भोपाल: कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास का लगातार विरोध कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह की ओर से शिलान्यास पर उठाए सवाल पर अब मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्‍तम मिश्रा ने पलटवार किया है. नरोत्‍तम मिश्रा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगया है. उन्होंने कहना है कि कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति को रामभक्त समझते हैं.


नरोत्‍तम मिश्रा ने कहा, "कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया ने एक शब्द नहीं बोला है, ऐसे में पार्टी श्रेय (शिलान्यास का) कैसे ले सकती है. एक तारीख टालने की बात कर रहा है, एक सुंदर कांड कर रहा है. रामभक्त इतने नासमझ नहीं कि वो तुष्टिकरण की राजनीति न समझ पाएं."


दिग्विजय सिंह ने क्या कहा था
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के मुहूर्त को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने 5 अगस्त को अशुभ मुहूर्त होने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शिलान्यास को टालने की अपील की है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर का शिलान्यास हो चुका है, राजीव गांधी कर चुके हैं. इससे पहले कमलनाथ ने कहा था कि राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खोलना था.


दिग्विजय सिंह ने कहा, "भगवान राम करोड़ों हिंदुओं के आस्था के केंद्र हैं और हजारों वषों की हमारे धर्म की स्थापित मान्यताओं के साथ खिलवाड़ मत करिए. मैं मोदी जी से फि र अनुरोध करता हूं कि 5 अगस्त के अशुभ मुहुर्त को टाल दीजिए. सैंकड़ों वषों के संघर्ष के बाद भगवान राम मंदिर के निर्माण का योग आया है अपनी हठधर्मीता से इसमें विघ्न पड़ने से रोकिए."


योगी ने कहा- कांग्रेस ने कभी नहीं चाहा राम मंदिर का शिलान्यास हो
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि कांग्रेस कभी नहीं चाहती थी कि राम जन्मभूमि पर मंदिर का शिलान्यास हो. कांग्रेस इस विवाद का पटाक्षेप नहीं चाहती थी. जब उच्चतम न्यायालय में मामला गया था तब कांग्रेस के ही एक नेता ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दी थी कि इस समस्या का समाधान 2019 से पहले ना होने पाए.


मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को अपने इतिहास में झांकना चाहिए. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का काम आजादी के फौरन बाद सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के साथ शुरू हो सकता था, लेकिन जब लोगों के लिए देश से ज्यादा महत्वपूर्ण सत्ता हो जाती है तो वे लोग अपनी राजनीतिक इच्छाओं के लिए जन भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हैं. समाज को जाति, मत और मजहब के आधार पर बांटते हैं.


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