No Confidence Motion: पहले जो थे मोदी के साथ अब वह हैं खिलाफ, क्या अविश्वास प्रस्ताव पर पड़ेगा का इसका असर?
Monsoon Session: इंडिया महागठबंधन विगत 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया. अब उस पर बहस हो रही है.
Parliament Monsoon Session: देश की 17वीं लोकसभा का मानसून सत्र चल रहा है. कहने को तो यह मानसून सत्र है, लेकिन इसका तापमान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. मणिपुर में हुई हिंसा को लेकर संसद में गतिरोध बरकार है. विपक्षी गठबंधन के अधिकांश दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सदन के अंदर जवाब की लगातार मांग कर रहे हैं.
विपक्ष इंडिया महागठबंधन विगत 26 जुलाई को मोदी सरकार के खिलाफ नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. जिसे लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया. हालांकि उन्होंने इस पर चर्चा के लिए कोई तारीख तय नहीं की थी. नियमानुसार नोटिस के 10 दिन के अंदर सदन में बहस कराना अनिवार्य होता है. इसलिए यह माना जा रहा है कि सदन में इस पर चर्चा होगी.
इसलिए लाया गया अविश्वास प्रस्ताव
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नीतीश कुमार, सांसद मनोज झा, आप के राघव चड्डा सहित कई बड़े नेता मणिपुर हिंसा को लेकर सदन में पीएम के जवाब की लगातर मांग कर रहे हैं. पीएम मोदी ने संसद में अभी इस पर कुछ नहीं बोला है. हालांकि गृहमंत्री अमित शाह इस पर जवाब देने को तैयार थे, लेकिन विपक्ष राजी नहीं था.
अविश्वास प्रस्ताव लाने का एक प्रमुख मकसद यही है कि इतने संवेदनशील मुद्दे पर पीएम को सदन में चर्चा के लिए आना चाहिए. पीएम जवाब देने के लिए सदन में नहीं आएंगे तो सवाल खड़ा होगा कि वह संसद का सामना करना से बच रहे हैं.
पहले ये दल थे मोदी के साथ
इसके पहले जब 2018 में इसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव मोदी सरकार के खिलाफ लाया गया था, उस समय शिवसेना (यूबीटी) एऩडीए के साथ थी. इसके अलावा नीतीश कुमार जो पहले एनडीए के साथ थे, अब वह भी इस मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी ‘इंडिया’ के पाले में हैं. हालांकि विपक्ष को भी अच्छी तरह पता है कि यह प्रस्ताव सदन में कहीं भी नहीं टिकेगा.
सदन में मोदी सरकार के पास बहुमत
जहां तक संसद में इस अविश्वास प्रस्ताव की बात है तो विपक्ष भी अच्छी तरह जानता है कि वह बड़ी आसानी से गिर जाएगा. संसद के दोनों सदनों उच्च राज्य सभा और लोअर हाउस लोकसभा में बहुमत के मामले में एऩडीए क्या अकेले बीजेपी ही भारी पड़ती दिख रही है.
लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा 272 है. वहीं अकेले बीजेपी के पास 300 से अधिक सीटें हैं. पूरे इंडिया गठबंधन की मिला लें तो आंकड़ा मात्र 141 तक पहुंचता है. इस लिहाज से अविश्वास प्रस्ताव का गिरना तो तय है. अगर पीएम मोदी मणिपुर हिंसा पर जवाब देने के लिए सदन में आ जाते हैं तो इस मायने में विपक्ष की जीत हो सकती है.
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