कोरोनावायरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण बीते करीब डेढ़ महीने से लगातार प्रवासी मजदूरों के पैदल अपने घरों की ओर बढ़ने का मुद्दा जारी है. इस मसले पर लगातार केंद्र सरकार से लेकर तमाम राज्य सरकारें घिरी हुई हैं. पिछले कुछ हफ्तों में श्रमिक स्पेशल ट्रेन और अब बस सेवाओं के शुरू होने के बावजूद मुद्दा गर्म है और राजनीति जारी है. ताजा राजनीति कांग्रेस की ओर से यूपी सरकार को 1000 बसें देने के मुद्दे पर हो रही है.
समाधान नहीं, घमासान में व्यस्त कांग्रेस
कांग्रेस की ओर से यूपी सरकार को दी गई 1000 नंबरों की लिस्ट में से 879 बसें निकलीं, जबकि कुछ थ्री-व्हीलर, टू-व्हीलर, निजी कार, ट्रक और एंबुलेंस जैसे वाहन थे. इसी मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री (अल्पसंख्यक मामले) और यूपी से पार्टी के सांसद मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी सिर्फ पब्लिसिटी चाहती थी.
एक क्लिक पूरी खबर: यूपी में प्रवासी मजदूरों के लिए बसों को लेकर क्यों भिड़ी हुईं हैं BJP-कांग्रेस?
नकवी ने कहा, "ग्रैंड ओल्ड पार्टी (कांग्रेस) का मकसद बसों को खड़ाकर फोटो खिंचवाना है. इनकी मंशा प्रवासी मज़दूरों को उनके घर तक पहुंचाने की नहीं है. इस संकट में वो समाधान के बजाय सियासी घमासान में लगे हैं."
नकवी ने साथ ही कांग्रेस को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें ऐसे मौके पर समझना चाहिए और समाधान का हिस्सा बनना चाहिए और न कि घमासान करें.
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पर मामला
कांग्रेस महासचिव और यूपी से पार्टी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने हाल ही में योगी सरकार को प्रस्ताव दिया था कि पार्टी अपने खर्चे पर एक हजार बसें यूपी सरकार को देगी ताकि दूसरे प्रदेशों में फंसे यूपी के प्रवासियों को वापस लाया जा सके.
योगी सरकार ने प्रियंका गांधी के प्रस्ताव को स्वीकार किया था और पार्टी से बसों की लिस्ट मांगी थी, जिसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने हजार गाड़ियों के नंबर की लिस्ट दी थी. इस लिस्ट में गड़बड़ी पाए जाने के बाद यूपी पुलिस ने अजय कुमार लल्लू के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
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