मध्य प्रदेश में किसान सम्मेलन करेगी कांग्रेस, कमलनाथ ने कहा- केंद्र कृषि क्षेत्र का निजीकरण कर रही है
तीन कृषि कानूनों के विरोध में लामबंद हुए किसानों के आंदोलन का गुरुवार को 43वां दिन है. देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसान आज कुंडली मानेसर पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.
भोपाल: दिल्ली की सीमाओं पर आज किसान आंदोलन का 43वां दिन है. किसान आंदोलन के बीच कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी पर बड़ा हमला बोला है. कमलनाथ ने कहा, केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र का निजीकरण कर रही है. इसके खिलाफ मध्य प्रदेश कांग्रेस किसान सम्मेलन का आयोजिन करेगी. 16 जनवरी को छिंदवाड़ा में और 20 जनवरी को मुरेना में किसानों को काले कानूनों के पहलूओं की जानकारी दी जाएगी.
कमलनाथ ने कहा, आज देश के लाखों किसान दिल्ली की सीमा पर बैठे हैं. ये आधुनिक किसान हैं नियम कानून समझते हैं. ये अपने गांव नहीं, पूरे किसानों का प्रतिनिधित्व करता है. ये कृषि कानून हमारे कृषि का निजीकरण कर रहे हैं. MSP मिलने की संभावना खत्म हो जाएगी. किसान कहां भटकेगा. बड़े व्यापारी दाम कंट्रोल करेंगे. अकाली दल और दूसरे दल ने इन कृषि कानूनों का इसलिए विरोध किया.
कमलनाथ ने आगे कहा, ये कानून किसान को कांट्रैक्ट फार्मिंग को मजबूर हो जाएंगे. आज एमपी में उत्पादन पंजाब से आगे है. मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब मिलकर देश का 66 फीसदी गेंहू उत्पादन करते हैं. मध्य प्रदेश में 20 फीसदी लोगों को ही MSP मिलती है. पंजाब 90 फीसदी MSP लेता है. ये कानून एमपी के किसान के लिए ज्यादा घातक है.
ट्रैक्टरों के साथ किसानों का प्रदर्शन दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले किसान आज कुंडली मानेसर पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर ट्रैक्टर मार्च निकालकर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं. पंजाब के किसान नेता हरिंदर सिंह लाखोवाल ने बताया कि 8,000 से 10,000 ट्रैक्टर के साथ किसान केएमपी एक्सप्रेसवे पर मार्च निकाल रहे हैं.
संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर मार्च का एलान पहले ही किया था जिसमें सरकार के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने की सूरत में छह जनवरी को मार्च निकालने का ऐलान किया गया था. मगर, मौसम खराब होने के पूवार्नुमान हो देखते हुए इसे एक दिन बढ़ाकर सात जनवरी कर दिया.
इस मसले के समाधान के लिए किसानों की सरकार के साथ वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है. पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेकेट्ररी हरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार के साथ शुक्रवार को होने वाली वार्ता भी अगर विफल रहती है तो आंदोलन तेज करने को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी.
ये भी पढ़ें- पेंटिंग के बाद अटकलें तेज: क्या बंगाल चुनाव में सौरव गांगुली-लक्ष्मी शुक्ला एक साथ बैटिंग करते दिखेंगे?
किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- कहीं तबलीगी जमात जैसे हालात पैदा न हो जाएं