नई दिल्ली: राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने मंगलवार को कहा कि जब तक राज्यसभा के आठ सदस्यों का मानसून सत्र की शेष अवधि से निलंबन वापस नहीं लिया जाता तब तक विपक्ष कार्यवाही का बहिष्कार करेगा. शून्यकाल के बाद आजाद ने उच्च सदन में यह भी मांग की कि सरकार को ऐसा विधेयक लाना चाहिए जो यह सुनिश्चित करे कि निजी कंपनियां सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम में किसानों का अनाज न खरीदें. उन्होंने सरकार से कहा कि सरकार को स्वामीनाथन फार्मूले के अनुसार, समय समय पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करते रहना चाहिए.


आजाद ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के अंतर तालमेल का अभाव है. एक दिन पहले ही कृषि विधेयकों पर पूरी चर्चा एमएसपी पर केंद्रित रही और उसके एक दिन बाद सरकार ने कई फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा कर दी.


वहीं केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा, "अगर नंबरों की बात करें तो उस दिन हमारे पक्ष में 110 वोट थे और इनके पक्ष में 72। अगर वो (8 सांसदों द्वारा प्रदर्शित अनियंत्रित व्यवहार) इस पर खेद व्यक्त करते हैं तो सरकार इस बात से सहमत है कि उन्हें सदन से बाहर नहीं होना चाहिए."


वी मुरलीधरन ने निलंबिन का प्रस्ताव किया था पेश
रविवार को सदन में अमर्यादित आचरण करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और आप के संजय सिंह सहित विपक्ष के आठ सदस्यों को सोमवार को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया. संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने रविवार को कृषि विधेयकों पर चर्चा के दौरान हुए हंगामे में असंसदीय आचरण को लेकर विपक्ष के आठ सदस्यों को मौजूदा सत्र के शेष समय के लिए निलंबित किए जाने का प्रस्ताव कल पेश किया जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी


निलंबित किए गए सदस्यों में कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, तृणमूल के ब्रायन और डोला सेन, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम व आप के संजय सिंह शामिल हैं.


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