(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कैलाश विजयवर्गीय के विवादित बयान पर कांग्रेस का सवाल- क्या बीजेपी कार्यकर्ता रात को 2-2 बजे तक पत्ते खेलते हैं?
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का एक भाषण विवादों में है. कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आधी रात को अगर बीजेपी कार्यकर्ता को पुलिस पकड़ ले तो रात को 2 बजे खुद थाने फोन करते हैं.
मंदसौर: बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय अपने बयानों की वजह से एक बार सुर्खियों में हैं. मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के सीतामऊ में विजयवर्गीय ने पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में कहा कि अगर रात दो बजे बीजेपी कार्यकर्ता पत्ते खेलते हुए पकड़े जाते हैं तो वो खुद रात को थाने फोन कर उन्हें छुड़ाते हैं. उनका ये वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस लगातार हमलावर है. कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने ट्वीट कर पूछा कि क्या बीजेपी कार्यकर्ता रात 2-2 बजे तक पत्ते खेलते है?
मोदीजी-शाहजी ये कैसी भाजपा,ये कैसा सिस्टम,ये कैसी सोच,ये कैसा नया भारत ? ज़िम्मेदार नेतृत्व, कार्यकर्ताओं को पत्ते खेलते हुए पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर थाने फ़ोन कर छुड़ाते है,ख़ुद सच्चाई बया कर रहे है। समाज में क्या संदेश दे रहे है आप , कार्यकर्ता की क्या पहचान बता रहे है आप ? pic.twitter.com/1MVOvoquN0
— Narendra Saluja (@NarendraSaluja) June 27, 2020
कैलाश विजयवर्गीय ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था, "मैं चाहूं कोलकाता में रहूं या यहां, आधी रात को अगर बीजेपी कार्यकर्ता को पुलिस पकड़ ले तो वो मुझे फोन करते हैं. मैं थाने फोन कर उन्हें छुड़ना पड़ता है. मैं तो रात को 2 बजे खुद फोन उठाता हूं. किसी कार्यकर्ता का फोन आए, तो रात 2 बजे थाने में फोन करता हूं. कहता हूं- देख लेना भैय्या, अपना कार्यकर्ता है. ये करना पड़ता है."
इस दौरान विजयवर्गीय ने ये भी दावा किया कि मध्य प्रदेश में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बीजेपी ही जीतेगी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बंगाल में अमित शाह की वर्चुअल रैली को 2 करोड़ से भी ज्यादा लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से देखा और सुना. यह रिकॉर्ड है.
क्या है मध्य प्रदेश की राजनीति का हाल मध्य प्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उप चुनाव के लिए राजनीति पार्टियां अपनी-अपनी बिसात बिछाने में लगे हैं. इस सीटों पर जीत और हार से शिवराज सरकार का भविष्य टिका है. ऐसे में दोनों ही प्रमुख दलों की ओर से रणनीति बनायी जा रही है. ऐसे में आशंका है कि टिकट के बंटबारे के बाद दोनों ही दलों में बगावत होगी. ऐसी स्थिति में अगर इन सीटों पर बागी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतर गए तो खेल बिगड़ सकता है. इस परिस्थिति में बीजेपी की ओर से कोशिशें शुरू हो गई है.
माना जा रहा है कि जो लोग विधानसभा की सदस्यता और कांग्रेस से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए हैं, उनको टिकट मिलना तय है. ज्यादा से ज्यादा इसमें एक-दो फेरबदल हो सकते हैं. ऐसे में कांग्रेस असंतुष्ट बीजेपी नेताओं को पार्टी में शामिल करवा रही है.
अब चुनाव लड़ने की आस में अपनी-अपनी जमीन तैयार कर रहे दोनों दलों के नेता टिकट न मिलने पर निर्दलीय भी आ सकते हैं. ऐसी परिस्थितियों में बीजेपी नेताओं को विश्वास में लेना शुरू कर दिया गया है. ऐसे नेताओं को विश्वास दिलाया जा रहा है पार्टी उनका भरपूर ख्याल रखेगी.
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