बंगाल में 'मतुआ' से ममता को मात देने की कवायद? जिसे मतुआ का साथ, उसके सिर पर ताज
बंगाल में मतुआ समुदाय का ममता प्रेम अगर बीजेपी की तरफ झुका तो बंगाल में सत्ता का समीकरण डोलने लगेगा. बीजेपी मतुआ, हिंदुत्व, बंगाली संस्कृति और अस्मिता सबको ममता के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है. जबकि ममता हर रैली में बीजेपी को बंगाल का दुश्मन बता रही हैं.
बंगाल की सियासत में अमित शाह के दौरे के बाद एक नया मोड़ पर आ गया है. चुनाव प्रचार में बीजेपी और ममता एक दमदम आमने सामने हैं. एक तरफ बीजेपी ने हिंदू वोटरों के लिए बड़ा एलान कर दिया है तो ममता ने इसे बीजेपी का झूठा वादा करार दिया है.
बंगाल की आबादी करीब 9 करोड़ है. बंगाल में विधानसभा चुनाव में करीब 7 करोड़, 33 लाख वोटर सरकार चुनेंगे. लेकिन महज 35 लाख की आबादी वाला मतुआ समुदाय इस चुनाव में किंग मेकर की भूमिका में दिख रहा है. क्योंकि मतुआ समुदाय वो चाभी है जिसको नजीर बनाकर बीजेपी बंगाल के हिंदू वोटरों के दिल का ताला खोलने में जुटी है. चुनावी लिहाज से मतुआ समुदाय महज 21 सीटों पर प्रभाव रखता है.
किंग मेकर की भूमिका में मतुआ समुदाय बंगाल के तीन जिलों नॉर्थ 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया में 21 विधानसभा सीटें और 16 फीसदी मतुआ मतदाता हैं. जो हार जीत तय करते हैं. लेकिन मतुआ समुदाय की असली ताकत सीटों में नहीं उसके समीकरण में है. मतुआ समुदाय के जरिए बीजेपी बंगाल में नागरिकता कानून को नजीर बनाकर ममता को हिंदू विरोधी बताने की जुगत में है.
मतुआ समुदाय 1947 में बांग्लादेश से बंगाल आया लेकिन अभी भी नागरिकता की लड़ाई लड़ रहा है. जिसे गृह मंत्री अमित शाह ने फिर से हवा दे दी है. मतुआ समुदाय बहुल इलाके ठाकुरनगर की रैली में अमित शाह ने कहा, ''हम CAA लेकर आए, बीच में कोरोना आ गया. ममता दीदी कहने लगी कि ये झूठा वादा है. हम जो कहते हैं वो करते हैं. जैसी ही ये वैक्सीनेशन का काम खत्म होता है, जैसे ही कोरोना से मुक्ति मिलती है, आप सभी को नागरिकता देने का काम बीजेपी सरकार करेगी.'
मतुआ समुदाय में जगी नई उम्मीद अमित शाह के इस बयान के बाद मतुआ लोगों में नई उम्मीद जगी है. उनके बयान के कुछ ही घंटों बाद मतुआ समुदाय भी हिंदुस्तानी होने के सपने बुनने लगा है. मतुआ समुदाय अभी तक ममता बनर्जी के साथ था, लेकिन मां माटी मानुष की लड़ाई लड़ने का दावा करने वाली ममता को अब मतुआ जमीन खिसकने का डर भी सताने लगा है. शाह ने CAA का वादा किया तो ममता ने उसे झूठा बताने में देर नहीं लगाई
21 विधानसभा सीटों पर समीकरण 2016 विधानसभा चुनाव में 21 मतुआ प्रभाव वाले सीटों में टीएमसी ने 18 सीटें जीतीं. 3 सीटों पर सीपीएम-कांग्रेस गठबंधन को जीत मिली. जबकि बीजेपी एक सीट पर जीती. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 21 सीटों में से 9 पर बीजेपी को बढ़त मिली. हालांकि टीएमसी 12 सीटों पर बढ़त बनाने में कामयाब रही.
मतुआ समुदाय अगर बीजेपी के समर्थन में आ गया तो बंगाल के हिंदू वोटरों में सेंध लगाने में बीजेपी को आसानी हो सकती है. बीजेपी भी जानती है कि ममता को हराने के लिए हिंदुत्व और विकास का रंगारंग खाका बंगाल को दिखाना होगा. बंगाल ने पिछले 10 साल तक ममता के मां, माटी मानुष के नारे पर भरोसा किया है. ममता को पहली बार बंगाल में खुद की राजनीति, नीति और नीयत को साबित करने की कड़ी चुनौती मिल रही है.
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