नई दिल्ली: राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद आठ विपक्षी सांसदों को निलंबित किए जाने पर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने मोदी सरकार पर हमला बोला है. इस कड़ी में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक भारत की आवाज दबाने का आरोप लगाया है. साथ ही कांग्रेस नेता ने सरकार को घमंडी भी करार दिया है.


राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, "लोकतांत्रिक भारत की आवाज दबाना जारी: शुरुआत में उन्हें चुप किया गया, और बाद में काले कृषि कानूनों को लेकर किसानों की चिंताओं की तरफ से मुंह फेरकर संसद में सांसदों को निलंबित किया गया... इस 'सर्वज्ञ' सरकार के अंतहीन अहंकार की वजह से पूरे देश के लिए आर्थिक संकट आ गया है."





कृषि बिल को राहुल ने बताया- किसानों के खिलाफ ‘मौत का फरमान’
एक दिन पहले कृषि संबंधी विधेयकों को मंजूरी मिलने के बाद राहुल गांधी ने बिल को किसानों के खिलाफ ‘मौत का फरमान’ करार दिया था. उन्होंने दावा किया था कि नियमों और संसदीय परंपराओं की अहवेलना करके इन विधेयकों को मंजूरी दिलाई गई.


राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, ‘‘जो किसान धरती से सोना उगाता है, मोदी सरकार का घमंड उसे खून के आंसू रुलाता है. राज्यसभा में आज जिस तरह कृषि विधेयक के रूप में सरकार ने किसानों के खिलाफ मौत का फरमान निकाला, उससे लोकतंत्र शर्मिंदा है.’’


हंगामे के चलते राज्यसभा की कार्यवाही 4 बार स्थगित
विपक्ष ने सोमवार को अपने सदस्यों के निलंबन के बाद हंगामा कर राज्यसभा की कार्यवाही को चार बार स्थगित करने के लिए मजबूर कर दिया. उच्च सदन को पहले सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया था. जब कार्यवाही शुरू हुई तो निलंबित हुए विपक्षी सांसदों ने सदन से बाहर जाने से मना कर दिया और नारेबाजी करने लगे जिसके कारण इसे सुबह 10.36 बजे तक के लिए फिर स्थगित कर दिया गया.


राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही आठ सांसदों को निलंबित कर दिया. ये सासंद तृणमूल, कांग्रेस, माकपा और आम आदमी पार्टी के हैं. इन पर रविवार को संसद में हंगामा करने और राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित करने का आरोप है.


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