कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस 10 सालों से सत्ता में है. इस दौरान टीएमसी कई आरोपों के घेरे में आई है लेकिन यह पहला मौका होगा जब कांग्रेस विधायक ने तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि टीएमसी के कार्यकर्ता और पार्टी से जुड़े लोग प्रशासन में बैठे हुए अधिकारी की मिलीभगत से कब्रिस्तान का पैसा भी रफूचक्कर कर चुके हैं.
ये आरोप सूजापुर से विधायक ऐसा खान चौधरी पर लग रहा है जो अब्दुल गनी खान चौधरी के परिवार से आते हैं. ऐतिहासिक रूप से यह सीट और मालदा जिला कांग्रेस के वर्चस्व की कहानी लिखता रहा है. ऐसा का आरोप है करीब 70 कब्रिस्तान बनाने के लिए 2018 से अब तक 10 लाख से ज्यादा रुपए आ चुके हैं, लेकिन जमीन पर सच्चाई कुछ और ही है.
वहीं कांग्रेस विधायक ईशा खान चौधुरी इसे मालदा का एक बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा, "शिकायत यह है कि 2017-18 में हमने अल्पसंख्यक विभाग से अपने निर्वाचन क्षेत्र सुजापुर के लिए 69 साइटों से लगभग 9.5 करोड़ रुपये लाए थे. मुद्दा यह है कि, चूंकि अल्पसंख्यक विभाग का अपना कार्यकारी विंग या इंजीनियर नहीं है, इसलिए डीएम कौशिक बंदोपाध्याय इस कार्य को करने की जिम्मेदारी लेते हैं. 50 साइटों में काम शुरू होने के बाद, विभिन्न शिकायतें आने लगीं. थिकैडरों को पूरा भुगतान देने के बाद भी, 70% काम अभी भी लंबित है. जहां की दीवार को 100% पूरा किया जाना है, वहां काम केवल 30% ही हुआ है. मालदा में यह एक बड़ा मुद्दा है."
सभी सवालों के जवाब के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग
कांग्रेस विधायक ने सत्ता धारी टीएमसी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "सीएम और टीएमसी कह रहे हैं कि वो अल्पसंख्यकों के लिए काम करना चाहते हैं. लेकिन इन मामलों में पैसा गरीब लोगों से आता है जो कब्रिस्तान बनाने के लिए मारे गए हैं. यहां भी, सरकार को कोई शर्म नहीं है. मेरा सवाल यह है कि किसके निर्देश पर यह सब हुआ है? डब्ल्यू एग्रो ने न केवल मेरा बल्कि मालदा के विभिन्न स्थानों में अधूरा काम दिखाया है. इसने खुद को स्वामित्व दिया है कि वे कमी के लिए पूरी तरह से करने में असमर्थ थे. उस पत्र में, उन्होंने और पैसे मांगे हैं, लेकिन उन्हें खाते दिखाने की जरूरत है. उन्होंने पैसे खा लिए हैं. गरीब लोगों के लिए टीएमसी का वादा उजागर हुआ है. डब्ल्यूबी एग्रो इतना दुस्साहसी कैसे हो सकता है? मुझे लगता है कि यह एक राजनीतिक घोटाला है. ग्राम पंचायत गरीबों से घर देने के लिए पैसे लेती है. यह एक विरोधाभास है. उन्हें जवाब देने की जरूरत है और यह परिणाम दिखाता है. दूसरी बार व्यक्तिगत धनराशि से पैसा दिए जाने के बाद भी यह पूरा नहीं हुआ है. मैं सभी सवालों के जवाब के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग करता हूं."
"बात कब्रिस्तान की है जहा जीवन का अंत हैं"
पश्चिम बंगाल के मालदा जिला के रहने वाले मुहम्मद इरजाद अली ने बताया कि 10 लाख रुपये तक का काम कब्रिस्तान में करने का वादा टीएमसी सरकार ने किया था. 10 साल बीत गए अभी तक केवल 2 लाख रुपये की धनराशि का ही काम मालदा जिले के कब्रिस्तान में किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर बात सड़क के सुधार की होती थो शायद वे इतना बड़ा मुद्दा न बनाते लेकिन अब बात उनके कब्रिस्तान की है जहा जीवन का अंत हैं.
मुहम्मद इरजाद अली ने कहा, "यदि सड़क पर काम में कोई छोटी-मोटी कमियां होती, तो हम अधिक ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन यह हमारा कब्रिस्तान है और यह वह स्थान है जहां हम जीवन की यात्रा के अंत में आते हैं. निवेश किए गए धन के बारे में काम नहीं हो रहा है और हम इससे बहुत निराश हैं. इसकी जांच होनी चाहिए. हम आम आदमी हैं और इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते हैं लेकिन हम उन लोगों को सतर्क करेंगे जो प्रभारी हैं. हमें बताया जा रहा है कि सरकार पैसा दे रही है और यह काम 10 लाख रुपये या कभी-कभी 8 लाख रुपये का है. लेकिन, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि वास्तविक कार्य केवल 2 लाख रुपये का हुआ हैं. तो, बाकी पैसा कहां है? वे हमें बताते हैं कि 10 लाख रुपये की एक योजना पास हुई है, लेकिन जब हम वास्तविक कार्य की जांच करने जाते हैं, तो इसकी कीमत 3 लाख रुपये होती है. हमे लगता है कि वे हमारे पैसे का शोषण कर रहे हैं."
"कब्रिस्तान हमारा असली घर है"
कब्रिस्तान को अपना असली घर बताते हुए मुहम्मद सैफुद्दीन ने बताया कि "पहले जो काम यहां होना चाहिए था वह 507 मीटर था और अब तक 100 मीटर का काम भी नहीं हुआ है. हमें नहीं पता कि बाकी पैसा कहां है या भविष्य में क्या काम होगा. इससे पहले इजाह खान ने आकर जांच के आदेश दिए थे. हमने एक याचिका डाली थी लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है. यह बहुत निराशजनक हैं कि कब्रिस्तान के पैसे की चोरी हुई हैं. यह हमारा असली घर है, अब हम जिस घर में रहते हैं उसका कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि हम अंत में यहां आराम करने आएंगे. हमें नहीं पता कि पैसे का क्या हुआ. हम किसी से भी बात कर लें, नतीजा कुछ नहीं निकला अभी तक."
"ममता बनर्जी ने मुसलमानों के लिए कुछ काम नहीं किया"
मालदा के मुसलमानों ने TMC पर कब्रिस्तान के पैसों की चोरी का आरोप लगाते हुए ममता बनर्जी पर निशाना साधा. मुक्त रहम ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा, "हम इस जगह अपनी अंतिम सांस लेने आते हैं और अभी यहां हम बकरियों को घूमते देख रहे हैं. हमारे विधायक ने एक अच्छी पहल की, लेकिन काम आधा रह गया और बाकी के धन का दोहन हुआ इसलिए, हम इसके लिए एक उपाय चाहते हैं. ममता बनर्जी कह रही हैं कि वह मुसलमानों के लिए काम कर रही हैं लेकिन वास्तव में, हम देखते हैं कि कोई काम नहीं हुआ है. सारे पैसे का शोषण किया गया और काम पूरा नहीं हुआ, अभी तक गेट भी नहीं बना है. हम बहुत निराश हैं क्योंकि ये ऐसी चीजें हैं जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए."
निअर्सीन अली ने कहा, "जब हमने जांच की, तो पता चला कि केवल आधा काम हुआ और बाकी काम नहीं हुआ है. हमने बाकी काम करने के लिए कहा है. बाकी पैसे कहां गए हमें नहीं पता, वो सब चोरी हो गया है. हमें बुरा लगता है कि कब्रिस्तान का पैसा चोरी हो गया है. हम इसकी उचित जांच चाहते हैं." इज़्हारुद्दीन शेख ने कहा, "जिस तरह से वे पैसे लूट रहे हैं वह सही नहीं है. यह पैसा सार्वजनिक लाभ के लिए है. हम नहीं चाहते कि यह दूर हो. वे हमारे सचिव को पैसा दे सकते हैं और हम खुद काम करवा सकते हैं."
TMC ने सारे आरोपों का खंडन किया
तृणमूल कांग्रेस ने इन सारे आरोपों का खंडन कर दिया है. टीएमसी कह रही है कि कांग्रेस की मंशा ही गलत है अगर उनका आवेदन पहले आया होता तो इस पर कार्रवाई हो सकती थी.
इंग्लिश बाजार विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार कृष्णेन्दु नारायण चौधरी ने कहा, 'हमें नहीं मानते कि यह सारे आरोप सही हैं मुझे तो यह सारे आरोप बेबुनियाद लग रहे हैं. अगर कांग्रेस को इस पर सवाल उठाने थे तो अभी तक विधायक साहब विधानसभा में क्यों नहीं गए इसकी आवाज विधानसभा में क्यों नहीं उठाई गई. अगर वह इतने ही मुसलमानों के हिमायती हैं तो अब तक चुप क्यों बैठे थे. रही बात तृणमूल कांग्रेस की तो हम हर बार अपनी जनता के लिए खड़े हैं और ऐसी कोई भी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करते हैं. अगर कोई गलती हुई है तो इस पर अभी तक पुलिस में शिकायत क्यों नहीं दर्ज कराई गई है. यह सारे आरोप बेबुनियाद हैं और राजनीति से प्रेरित हैं.
राजनीति के दांव पर इसमें फिलहाल कब्रिस्तान कब बनने का इंतजार है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि प्रशासन के ही हाथों प्रशासन द्वारा ही जब प्रशासन के ही नियमों का उल्लंघन हो तो मरने के बाद भी शांति कहां मिलेगी.
ये भी पढ़ें-
भारत में कोरोना ने तोड़े दुनिया के सारे रिकॉर्ड, 24 घंटे में पहली बार आए 3.14 लाख केस, 2104 की मौत
हरियाणा के जींद में 1710 कोरोना वैक्सीन डोज चोरी, अलमारी से कुछ फाइलें भी हुईं चोरी