नई दिल्ली: कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच गतिरोध जारी है. इस बीच कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने बड़ा दावा किया है. मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए सुरजेवाला ने कहा है कि 'किसान आंदोलन के दौरान 10 किसानों की मौत हो चुकी है. क्या इससे पीएम मोदी का दिल नहीं पसीजा?' ट्वीट में सुरजेवाला ने मृत किसानों के नाम भी लिखे हैं.


इन दस किसानों के नाम हैं- बलजिंदर सिंह, धन्ना सिंह, जनक राज, गज्जन सिंह, गुरजंत, अजय, गुरमेल कौर, किताब सिंह, लखबीर सिंह, गुरुभाष सिंह.





कृषि कानूनों पर सरकार का प्रस्ताव खारिज
किसान नेताओं ने नए कृषि कानूनों में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव को बुधवार को खारिज कर दिया और कहा कि वे शनिवार को जयपुर-दिल्ली और दिल्ली-आगरा एक्सप्रेस-वे को बंद करेंगे. साथ ही आंदोलन को तेज करते हुए 14 दिसंबर को राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे. सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के बीच बुधवार को होने वाली छठे दौर की बातचीत को रद्द कर दिया गया था, लेकिन दोनों पक्षों ने कहा है कि वे वार्ता के लिए तैयार हैं.


किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है और ‘संयुक्त किसान समिति’ ने बुधवार को अपनी बैठक में इसे “पूरी तरह खारिज” कर दिया. किसान संगठनों के नेताओं ने प्रस्ताव को देश के किसानों का 'अपमान' करार दिया. हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार अगर वार्ता के लिए नया प्रस्ताव भेजती है तो वे उस पर विचार कर सकते हैं.


विपक्षी नेता राष्ट्रपति से मिले
इस बीच, बुधवार को राहुल गांधी, शरद पवार समेत पांच विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की. विपक्षी नेताओं ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध किया. विपक्षी दलों के पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा के महासचिव डी राजा, और डीएमके नेता टीकेएस इलंगोवान शामिल थे.


राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा, 'हमने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उन्हें तीन कृषि कानूनों के संबंध में हमारे विचारों से अवगत कराया. हमने इन्हें निरस्त किए जाने का अनुरोध किया. हमने राष्ट्रपति को बताया कि इन कानूनों को वापस लिया जाना बेहद महत्वपूर्ण है.'


एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों ने राष्ट्रपति से अुनरोध किया कि ये कृषि कानून निरस्त किए जाने चाहिए क्योंकि इन पर ना ही संसद की प्रवर समिति में चर्चा की गई और ना ही अन्य पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया गया.


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