ऐलान किया है.
छत्तीसगढ़ ओपीएस की घोषणा करने वाला पहला राज्य बना था. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साल 2022 के मार्च में अपने बजट भाषण में पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की थी, उसके बाद झारखंड और राजस्थान ने भी पुरानी पेंशन स्कीम पर लौटने का ऐलान किया. पंजाब देश का चौथा राज्य है जिसने ओपीएस को बहाल करने की बात कही थी. वहां ये एलान आप की सरकार के सीएम भगवंत मान ने किया है.
2024 से पहले बीजेपी की टेंशन बढ़ाएगा ओपीएस?
देश में करीब 2 करोड़ 25 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ओल्ड पेंशन स्कीम बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. वहां भी सरकारी कर्मचारियों की तादात ज्यादा हैं. ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि ओपीएस बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा.