मुंबई: शिवसेना ने भी फेसबुक पर नफरत फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. शिवसेना ने मंगलवार को कहा कि फेसबुक जैसे सोशल मीडिया मंच पर नफरत फैलाने वालों और देश को तोड़ने की बातें करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वे किसी भी पार्टी से नाता रखते हों.


शिवसेना ने कहा कि फेसबुक जैसी कंपनियां केवल इसलिए नफरत फैलाने वाले किसी व्यक्ति को नजरअंदाज नहीं कर सकती क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी से है. पार्टी ने सोशल मीडिया मंच से कारोबार के नियमों और नैतिकता का पालन करने को कहा.


दरअसल, अमेरिका के अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने खबर प्रकाशित की थी कि फेसबुक बीजेपी के कुछ नेताओं पर घृणा भरे भाषण के नियमों को लागू करने में अनदेखी करता है, जिसके बाद कांग्रेस ने आरोपों की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) कराने की मांग की. कांग्रेस ने कहा कि इससे भारतीय लोकतंत्र को खतरा है और इसकी जांच जरूरी है.


कांग्रेस ने भी बोला हमला
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाए था कि बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप के माध्यम से फर्जी सूचना फैलाते हैं. इसके एक दिन बाद ही शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा, "फेसबुक जैसे मंचों पर चर्चा को लेकर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर कोई इसके जरिए नफरत फैलाए, देश और समुदाय को तोड़ने की बात करे तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, भले ही वह किसी भी पार्टी से नाता रखता हो."


शिवसेना ने कहा, "फेसबुक जैसी कम्पनी नफरत फैलाने वाले किसी व्यक्ति को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकती क्योंकि वह सत्तारूढ़ पार्टी से है. सोशल मीडिया पर एक दूसरे को बदनाम करना एक बड़ा धंधा बन गया है, जिसके लिए पैसे दिए जाते हैं. आप (फेसबुक) हमारे देश में कारोबार करने आए हैं और व्यवसाय के न्यूनतम नैतिकता-नियमों का पालन तो करना ही होगा."


ये भी पढ़ें-
कौन हैं अंखी दास, फेसबुक हेट स्पीच मामले में सबसे ज्यादा चर्चा में क्यों है ये नाम?
देश में फेसबुक को लेकर क्यों छिड़ा है विवाद, एक क्लिक में जानें सभी सवालों के जवाब