Farmers Protest: राहुल गांधी का दावा- '17 दिनों में 11 किसान-आंदोलनकारियों ने दम तोड़ा'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "सरकार अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है- 'राजधर्म' बड़ा है या 'राजहठ'?"
नई दिल्ली: कांग्रेस ने दावा किया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में 11 किसानों की मौत हो गई और इसके बाद भी केंद्र सरकार का दिल नहीं पसीज रहा. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया, "कृषि कानूनों को हटाने के लिए हमारे किसान भाइयों को और कितनी आहुति देनी होगी?"
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इसी खबर का उल्लेख करते हुए दावा किया, "पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा. सरकार अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है- 'राजधर्म' बड़ा है या 'राजहठ'?"
पिछले 17 दिनों में 11 किसान भाईयों की शहादत के बावजूद निरंकुश मोदी सरकार का दिल नहीं पसीज रहा।
वह अब भी अन्नदाताओं नहीं, अपने धनदाताओं के साथ क्यों खड़ी है? देश जानना चाहता है-“राजधर्म” बड़ा है या “राजहठ” ?#किसान_आंदोलन #FarmersProtests pic.twitter.com/izzO3OPgEP — Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) December 12, 2020
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने जिस खबर का हवाला दिया उसके मुताबिक, दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान पिछले कुछ दिनों में बीमार होने के बाद 11 किसानों की मौत हो चुकी है.
केंद्र सरकार का क्या कहना है सरकार ने प्रदर्शनकारी किसानों से शुक्रवार को कहा कि वे अपने मंच का दुरुपयोग नहीं होने देने के लिए सतर्क रहें. साथ ही कहा कि प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं लेकिन कुछ 'असामाजिक, वामपंथी और माओवादी' तत्व आंदोलन का माहौल बिगाड़ने की साजिश कर रहे हैं.
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा, "किसानों की आपत्तियों का समाधान करने के लिए किसान संघों के पास एक प्रस्ताव भेजा गया है और सरकार इसपर आगे चर्चा के लिए तैयार है." वहीं, रेलवे और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने कहीं अधिक मुखरता से आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा लगता है जैसे कुछ माओवादी और वामपंथी तत्वों ने आंदोलन का नियंत्रण संभाल लिया है और किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की जगह कुछ और एजेंडा चला रहे हैं.
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