(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
7 घंटे की CWC बैठक के बाद क्या 'कांग्रेस में नेतृत्व के विवाद' की हैप्पी एंडिंग हो गई?
राहुल गांधी को लेकर कुछ भी स्पष्टता नहीं है कि वह आगे अध्यक्ष बनेंगे या नहीं? सीडब्ल्यूसी का चुनाव करवाने की मांग भी की गई है.
नई दिल्ली: कांग्रेस कार्यसमिति (वर्किंग कमिटी) की बैठक में तय हुआ कि अगले अध्यक्ष के चुनाव तक सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी. दो हफ्ते पहले कांग्रेस के दो दर्जन वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई शिकायती चिट्ठी को लेकर बुलाई गई सीडब्ल्यूसी की बैठक की शुरुआत में सोनिया गांधी ने इस्तीफे की पेशकश कर दी लेकिन अंत में यह कहते हुए पद पर बने रहने के लिए राजी हो गईं कि पार्टी में असहमति के लिए जगह है और उनके मन में किसी के लिए कोई द्वेष नहीं है.
सुबह 11 बजे से शुरु होकर लगातार सात घंटे चली सीडब्ल्यूसी की वर्चुअल बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अगले अध्यक्ष के चयन के लिए जल्द पार्टी का अधिवेशन बुलाया जाएगा और तब तक सोनिया गांधी अपने पद पर बनी रहेंगी. रणदीप सुरजेवाला के मुताबिक बैठक में सोनिया गांधी ने कहा, "कांग्रेस एक बड़ा परिवार हैं. यहां वैचारिक असहमति की अनुमति है. लेकिन अंत में हम एक हैं. यही कांग्रेस की विचारधारा है. किसी साथी या सहयोगी के प्रति ना उन्होंने कभी द्वेष रखा, ना कभी कोई दुर्भावना रखी, चाहे किसी साथी या सहयोगी ने कितने भी ठेसपूर्ण शब्दों का आज या इससे पिछले सालों में उनके बारे में इस्तेमाल किया या प्रयोग किया".
रणदीप ने यह भी कहा कि कांग्रेस के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि सोनिया गांधी के बाद राहुल गांधी ही पार्टी अध्यक्ष बनें हालांकि इसका फैसला कांग्रेस अधिवेशन करेगी. सूत्रों के मुताबिक छह महीने के अंदर कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा.
राहुल गांधी ने दिखाए तीखे तेवर बैठक के दौरान चिट्ठी लिखने वाले नेताओं जैसे गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक आदि बाकी नेताओं के निशाने पर रहे. सबसे तीखा तेवर राहुल गांधी ने दिखाया और चिट्ठी की टाइमिंग और नीयत पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि चिट्ठी तब लिखी गई जब सोनिया गांधी बीमार थीं. चिट्ठी के मीडिया में लीक होने पर भी राहुल गांधी ने नाराजगी जताई और कहा कि बात पार्टी के अंदर रखने की बजाय मीडिया में लीक की गई यह जानते हुए भी कि मीडिया बीजेपी के हाथों में है. राहुल ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम से उन्हें दुख पहुंचा है आखिर वह भी बेटे हैं.
वहीं अम्बिका सोनी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर कार्रवाई की मांग की. कैप्टन अमरिंदर सिंह, राजीव सातव आदि नेताओं ने भी 'चिट्ठी' को लेकर सवाल उठाए और इसे गैरजरूरी बताया. सूत्रों के मुताबिक अहमद पटेल ने भी चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को निशाने पर लिया.
कांग्रेस के अंदर 'चिट्ठी गुट' अलग थलग पड़ा दूसरी तरफ मुकुल वासनिक ने चिट्ठी पर सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी हित में चिट्ठी लिखी और साफ दिल से वो मुद्दे उठाए जो पार्टी हित में जरूरी थे. गुलाम नबी आजाद ने कहा कि चिट्ठी लिखने को लेकर उनपर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है. अगर आरोप साबित हो जाएं तो वह इस्तीफा देने को तैयार हैं. बहरहाल साफ तौर पर कांग्रेस के अंदर 'चिट्ठी गुट' अलग थलग पड़ गया. सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद के आवास पर मुकुल वासनिक, मनीष तिवारी जैसे नेताओं ने मुलाकात की. यानी असंतुष्ट खेमा रणनीति बनाने में लगा है. हालांकि इन नेताओं की तरफ से ना तो कोई बयान आया है ना ही आगे की रणनीति साफ है. कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक बयान में कहा गया कि सोनिया गांधी को पद पर बने रहने के प्रस्ताव पर सीडब्ल्यूसी में सभी नेताओं में सहमत जताई.
बैठक में सोनिया गांधी की मदद के लिए एक कमिटी के गठन किए जाने की बात कही गई. खुद राहुल गांधी ने इसकी जरूरत पर बल दिया. सुरजेवाला ने कहा कि संगठन में बदलाव का पूरा अधिकार सीडब्ल्यूसी ने कांग्रेस अध्यक्ष को दिया है.
दिलचस्प यह भी रहा कि प्रियंका गांधी ने बैठक में मुख्य एजेंडे पर कुछ नहीं बोला. हालांकि जब कुछ नेताओं ने अगले कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के लिए होने वाले अधिवेशन के लिए साल भर का वक्त तय करने की बात कही तब प्रियंका ने अधिक देरी का हवाला देते हुए, छह महीने में प्रक्रिया पूरी करने को कहा.
नेतृत्व गांधी परिवार ही करेगा! इस बैठक के जरिए तय पटकथा के मुताबिक, कांग्रेस ने एक बार फिर साबित किया गया कि पार्टी में नेतृत्व गांधी परिवार ही करेगा. वहीं यह संदेश देने की कोशिश भी की गई कि कांग्रेस में विरोध की आवाज सुनी जाती है. इनसब के बीच सवाल बरकरार है कि कांग्रेस के अगले अध्यक्ष राहुल गांधी बनेंगे या कोई और?
असंतुष्ट नेताओं का मूल मुद्दा भी यही है. उनका तर्क है कि सोनिया गांधी की सेहत अच्छी नहीं है और ऐसे में उनकी सक्रियता पहले जैसी नहीं रही. दूसरी तरफ राहुल गांधी को लेकर कुछ भी स्पष्टता नहीं है कि वह आगे अध्यक्ष बनेंगे या नहीं? सीडब्ल्यूसी का चुनाव करवाने की मांग भी की गई है. ये सारे सवाल और मांगें जस की तस हैं. ऐसे में कहना जल्दबाजी होगा कि 'कांग्रेस में नेतृत्व विवाद' की हैप्पी एंडिंग हो गई है!
हालांकि कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने सीडब्ल्यूसी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा "अगर किसी के मन में कोई बैर का भाव या किसी प्रकार की दुर्भावना है तो सोनिया गांधी की टिप्पणियों के बाद सारा परिवार एक है".
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