राफेल डील पर राहुल गांधी का Poll, पूछा- JPC जांच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं?
मोदी सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए 23 सितंबर 2016 को 59,000 करोड़ के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. कांग्रेस का आरोप है कि इस सौदे में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है.
नई दिल्ली: फ्रांस द्वारा भारत के साथ 59 हजार करोड़ रुपये की राफेल डील में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की न्यायिक जांच का आदेश दिए जाने के बाद से कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) जांच की मांग कर रही है. रविवार को भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है.
राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक पोल चालू किया है और पूछा है कि जेपीसी जांच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है? इसमें चार ऑप्शन भी दिए हैं- अपराधबोध, मित्रों को भी बचाना है, जेपीसी को राज्यसभा सीट नहीं चाहिए, ये सभी विकल्प सही हैं.
JPC जाँच के लिए मोदी सरकार तैयार क्यों नहीं है?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 4, 2021
खबर लिखे जाने तक 25 हजार से ज्यादा लोग इस पोल में शामिल हो चुके थे. 65 फीसदी लोगों ने चौथा ऑप्शन (ये सभी विकल्प सही हैं) चुना है. एक दिन पहले राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में हैशटैग राफेलस्कैम का इस्तेमाल करते हुए लिखा था, 'चोर की दाढ़ी.'
दरअसल, फ्रांसीसी वेबसाइट 'मीडिया पार्ट' के अनुसार, दो सरकारों के बीच हुए इस सौदे को लेकर जांच गत 14 जून को औपचारिक रूप से आरंभ हुई. इस डील पर फ्रांस और भारत के बीच 2016 में हस्ताक्षर हुए थे. डील में कथित अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में 'मीडिया पार्ट' की एक रिपोर्ट सामने आने और फ्रांसीसी एनजीओ 'शेरपा' की ओर से शिकायत दर्ज कराए जाने के बाद पीएनएफ द्वारा जांच का आदेश दिया गया है. ‘मीडिया पार्ट’ से संबंधित पत्रकार यान फिलिपीन ने कहा कि 2019 में दायर की गई पहली शिकायत को पूर्व पीएनएफ प्रमुख की ओर से ‘दबा दिया गया था.’
अप्रैल महीने में इस वेबसाइट ने फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए दावा किया था कि राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविशन ने एक भारतीय बिचौलिए को 10 लाख यूरो दिए थे. दसॉं एविएशन ने इस आरोप को खारिज कर दिया था और कहा था कि अनुबंध को तय करने में कोई उल्लंघन नहीं हुआ है.
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