नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी पिछले छह सालों से केंद्र की सत्ता से बाहर है. आगे भी कांग्रेस का भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है. इसी के मद्देनजर अब कांग्रेस के ही 23 सीनियर नेताओं ने पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बड़े बदलाव करने की मांग की है. इन नेताओं में 5 पूर्व मुख्‍यमंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्‍य, सांसद और तमाम पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. इन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में पूरी तरह से बदलाव लाने के लिए कहा है.


अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक, इस पत्र में नेताओं ने बीजेपी की प्रगति को स्वीकार किया है. उन्होंने स्वीकार किया है कि युवाओं ने निर्णायक रूप से नरेंद्र मोदी को वोट दिया. कांग्रेस ने युवाओं का विश्वास खोया है और ये गंभीर चिंता का विषय है.


एक्टिव नेतृत्व की मांग
कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलाव की मांग करने वाला ये पत्र सभी नेताओं ने मिलकर करीब एक हफ्ते पहले भेजा था. उन्होंने पत्र के जरिए एक 'पूर्णकालिक और प्रभावी नेतृत्व' लाने की भी मांग की है. एक ऐसा नेतृत्व जो दिखे भी और एक्टिव भी रहे. कांग्रेस नेताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि पार्टी का नियंत्रण कमजोर हो गया है और इस तरह इसे पुनर्गठित करने की आवश्यकता है.


पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, शशि थरूर, विवेक तन्खा, एआईसीसी के पदाधिकारी, सीडब्ल्यूसी सदस्य जिनमें मुकुल वासनिक और जितिन प्रसाद शामिल हैं. इनके अलावा भूपिंदर सिंह हुड्डा, राजेंदर कौर भट्टल, एम वीरप्पा मोइली, पृथ्वीराज भवन, पी जे कुरियन, अजय सिंह, रेणुका चौधरी और मिलिंद देवड़ा ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं. पूर्व पीसीसी प्रमुख राज बब्बर (यूपी), अरविंदर सिंह लवली (दिल्ली) और कौल सिंह ठाकुर (हिमाचल), वर्तमान बिहार अभियान प्रमुख अखिलेश प्रसाद सिंह, हरियाणा के पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, दिल्ली के पूर्व स्पीकर योगानंद शास्त्री, पूर्व सांसद संदीप दीक्षित भी शामिल हैं.


चुनाव में हार के बाद राहुल गांधी ने दे दिया था इस्तीफा
सोनिया गांधी पिछले करीब एक साल से अंतरिम अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका निभा रहीं हैं, मगर कांग्रेस नेता एक पूर्णकालिक अध्यक्ष चाहते हैं. सोनिया गांधी ने पिछले साल अगस्त में अंतरिम अध्यक्ष के रूप में पार्टी की कमान संभाली थी. उस समय राहुल गांधी ने आम चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद इस्तीफा दे दिया था. राहुल ने चुनाव में हार के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दोषी ठहराया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वे केवल अपने परिजनों के लिए काम कर रहे हैं और पार्टी में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. राहुल ने यह भी संकेत दिया था कि वह निकट भविष्य में इस पद पर नहीं लौटेंगे.


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