बंगाल: केंद्रीय मंत्रिमंडल में चार बीजेपी सांसद हुए शामिल, क्या 2024 के लिए है इशारा?
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दल विशेष रूप से एसटी, एससी और ओबीसी के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं. मतुआ समुदाय इस वोट बैंक की राजनीति के केंद्र में है.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में नए सिरे से फेरबदल के बाद ऐसा माना जा रहा है कि केंद्र सरकार की नजर बंगाल में उत्तर के जिलों के साथ-साथ मतुआ और राजवंशी संप्रदायों के वोट बैंक को हासिल करने पर है. बुधवार मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में बंगाल के प्रतिनिधियों की संख्या 2 से बढ़ाकर 4 कर दी गयी है. अगले लोकसभा चुनाव 2024 में है.
पश्चिम बंगाल के वो चार नेता, जिन्होंने हासिल किया मोदी मंत्रिमंडल में स्थान
शांतनु ठाकुर ने बीजेपी के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीता था. पार्टी में शामिल होने के बाद, उन्होंने अखिल भारतीय मतुआ महासंघ के नेता के रूप में बीजेपी को महत्वपूर्ण मतुआ वोटों का आश्वासन दिया. पीएम मोदी की मंत्रिपरिषद में उनका नाम शामिल होना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि मतुआ वोट बैंक ने 2019 में बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सीएए-एनआरसी विवाद के बीच उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता देने का वादा किया गया था. 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ, मतुआ समुदाय को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल करने से उन्हें न केवल राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है बल्कि वे आश्वासन भी दी जा रही है कि उनको नागरिकता देने का वादा भी पीर किया जाएगा. इस कदर वो मतुआ समुदाय के सदस्य जिनकी तृणमूल कांग्रेस में चले जाने कि आशंका है उसको भो दूर किया जा सकेगा.
कूचबिहार से बीजेपी के टिकट पर 2019 में लोकसभा चुनाव जीतने वाले निसिथ प्रमाणिक मार्च 2019 में पार्टी में शामिल होने से पहले टीएमसी के एक पूर्व सहयोगी थे. उन्हें राजबंशी से एक स्थिर अनुयायी प्राप्त है, जिन्होंने उनकी 2019 की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
2014 में बीजेपी में शामिल होने के बाद अलीपुरद्वार से लोकसभा सांसद जॉन बारला 2019 में चुने गए थे. उन्होंने हाल ही में उत्तर बंगाल के लिए नए राज्य के अलगाववादी दावों का समर्थन करने के बाद राज्य में विवाद खड़ा कर दिया था. यहां तक कि बात इतनी बढ़ गयी कि दार्जिलिंग के कई गोरखा समूहों के साथ-साथ उत्तर बंगाल के कई इलाकों में दलित राजबंशी समुदाय के लोगों ने अपने अलग राज्य की सदियों पुरानी मांगों के बारे में फिर से आवाज उठानी शुरू कर दी.
वहीं जब बात करे जॉन बरला और निशिथ प्रामाणिक जैसे उत्तर बंगाल के नेताओं की, हमें साफ देखने को मिलता है कि कैसे 2019 के लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हालिया विधानसभा चुनाव में भी सत्तारूढ़ टीएमसी दल को पछाड़ के रख दिया. बांकुड़ा से भाजपा सांसद सुभाष सरकार 2019 में चुने गए थे. बांकुड़ा में डॉकटर सरकार प्रतिनिधित्व करते हैं बड़ी पिछड़ी जाति और आदिवासी आबादी का.
जहां शांतुनु ठाकुर को मिला बंदरगाह, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय राज्य मंत्री बनने का मौका. जॉन बरला बने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री. वहीं निशिथ प्रामाणिक को दिया गया केंद्रीय गृह मंत्रालय और युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद और सुभाष सरकार राज्य मंत्री बने शिक्षा मंत्रालय में.
मतुआ वोट बैंक क्यों है इतना खास?
पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दल हर जाति के मतदाताओं को विशेष रूप से एसटी, एससी और ओबीसी के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते हैं. मतुआ समुदाय इस वोट बैंक की राजनीति के केंद्र में है. उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया जैसे जिलों में फैले लगभग 3 करोड़ की आबादी वाला एक अनुसूचित जाति समुदाय है मतुआ. लगभग 50-70 विधानसभा क्षेत्रों में विजयी उम्मीदवारों को तय करने में समुदाय महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के दम पर मटुआ समुदाय के वोटों पर कब्जा कर अनुसूचित जाति की 10 सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी. इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए इस सम्प्रदाय की वोट बैंक को अपने पक्ष में करना चाहती है बीजेपी.
2021 विधानसभा चुनाव
2021 विधानसभा चुनाव के आंकड़े देखने पर पता चलता है कि कैसे इन तमाम इलाको में बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस से अधिक वोटों से विजय हासिल की है. कूचबेहर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के उम्मीदवार सुकुमार रॉय 120,483 वोटों से (49.4 फीसदी) टीएमसी के उम्मीदवार बिनय कृष्णा बर्मन (105,868 वोट, 43.4 फीसदी) से जीत गए.
कूचबेहर दक्षिण में बीजेपी के उम्मीदवार निखिल रंजन दे (91,560 वोट, 46.83 फीसदी) टीएमसी के अविजित दे भौमिक (86629 वोट, 44.31 फीसदी) से जीत हासिल की. अलीपुरद्वार विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार सुमन कंजिलाल 107,333 वोटों (48.19 फीसदी) से टीएमसी उम्मीदवार सौरव चक्रबर्ती को हराकर विजय घोषित हुए. सौरव को 91,326 वोट मिले यानिकी 41 फीसदी वोट हासिल हुए. बंगाओं उत्तर क्षेत्र में बीजेपी के उम्मीदवार अशोक कीर्तनिया 97,761 वोटों से (47.65%) तृणमूल कांग्रेस के श्यामल रॉय (87,273 वोट, 42.54%) को पराजित कर विधायक बने.
बंगाओं दख्शीन क्षेत्र में बीजेपी के उम्मीदवार स्वपन मजूमदार 97828 वोंटो से (47.07%) तृणमूल कांग्रेस के आलो रानू सरकार (95824 वोट, 46.11%) को पराजित कर विधायक बने. बांकुरा वुधन सभा क्षेत्र में भी बीजेपी के हाथों टीएमसी को हार स्वीकार करना पढ़ा. जहां बीजेपी के उम्मीदवार नीलाद्रि शेखर दाना को 95,466 वोट (43.79%) वोट प्राप्त हुए, वहीं टीएमसी के वीआईपी उम्मीदवार सायन्तिका बनर्जी को 93998 वोट (43.12%) वोट प्राप्त हुए.
मोदी कैबिनेट के विस्तार-फेरबदल में किसी मुस्लिम चेहरे को जगह नहीं, टीम में सिर्फ नकवी मुस्लिम चेहरा