कोलकाता: पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने एक बार फिर दोहराया है कि वह विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे. बल्कि वह पार्टी का काम करेंगे और पूरे राज्य में उम्मीदवारों का प्रचार करेंगे. बीजेपी अब नदिया सीट से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय को टिकट दे सकती है.


बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, 'चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की लिस्ट में मेरा नाम नहीं होगा. बीजेपी ने निर्णय लिया है कि पार्टी अध्यक्ष होने के नाते पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार करने का जिम्मा मेरे नेतृत्व में होगा और इसी के अनुसार मैं भी काम कर रहा हूं.'


बंगाल की 294 विधानसभा सीटों पर आठ चरणों में चुनाव होने हैं. 27 मार्च को पहले चरण के लिए मतदान होंगे. दूसरे चरण का मतदान 1 अप्रैल को होगा. तीसरे चरण की वोटिंग के लिए 6 अप्रैल का दिन तय किया गया है. 10 अप्रैल को चौथे चरण में 44 सीटों पर वोटिंग होगी. पांचवें चरण का चुनाव 17 अप्रैल को होगा, जहां 45 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. इसके अलावा 22 अप्रैल को छठे चरण में 43 सीटों, 26 अप्रैल को सातवें चरण के तहत 36 सीटों तो वहीं आखिरी और आठवें चरण में 35 सीटों पर वोटिंग होगी. नतीजे 2 मई को घोषित किए जाएंगे.


बीजेपी ने ज्यादातर दलबदलू नेताओं को दिए टिकट
बीजेपी ने अब तक घोषित अपने 122 उम्मीदवारों में से 22 दलबदलुओं को टिकट दिए हैं. इनमें से ज्यादातर वे नेता शामिल हैं जो तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे, इन नेताओं में शुभेंदु अधिकारी और राजीव बनर्जी भी शामिल हैं. बीजेपी की 59 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में लगभग आठ दलबदलू हैं जिनमें अधिकारी और माकपा की पूर्व विधायक तापसी मंडल शामिल हैं. इसके अलावा 63 उम्मीदवारों की दूसरी सूची में 12 दलबदलू हैं.


वहीं तृणमूल कांग्रेस ने अपनी 291 उम्मीदवारों की लिस्ट में से इस बार 16 दलबदलू नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है. पार्टी ने जिन्हें टिकट दिए हैं, वे या तो अन्य पार्टियों से निर्वाचित प्रतिनिधि थे या पिछले कुछ सालों में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. तृणमूल कांग्रेस ने इस बार पांच मंत्रियों समेत 28 मौजूदा विधायकों को टिकट नहीं दिया है और पार्टी को इसे लेकर उनके समर्थकों से विरोध का सामना करना पड़ा है.


पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है. टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी राज्य की मुख्यमंत्री हैं. 2016 विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने सबसे ज्यादा 211 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. वहीं कांग्रेस ने 44, लेफ्ट ने 26 और बीजेपी ने मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. जबकि अन्य ने दस सीटों पर जीत हासिल की थी. यहां बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए.


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