ओडिशा विधानसभा में शनिवार को बजट सत्र के दौरान हुयी एक अप्रिय घटना में विपक्षी दल भाजपा के कुछ सदस्यों ने अध्यक्ष के आसन की तरफ चप्पल, माइक्रोफोन और कागज फेंक सदन की गरिमा को भंग कर दिया. इस घटना के बाद विधानसभा अध्यक्ष सूरज्या नारायण पात्रो ने भाजपा के तीन विधायकों जयनारायण मिश्रा, बिष्णु प्रसाद सेठी और मोहन माझी को निलंबित कर दिया और उन्हें सदन से तत्काल बाहर निकालने के आदेश दिए.


ओडिशा विधानसभा में बीजद सरकार की मुख्य सचेतक प्रमिला मल्लिक ने आरोप लगाया कि, विधानसभा में विपक्षी भाजपा के उपनेता बिष्णु सेठी, विधायक जय नारायण मिश्रा और उनके मुख्य सचेतक मोहन माझी ने अध्यक्ष पर चप्पलें, माइक्रोफोन और कागज के गोले फेंके जो विपक्षी दलों के सदस्यों की बेंच और अध्यक्ष के आसन के पास गिरे.


बिना चर्चा विधेयक पास करने का था आक्रोश  







सदन द्वारा ओडिशा लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक को बिना चर्चा के मिनटों में पारित किए जाने से नाराज भाजपा सदस्यों ने अध्यक्ष एस. एन. पात्रो के प्रति आक्रोश व्यक्त किया. कांग्रेस सदस्यों ने भी खनन गतिविधियों में कथित तौर पर हुए भ्रष्टाचार पर चर्चा का नोटिस दिया था जिसे अध्यक्ष द्वारा खारिज किए जाने पर कांग्रेस सदस्य खफा थे. भोजन अवकाश के पहले के सत्र में विधेयक पारित होने के तुरंत बाद भाजपा के नेता खड़े हो गए और शोर-शराबा करने लगे और अध्यक्ष पर चप्पलें, माइक्रोफोन और कागज के गोले फेंकने लगे.


इस घटना के बाद सदन में अराजकता का माहौल पैदा हो गया और विधानसभा को भोजन अवकाश तक के लिए स्थगित करना पड़ा. सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने के बाद अध्यक्ष पात्रो ने सदन में भाजपा के उपनेता बिष्णु सेठी, मुख्य सचेतक मोहन माझी और विधायक जय नारायण मिश्रा को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया और तत्काल सदन से बाहर निकालने के आदेश दिए.






 भाजपा ने लगाया पक्षपात का आरोप 





भाजपा के नेता प्रतिपक्ष पी. के. नाइक ने संवाददाताओं से कहा, “हमारे सदस्यों को बिना उनका पक्ष सुने निलंबित कर दिया गया. हमारा धरना कल तक जारी रहेगा.”


निलंबित विधायक जय नारायण मिश्रा ने विधानसभा अध्यक्ष पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने और “बीजद सदस्य” की तरह काम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "अध्यक्ष जिस तरह से विधानसभा की कार्यवाही चला रहे हैं वो नियमों के खिलाफ हैं. बिना चर्चा के बिल पास किए जा रहे हैं जो नियमों के अनुसार गलत हैं." उन्होंने कहा, "नेता प्रतिपक्ष को भी बोलने का अवसर नहीं दिया जा रहा है. हमनें कोई गलत काम नहीं किया है."



उपनेता बिष्णु सेठी ने कहा, "विधानसभा में जो कुछ भी हुआ वो अध्यक्ष के असंवैधानिक रवैए का नतीजा था. हम खनन व अन्य मुद्दों को लेकर विचार विमर्श चर्चा करना चाहते थे. लेकिन बिना चर्चा के ही कई बिल पास कर दिए गए." साथ ही सेठी ने कहा कि, अध्यक्ष के आसन की तरफ चप्पल, माइक्रोफोन और कागज फेंकने वाले सदस्यों में वो शामिल नहीं थे.


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